व्यापार

CG CHAMBER : कैट ने ई-कॉमर्स कंपनियों और बैंकों की अनैतिक सांठगांठ का आरोप लगाया

रायपुर, 16 सितंबर। CG CHAMBER : देश के सबसे बड़े व्यापारिक संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि आज भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास को भेजे गए एक महत्वपूर्ण पत्र में, कैट ने अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ बैंकों की मिलीभगत पर गहरी चिंता व्यक्त की। कैट ने कहा कि यह मिलीभगत पारंपरिक खुदरा व्यापारियों के लिए अस्वस्थ और असमान प्रतिस्पर्धा का माहौल बना रही है।

कैट के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष अमर पारवानी एवं प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने बताया कि आरबीआई गवर्नर को भेजे अपने पत्र में बैंकों, ई-कॉमर्स कंपनियों और ब्रांड मालिकों के बीच अनैतिक सांठगांठ का आरोप लगाया, जिससे खुदरा व्यापार बुरी तरह विकृत हो रहा है। इस मिलीभगत से देश के पारंपरिक खुदरा व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है।

उपाध्यक्ष पारवानी एवं दोशी ने बताया कि एचडीएफसी, एसबीआई और अन्य बैंकिंग संस्थानों द्वारा विशेष छूट योजनाओं और बैंक कैशबैक ऑफर्स के माध्यम से आक्रामक छूट दी जा रही है, जो फ्लिपकार्ट और अमेज़न जैसे प्लेटफॉर्म्स पर 10 प्रतिशत तक की छूट प्रदान कर रहे हैं, जिससे पारंपरिक व्यापारियों को और अधिक नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, आईसीआईसीआई, एक्सिस बैंक, वन कार्ड और कोटक महिंद्रा जैसे अन्य बैंकों ने भी इसी तरह की साझेदारियाँ की हैं, जो छूट, कैशबैक और अतिरिक्त लाभ प्रदान कर रही हैं। यह गंभीर चिंता का विषय है कि क्या ये व्यापारिक प्रथाएँ निष्पक्ष हैं। चाहे जानबूझकर या अनजाने में, ये बैंक एक कार्टेल का हिस्सा बन गए हैं जो एक अस्वस्थ और असमान बाजार बना रहा है, जो प्रतिस्पर्धा के लिए गंभीर चुनौतियाँ उत्पन्न कर रहा है और व्यापार के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।

इस संदर्भ में, उपाध्यक्ष पारवानी एवं दोशी ने हाल की सीसीआई रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें यह खुलासा हुआ है कि ये प्लेटफॉर्म स्मार्टफोन मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) जैसे सैमसंग, शाओमी, रियलमी, मोटोरोला, वीवो और वनप्लस के साथ मिलकर राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं।

उपाध्यक्ष पारवानी एवं दोशी ने कहा कि इन कार्यों ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के “आत्मनिर्भर भारत“ के विज़न के खिलाफ काम किया है। रिपोर्ट से यह स्पष्ट हुआ है कि ये कंपनियाँ विशेष आपूर्ति समझौतों और गहरी छूट प्रथाओं में शामिल हैं, जिससे ऑफ़लाइन खुदरा व्यापारियों, जो रोजगार सृजन, कर योगदान और उपभोक्ताओं को प्रतिस्पर्धी सेवाएँ और ऑफ़र प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, को गंभीर नुकसान पहुँच रहा है।

उपाध्यक्ष पारवानी एवं दोशी ने आगे कहा कि यह चौंकाने वाला है कि लगभग 1.5 लाख मोबाइल खुदरा व्यापारी इन अनुचित प्रथाओं के कारण संघर्ष कर रहे हैं, जिनमें से 50,000 से अधिक छोटे व्यापार पहले ही बंद हो चुके हैं। कई छोटे व्यापारी ग्रे मार्केट स्टॉक्स पर निर्भर हो गए हैं क्योंकि ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म और व्म्ड समर्थित एग्रीगेटरों के बीच की सांठगांठ से घरेलू अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close
Back to top button