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FTA : इंडोनेशिया में लगेगी भारत-ब्रिटेन के बीच मुक्त व्यापार समझौते पर मुहर

नई दिल्ली, 29 अक्टूबर। FTA : भारत और ब्रिटेन के बीच बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) पर इंडोनेशिया के बाली में नवंबर मध्य में होने वाले जी-20 शिखर सम्मेलन की बैठक में मुहर लगेगी। इस बैठक के इतर ब्रिटेन के नवनिर्वाचित पीएम ऋषि सुनक और पीएम मोदी के बीच द्विपक्षीय वार्ता होगी। 

नवंबर में मिलेंगे मोदी और सुनक

एफटीए पर अंतिम फैसला (FTA) के लिए दोनों ही देशों में तैयारियां शुरू हो गई है। गौरतलब है कि बृहस्पतिवार को पीएम मोदी ने ब्रिटिश पीएम सुनक से फोन पर बातचीत की थी। इस बातचीत में दोनों ने एफटीए के प्रति अपनी अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की थी। बाली में होने जा रहे जी-20 शिखर सम्मेलन कई दूसरे कारणों से अभी से चर्चा में है। इस बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी हिस्सा लेंगे। इसके कारण शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की हाल में उज्बेकिस्तान की राजधानी समरकंद में हुई बैठक की तर्ज पर जिनपिंग-मोदी की मुलाकात पर कयासों का बाजार गर्म है। 

गौरतलब है कि एससीओ की बैठक में पीएम मोदी ने जिनपिंग से दूरी बनाई थी। चर्चाओं का बाजार गर्म इसलिए भी है कि हाल ही में शी जिनपिंग को बतौर राष्ट्रपति तीसरा कार्यकाल मिलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बधाई देने से दूरी बरती है।

अड़चनों को दूर करने में जुटे

सरकारी सूत्रों के मुताबिक बाली में होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में एफटीए पर मुहर लगनी तय है। इसके मद्देनजर दोनों देश लगातार इस समझौते की अड़चनों को दूर करने में जुटे हैं। अड़चनों को दूर करने के लिए दोनों ही पक्षों के बीच बातचीत लगातार जारी है। चूंकि बृहस्पतिवार को दोनों देशों के पीएम ने इसके प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की है, ऐसे में बाली में होने वाली द्विपक्षीय वार्ता में एफटीए पर मुहर लगाने की कवायद शुरू हो गई है।

जिनपिंग से फिर दूरी बना सकते हैं पीएम मोदी

हालांकि जी-20 शिखर सम्मेलन के इतर जिनपिंग-मोदी की मुलाकात की संभावना जताई जा रही है, मगर सरकारी सूत्र फिलहाल मुलाकात की संभावना से इंकार कर रहे हैं। सरकारी सूत्रों का कहना है कि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) चीन के लचर रवैये से सरकार खुश नहीं है। 

पूर्वी लद्दाख में गलवां घाटी हिंसा (FTA) के बाद भारत को जल्द से जल्द तनाव कम होने की उम्मीद थी। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में भारत अपनी ओर से सकारात्मक संदेश नहीं देना चाहता। सरकारी सूत्रों का कहना है कि इस बीच अगर चीन की ओर से विवाद सुलझाने के लिए बड़ा फैसला किया गया तभी भारत अपना रुख सकारात्मक करेगा।

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