छत्तीसगढ

गणतंत्र दिवस का उत्साह, राष्ट्रीय तिरंगा सप्ताह: नवीन जिंदल

यह आवश्यक होगा कि हम भारतीय मुसलमान, ईसाई, यहूदी, पारसी और अन्य सभी लोग जिनके लिए भारत उनका घर है, साथ जीने और मरने के लिए एक समान ध्वज को अपनाएं। महात्मा गांधी दुनिया में हर राष्ट्र का अपना एक ध्वज है। ध्वज प्रतीक है राष्ट्र की स्वतंत्रता और संप्रभुता का। अंग्रेजों की गुलामी के समय हमारे देश में इंग्लैंड का ध्वज यूनियन जैक फहराया जाता था। परतंत्रता की इन बेड़ियों को तोड़ना आसान न था लेकिन हम भारत माता के लाखों उन सपूतों के आभारी हैं, जिन्होंने अपना भविष्य और अपने परिवार की चिंता छोड़ मां भारती की स्वतंत्रता के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। हमारा राष्ट्रीय ध्वज, लहरता-फहरता ये तिरंगा उसी महान स्वतंत्रता संग्राम की एक उत्पत्ति है।

हमारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा न सिर्फ हमें उनकी याद दिलाता है जिन्होंने देश की स्वतंत्रता के लिए अपना बलिदान कर दिया बल्कि हमें राष्ट्र के प्रति हमारे कर्त्तव्यों के प्रति भी जागरूक करता है। यह हमें यह भी याद दिलाता है कि स्वतंत्रता आसान नहीं, अमूल्य उपलब्धि है।

यह तिरंगा हमारे देश की विभिन्नता में एकता का पवित्रतम प्रतीक है। भाषाएं-संस्कृतियां अनेक हैं, दुनिया के सभी प्रमुख धर्मों को मानने वाले लोग हमारे देश में रहते हैं और इन तमाम विविधताओं के बावजूद हमारा राष्ट्रीय ध्वज हमें एक भावना में बांधता है, हमें भारतीय कहलाने का गौरव प्रदान करता है।

पहले, हमारे देश में अलग-अलग झंडे थे, जो अलग-अलग शासन, काल और अलग-अलग क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करते थे। अंग्रेजों ने अपने यूनियन जैक को प्रदर्शित किया, मुगलों का अपना झंडा था और इसी तरह सैकड़ों शासकों के अपने-अपने झंडे थे। गौर करने की बात यह है कि ये राजाओं के झंडे थे, प्रजा के नहीं।

स्वतंत्रता संग्राम के दौरान श्री पिंगली वेंकैया द्वारा डिजायन किया हुआ ध्वज अपनाया गया, जो विविधताओं के देश भारत की जनता का प्रतिनिधित्व करता है। हालांकि स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद संविधान सभा ने जब तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया तो इसे उन लोगों से ही दूर रखा गया, जिनका प्रतिनिधित्व करने के लिए यह था: हम भारत के लोग। गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे चुनिंदा मौकों को छोड़कर आम नागरिकों को राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित करने की अनुमति नहीं थी। एक जन-आंदोलन से जिस तिरंगे की उत्पत्ति हुई, वह जन-ध्वज न बनकर सरकारी ध्वज बन गया।

मेरा मन मुझसे कहता कि तिरंगा के माध्यम से देशभक्ति प्रदर्शित करो लेकिन यह हमारा मौलिक अधिकार नहीं था इसलिए मैंने जनता को यह अधिकार दिलाने का संकल्प लिया। मुझे इस अधिकार के लिए लगभग एक दशक लंबा अथक कानूनी संघर्ष करना पड़ा। 23 जनवरी 2004 को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश वी.एन. खरे, न्यायमूर्ति बृजेश कुमार और न्यायमूर्ति एस.बी. सिन्हा की पीठ ने फैसला सुनाया कि पूरे सम्मान के साथ राष्ट्रीय ध्वज को स्वतंत्र रूप से प्रदर्शित करने का अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) में निहित है जो एक भारतीय नागरिक का मौलिक अधिकार है। मौलिक अधिकार की इस व्याख्या ने देश के एक नागरिक की राष्ट्र के प्रति निष्ठा और समर्पण की भावना प्रदर्शित करने और उसकी अभिव्यक्ति को परिभाषित किया। दिल्ली उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति डी.पी. वाधवा और न्यायमूर्ति एम.के. शर्मा ने कहा कि देश के नागरिकों को सम्मानजनक तरीके से राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित करने पर रोक नहीं लगाई जा सकती। तिरंगा के माध्यम से देशभक्ति की भावना प्रदर्शित करने का अधिकार मिलने के बाद संसद ने सर्वसम्मति से 2005 में संबंधित कानून में संशोधन किया जो भारतीय ध्वज संहिता के कुछ नियमों में बदलाव का आधार बना और जिससे लैपल पिन, कलाई बैंड और टी-शर्ट के माध्यम तिरंगा प्रदर्शित करने की अनुमति आम नागरिकों को मिल गई।  चूंकि हमें साल के 365 दिन स-सम्मान ध्वज प्रदर्शित करने या पहनने का अधिकार नहीं था, इसलिए हमारे यहां अधिकांश देशों की तरह झंडा दिवस की अवधारणा भी नहीं थी। हमारे यहां सशस्त्र सेना झंडा दिवस तो मनाया जाता है, लेकिन राष्ट्रीय ध्वज दिवस नहीं। अब जब हम 23 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की 16वीं वर्षगांठ मना चुके हैं और 26 जनवरी को राष्ट्रीय महापर्व गणतंत्र दिवस मना रहे हैं तो यह उचित समय है जब हम गंभीरता से विचार करें कि अपने राष्ट्रीय ध्वज के लिए भी एक दिन समर्पित किया जाए।  विश्व के अधिकतर देशों में राष्ट्रीय ध्वज दिवस मनाया जाता है ताकि वहां के नागरिक आत्मावलोकन कर सकें और अपने देश के झंडे के साथ अपने रिश्ते को अभिव्यक्त कर सकें। संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देश राष्ट्रीय ध्वज सप्ताह मनाते हैं, जिसमें देश के सभी सरकारी भवनों, परेडों और अन्य कार्यक्रमों में झंडे को प्रदर्शित किया जाता है।  मेरा मानना है कि भारत में भी 23 जनवरी से 26 जनवरी गर्व के साथ प्रतिदिन तिरंगा फहराने का अधिकार मिलने की तिथि से गणतंत्र होने की तिथि, तक राष्ट्रीय ध्वज सप्ताह मनाया जाना चाहिए । आखिरकार, यह हमारा राष्ट्रीय ध्वज है जो हमें हमारे गणतंत्र की भावना में बांधता है।

(लेखक कुरुक्षेत्र के पूर्व सांसद और फ्लैग फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष हैं)

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