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Increased Conversion : बढ़ता धर्मांतरण चिंता का विषय

नई दिल्ली, 16 नवंबर। Increased Conversion : हमारे देश में लगातार धर्मांतरण की घटनाएं बढऩा वाकई गंभीर चिंता का विषय है। इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने भी बढ़ते धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त की है और केन्द्र सरकार को निर्देशित किया है कि वह जबरिया धर्मांतरण को रोकने के लिए कारगर कदम उठाएं।

सवाल यह उठता है कि इस बारे में सरकार भी आखिर क्या करें? (Increased Conversion) धर्म परिर्वतन करना लोगों की मर्जी पर निर्भर है। अलबत्ता जबरन धर्मांतरण को रोकने के लिए कार्यवाही की जा सकती है लेकिन कोई भी धर्मांतरण जबरिया धर्मांतरण है यह साबित करना बेहद मुश्किल है। वह जमाना कब का गुजर चुका जब तलवार का डर दिखाकर थोक के भाव में धर्मांतरण कराया गया था।

अब भय दिखाकर धर्मांतरण नहीं कराया जाता उसकी जगह अब प्रलोभन परोसे जाते है और पैसों का लालच दिया जाता है। जिसकी वजह से गरीब तबके के लोग धर्मांतरण कर लेते है। इस धर्मांतरण को जबरिया धर्मांतरण साबित करना मुश्किल होता है। पैसे लेकर धर्म बदलने वाला यह मानने को तैयार ही नहीं होता कि उसने किसी दबाव में धर्मांतरण कि है। इस मामले में तो मिया बीबी राजी तो क्या करेगा काजी वाली कहावत अक्षरश: चरितार्थ होती है।

बहरहाल सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद अब केन्द्र सरकार धर्मांतरण को रोकने के लिए क्या कदम उठाती है यह देखना होगा। सरकार को चाहिए कि वह धर्मांतरण के विषय पर समाजशास्त्रियों और प्रबुद्धजनों से चर्चा कर इस बारे में एक कड़ा कानून बनाएं ताकि जबरिया धर्मांतरण के साथ ही पैसों का प्रलोभन देकर कराए जाने वाले धर्मांतरण पर भी प्रभवी रोक लग सके। जब तक इसके लिए कड़े कानूनी प्रावधान नहीं किए जाएंगे तब तक धर्मांतरण पर रोक लगा पाना असंभव की हद तक कठिन काम सिद्ध होगा।

जबरन धर्म परिवर्तन को गंभीर मसला करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को केंद्र से कहा कि वह मामले में दखल दे और इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए प्रयास करें। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चेताया कि यदि जबरन धर्म परिवर्तन को नहीं रोका गया तो कठिन हालात बन सकते हैं। जस्टिस एमआर शाह और हिमा कोहली की बेंच ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि इस तरह के प्रलोभनों के जरिए की जा रही प्रैक्टिस के खात्मे के लिए कदम उठाए जाएं। कोर्ट ने कहा, ‘यह कापी गंभीर मसला है।

उल्लेखनीय है कि आज शीर्ष अदालत में पूजा स्थल अधिनियम 1991 के कुछ प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर भी सुनवाई हुई। कोर्ट ने केंद्र को जवाब के लिए समय दिया है। अब मामले की सुनवाई जनवरी में की जाएगी। सुप्रीमकोर्ट ने प्रलोभन, धोखे या जबरदस्ती धर्म परिवर्तन पर चिंता जताई और इसे गंभीर मसला करार दिया है।

कोर्ट ने इस मामले को देश की सुरक्षा और नागरिकों (Increasing Conversion) को मिली धार्मिक स्वतंत्रता के लिए जोखिम करार दिया। केंद्र सरकार से कोर्ट ने जवाब की मांग की। कोर्ट ने कहा की केंद्र मामले में हलफनामा दाखिल करे और बताए कि जबरन धर्मांतरण की गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं।

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