…भले कितनी ही नफ़रत की आंधियाँ चले, पर हम मिलकर देंगे देश को एक सुनहरा और धर्मनिरपेक्ष भविष्य
लाक्डाउन में पीड़ित मानवता की सहायता करते कोरोंना वरियर्स की कहानी
रायपुर। इस वक्त जब सारा देश कोरोंना वाइरस की चपेट मे है और देश सख़्त लाक्डाउन से गुज़र रहा है और सारे दिहाड़ी रोज़गार के साधन ख़त्म हो चुके हैं, ऐसे मुश्किल वक्त में जब ग़रीबों और दहाड़ी मज़दूरों के पास कोई रोज़गार का अवसर नहीं मौजूद नहीं तो सबसे बड़ी मुश्किल का सामना जो ये लोग कर रहे हैं वो है ‘राशन पानी और खाने’ की कमी का, ऐसे मुश्किल हालात में अगर कोई मदद का हाथ इन ग़रीबों की तरफ़ बढ़ाता है तो वो इन लोगों के लिए किसी ‘मसीहा’ से कम नहीं होता। ग़रीबों की ऐसे ही मदद का बीड़ा ‘रायपुर शहर’ के कुछ युवा साथियों ने उठाया है। पिछले 25 दिनों के लाक्डाउन में शहर की नीचली और ग़रीब बस्तियों में घूमघूम कर राशन और पके हुए खाने के पैकेटस बाँट रहे हैं। इन्हें सड़क की किनारे किसी ग़रीब को खाना देते हुए देखा तो बस जा के पूछ लिया किसी सामाजिक संगठन से हो। मुँह में मास्क लगाए और हाथों में ग्लव्ज़ पहने युवा ‘ज़कीउद्दिन फ़ारूक़ी-संजय नगर-रायपुर’ निवासी ने बताया की वो किसी सामाजिक संगठन से नहीं जुड़े हुए हैं बल्कि वो और उनके कुछ दोस्तों ने मिलकर इस मुसीबत के वक्त ग़रीबों की मदद की सोची और शुरुआत में आपस मे में ही कुछ पैसे जमा किए और ‘राशन और खाना’ बाँटना शुरू कर दिया। पहले अपने इलाक़े संजय नगर के आसपास की चिन्हित ग़रीब बस्तियों से शुरू किया फिर मोहल्ले के कुछ और लोग जुड़ गए और हौसला बढ़ाया। इस काम और मदद को पूरे शहर और शहर के बाहर जुड़ी हुई हर ग़रीब और सड़क किनारे रहने वाले तक पहुँचाया जाए और ऐसे शुरुआत हुई की इन युवाओं ने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा और अबतक तक़रीबन ‘दस हज़ार’ से ज़्यादा फ़ूड पैकेट और ‘एक हज़ार’ से ज़्यादा राशन के थैलों ये साथी बाट चुके हैं। ये साथी राज्य सरकार का भी शुक्रिया करते हैं जिसने इन्हें ‘लाक्डाउन ने राशन बाटने’ के लिए पास दिए।
सच है हर दौर में जब मुसीबत आती है तो ऐसे ‘मसीहा’ भी निकलते हैं लोगों की मदद के लिए बिना किसी का धर्म और जाति देखते हुए। जो अपनी जान की परवाह करने के बजाए ‘ख़ुदा के बंदे बन कर ख़ुदा के बंदों’ के लिए आगे आते हैं। देश भर में मदद करते उनके ऐसे लाखों युवा बहुत उम्मीद जागते हैं की चाहे कितनी भी नफ़रत की आंधियाँ चले, ये मिलकर इस देश को एक सुनहरा और धर्मनिरपेक्ष भविष्य दे कर रहेंगे। सलाम ज़की और इन जैसे लाखों युवाओं को जिन्होंने मानवता की सहायता को अपनी जान से ज़्यादा प्राथमिकता दी।