छत्तीसगढ

सरकार नाकाम, कोरोना केपिटल बना रायपुर, 5 माह से हाथ पर हाथ धरे बैठी है सरकार

रायपुर, 11 सितंबर। विधायक एवं पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने प्रदेश में लगातार बढ़ रहे कोविड-19 के प्रकरण व अस्पतालो की दुर्दशा, कोविड मरीजो के ईलाज में शासन की लापरवाही को लेकर राज्य सरकार पर तीखे आरोप करते हुए कहा कि सरकार व्यवस्था करने में पूरी तरह लचर एवं अक्षम साबित हुआ है। पूरे प्रदेश में कोरोना मरीजो के लिए बेड की कमी हो गई है। अस्पतालो में जगह नही है। मुख्यमंत्री की होम क्वारटाईन सुविधा व निःशुल्क दवा की घोाषणा सिर्फ बयानो मंे ही है। बी एवं सी सीमट्मेटिक मरीज के लिए कही बेड नही है। प्रदेश की जनता आॅक्सीजन व वेंटीलेटर के आभाव में दम तोड़ रही है। शासन बताने की स्थिति में नही है कि उन्होंने जनता के लिए कहां-कहां आक्सीजन व वेंटिलेटर की व्यवस्था की है, कितनी-कितनी की है।
श्री अग्रवाल ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अब सरकार मरीज व मौत का आकड़ा भी छिपा रही है। अनेक जिलों से जो मरीजों व मृतकों का आंकड़ा जारी होता है, प्रदेश से जारी आकड़ो में उससे कम व भिम्न रहता है। मौत की संख्या को छुपाया जा रहा है। प्रदेश में जनता के मन में भय व दहशत व्याप्त हो गया है। लोग अव्यवस्था को देख भय में टेस्ट कराने से भाग रहे है और यही मौत की वजह बनते जा रही है।
कोरोना के बेकाबू रफ्तार के लिए राज्य सरकार के कोशिशों को नाकामी बताते हुए कहा कि 5 माह सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी रही। शासन एवं प्रशासन ने इस दिशा में कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जिसके चलते राजधानी कोरोना केपिटल में तब्दील हो गया है। प्रदेश के नागरिक ईलाज के लिए दर-दर भटक रहे हैं, हाॅस्पीटलों में बेड नहीं है और सरकार बयानबाजी में उलझी हुई है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि कोरोना से लड़ने हाॅस्पीटल, बेड, आक्सीजन, वेंटीलेटर, टेस्ट की व्यवस्था करने के स्थान पर 5 माह सिर्फ उत्सव, ठेका, टेण्डर करने में व्यस्त रही है। पूरे देश में जब कोरोना फैल गया तब छत्तीसगढ़ इस स्थिति से बाहर था। शासन एवं प्रशासन भविष्य में ध्यान देने के बजाय इसे ही अपना विजय मानकर, कोरोना को हराने की घोषणा कर चुपचाप घर में बैठ गए। इसी का परिणाम यह भयावह स्थिति है। पिछले 5 माह का समय तैयारी करने के लिए पर्याप्त समय था। पर सरकार ने यह समय का सदुउपयोग नहीं किया सिवाय बयानबाजी कर अपनी पीठ थपथपाने के। पांच माह में आक्सीजन, वेन्टीलेटर से युक्त अनेक अस्पताल तैयार हो जाते। टेक्नीशियन से लेकर नर्स, डाॅक्टर के पदो पर भर्ती हो जाती। हजारो अतिरिक्त बेड की व्यवस्था जिला-जिला पर हो सकती थी, पर हुआ कुछ नही। आज रायपुर शहर सहित प्रदेश के अन्य शहर में भयावह भय का माहौल है।
श्री अग्रवाल ने कहा कि सरकार कोरोना के लिए व्यवस्था करने के बजाये हिसाब किताब में लगी हुई है। यह समय हिसाब किताब का नही बल्कि लोगो की जान बचाने का है। छत्तीसगढ़ के लोगों की जान से बड़ा पैसा नही है। शासन को कोरोना की व्यवस्था करने के लिए सभी प्रकार की लिमिट हटाकर हाॅस्पिटल को जो जरूरत हो, जितना पैसा चाहिए वहन करना चाहिए। युद्धस्तर पर ईलाज, बेड व व्यवस्थित क्वारांटाईन सेंटर की व्यवस्था करनी चाहिए।
श्री अग्रवाल ने कहा कि प्रदेश के सभी निजी हाॅस्पिटलों के 50 प्रतिशत बेड सरकार को कोरोना वायरस से पीड़ित मरीजो के लिए निर्धारित कर लेना चाहिए व इन हाॅस्पिटलों में गरीब मरीजो का ईलाज का भार शासन को वहन करना चाहिए।

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