छत्तीसगढ

Ksk पावर लिमिटेड के बंद होने से 10 हजार परिवारों की रोजी-रोटी छिनी: शैलेश नितिन त्रिवेदी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के के.एस.के. पावर प्लांट के बंद होने के लिये कांग्रेस ने केन्द्र की मोदी सरकार की गलत आर्थिक नीतियों को जिम्मेदार ठहराया है। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि के.एस.के. पावर प्लांट का बंद होना, पिछली राज्य सरकार और केन्द्र की मोदी सरकार की गलत नीतियों का परिणाम है। के.एस.के. पावर प्लांट के बंद होने की घटना को राज्य की कांग्रेस सरकार ने पूरी गंभीरता से लिया है। कांग्रेस सरकार के.एस.के. पावर प्लांट के बंद होने से प्रभावित 10,000 परिवारों की रोजी-रोटी ने छिने यह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से काम कर रही है। इस पावर प्लांट में हो रहे बिजली उत्पादन की भी क्षति न केवल राज्य बल्कि देश की भी क्षति है। मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के परिणामस्वरूप देश में जो औद्योगिक वातावरण है, चारों तरफ मंदी है, जीडीपी गिर रहा है इसीलिये प्लांट बंद हुये है।

षड़यंत्र कर अडानी ग्रुप को बेचने का लगाया आरोप

शैलेश नितिन त्रिवेदी ने केन्द्र सरकार की कोयला नीति और पावर परचेस एग्रीमेंट की नीतियां को के.एस.के. पावर प्लांट के बंद होने के लिये उत्तरदायी ठहराते हुये कहा है कि पावर प्लांट को षड़यंत्र करके अडानी ग्रुप को बेचने का आरोप लगाया। के.एस.के. पॉवर प्लांट वही प्लांट है जिसके लिये रमन सिंह ने खेती के सिंचाई के लिये काम आ रहा एक पूरा जिंदा बांध (रोगदा बांध) समाप्त करके प्लांट लगाने के लिए दिया था। पूर्व की रमन सरकार ने तिल्दा के पेन्ड्रावन जलाशय क्षेत्र में निजी सिमेंट कंपनी अल्ट्राटेक को माईनिंग की अनुमति दिये जाने की कोशिश की थी, जिसका कांग्रेस ने और किसानों ने डटकर विरोध किया था। उन्होंने कहा है कि देश की आर्थिक हालात खराब है। मंदी की मार से सभी उद्योग व्यवसाय प्रभावित हो रहे है। देश की जीडीपी 5 प्रतिशत पर पहुंच गयी है। आर्थिक प्रगति नहीं हो पा रही है। बैंकों के एनपीए बढ़ती जा रही है। आटो मोबाईल सेक्टर, टेक्सटाईल सेक्टर, पारले बिस्कुट जैसे कंपनियां बंद हो चुकी है।

5 वर्षो में आई निजी निवेश में तेजी से गिरावट

देश की बिगड़ती आर्थिक स्थिति पर प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि पिछले 5 वर्षो में निजी निवेश में तेजी से गिरावट आई है। आंकड़े बताते है कि यह संकट केवल वित्तीय संकट भर नहीं और इसकी जड़ें कहीं ज्यादा गहरी है। मोदी सरकार के 100 दिन पूरे होने पर देश को आर्थिक मोर्चे पर लगातार बुरी खबरें मिल रही है। औद्योगिक उत्पादन कम हो गया है। देश की जीडीपी में गिरावट आई है। रुपए की कीमत नीचे गिरी है। अब एक और बुरी खबर सामने आई है, पिछले 5 साल में भारतीय परिवारों का कार्य दोगुना हो गया है और इस दौरान शुद्ध देनदारी 58 फीसदी बढ़कर 7.4 लाख करोड़ रुपए पहुंच गई है। पहले साल 2017 में यह बढ़ोतरी महज 22 फ़ीसदी रही थी। ये आंकड़े देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया रिसर्च के अध्ययन में सामने आए हैं। 5 साल में परिवारों का खर्च दोगुना हुआ है जबकि इस दौरान खर्च करने वाली आमदनी महज डेढ़ गुना बढ़ी है। इसका नतीजा हुआ है कि देश का कुल बचत में 4 फ़ीसदी की बड़ी गिरावट आई है और यह 4 प्रतिशत की गिरावट के साथ 34.6 किसी से गिरकर 30.5 फीसदी पर सिमट गई है। एसबीआई की ओर से साफ कर दिया कि केवल ब्याज की दर कम कर देने से काम चलने वाला नहीं है। अब मोदी सरकार को आर्थिक मोर्चे पर बड़े फैसले लेने ही होंगे। सरकार को ग्रामीण क्षेत्र में खर्चों को बढ़ाने के लिए उपाय करने होंगे। सरकार ने किसानों को आर्थिक मदद देने के लिए जिस योजना को शुरू किया था उसका लाभ आधे किसानों को ही मिल पा रहा है।

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