छत्तीसगढ

खरीफ फसल गिरदावरी कार्य को संबधित अधिकारी गंभीरता से लें: जी.आर. चुरेन्द्र

रायपुर, 3 सितंबर। संभाग आयुक्त जी.आर.चुरेन्द्र ने संभाग अंतर्गत सभी जिला के कलेक्टरो को पत्र जारी कर खरीफ गिरदावरी कार्य शतप्रतिशत त्रुटि रहित, सभी प्रविष्टियां मौके के अनुरूप गंभीरता से कराने के निर्देश दिये है।
उन्होने निर्देश दिये हैे कि गिरदावरी कार्य की निरीक्षण, सत्यापन हेतु राजस्व अमला के अन्तर्गत अनुविभागीय अधिकारी से राजस्व निरीक्षक तक एवं कृषि विभाग का अमला उपसंचालक कृषि से लेकर कृषि विकास अधिकारी तक के अधिकारियों के बीच गाँव बॉटा जावे। इन गाँव में इन्हें ऐसे गॉव आबंटित किया जावे, जहाँ पूर्व वर्षों में पंजीयन में गलतियाँ हुई है साथ ही जिस क्षेत्र में फार्महाउस, डेयरी, कारखाना, उद्यानिकी, बाड़ी-बखरी आदि ज्यादा विकसित किया गया है, ऐसे समस्त गाँवों को निरीक्षण सत्यापन हेतु शतप्रतिशत आंबटित किया जावे। बड़े कृषकों के मामले में धान खरीदी हेतु पंजीयन हेतु गलतियाँ या जानबूझकर दुस्साहस करते हुए गलत रूप में पंजीयन कराने की बात आ सकती है। अतः गाँवों में 10 एकड़ या उससे अधिक रकबा वाले किसानों के मामले में उनके कृषि भूमि के क्षेत्र का शतप्रतिशत सत्यापन निरीक्षण अधिकारियों से कराया जावे, जिससे कि पूर्व में किये गये गलतियों को शतप्रतिशत सुधारा जा सके। उन्होने जारी पत्र के माध्यम से यह बताया कि उनके स्वयं के द्वारा रायपुर जिले के तहसील अभनपुर व रायपुर के गिरदावरी कार्य का निरीक्षण किये जाने पर यह पाया गया कि कृषि भूमिधारक कुछ किसानों द्वारा कृषि भूमि का कृषि भिन्न प्रयोजन यथा – कारखाना, डेयरी, मकान निर्माण, तालाब, आदि बना कर उपयोग किया जा रहा है, लेकिन अभिलेख में कृषि भूमि या पड़त भूमि दर्ज चला आ रहा है यदि कृषि भूमिधारक द्वारा जमीन का कृषि भिन्न प्रयोजन में उपयोग बहुत लम्बे समय से किया जा रहा है या कुछ समय पूर्व से किया जा रहा है ऐसे सभी मामलों में जिला व तहसील के अन्तर्गत गिरदावरी के दौरान ही उसका निरीक्षण कर नजरी नक्शा, मौका पंचनामा, साईट नक्शा,बनाते हुए विस्तृत मौंका जॉच रिपोर्ट हल्का पटवारी द्वारा बनाया जा कर सभी दस्तावेजों सहित समग्र प्रतिवेदन राजस्व निरीक्षक के मार्फत अपने संबंधित राजस्व अधिकारी के माध्यम से सक्षम प्राधिकारी के न्यायालय में पेश कराना चाहिए। इस प्रक्रिया से जिलो में डायवर्सन के नये पुराने सभी मामलों में आदेश कर अर्थदण्ड, प्रब्याजी, परिवर्तित लगान (भूभाटक), पर्यावरण उपकर, अधोसंरचना विकास कर , एवं ग्राम पंचायत क्षेत्र में पंचायत उपकर के रूप में जिले के अन्तर्गत करोड़ों रूपये की राजस्व वसूली कर राजकोष में बड़ी राशि जमा कराया जा सकता है।
उन्होने जारी निर्देश में उल्लेखित किया है कि यह सामान्य शिकायत है कि मूल पटवारी रिकार्ड यथा खसरा, बी-1, नक्शा, सही रूप में अद्यतन नहीं होने पर भूईयाँ साफ्टवेयर में इन्द्राज करने में काफी दिक्कते आती है। अगर भू-अभिलेख अद्यतन हो भी गया है तो कुछ हल्का पटवारीयो द्वारा भूईयॉ साफटवेयर में अद्यतन प्रविष्टि नहीं किया गया है। परिणाम स्वरूप किसान को भटकना पड़ रहा है। इसलिये भू-अभिलेख मैनुअल अनुसार सभी आफलाईन रिकार्ड के रूप में अद्यतन करने एवं तदनुसार भूईयाँ साफ्टवेयर में प्रविष्टि का कार्य अभियान के रूप में कराया जावे। जिला एवं तहसील में ऐसी व्यवस्था बनाई जावे कि निकट भविष्य में भू-अभिलेख मैनुअल एवं भूईयाँ साफ्टवेयर की प्रविष्टि में शतप्रतिशत समानता रहें कोई अन्तर या अधुरी प्रविष्टि न हो। यह कार्य अत्यंत महत्वपूर्ण कार्य है इस कार्य में हल्का पटवारियों की सहयोग के लिए ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी, पंचायत सचिव, एवं मनरेगा योजना के कम्प्यूटर आपरेटर्स को सहयोग के लिए लगाया जा सकता है। उन्होने सभी अधिकारी, कर्मचारियो को ईमानदारी पुर्वक नियतसमय में कार्य करने के निर्देश दिये है।

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