छत्तीसगढ़ बनेगा टीबी मुक्त, जन जागरूकता के लिए प्रेरकों की होगी नियुक्ति
राष्ट्रीय औसत की तुलना में छत्तीसगढ़ काफी पिछड़ा
रायपुर, 2 सितंबर। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने सभी राज्यों के स्वास्थ मंत्रियों के साथ टीबी मुक्त भारत अभियान को मूर्त रूप देने के लिए वर्चुअल बैठक की। इस दौरान केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने प्रदेशों के सभी स्वास्थ्य मंत्री से प्रदेश में जागरूकता बढ़ाने पर जोर दिया।
छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव भी इस बैठक में शामिल हुए थे। उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को प्रदेश में टीबी मरीजों की जानकारी साझा की। साथ ही छत्तीसगढ़ को टीबी मुक्त बनाने किये जा रहे प्रयासों की जानकारी भी दी। स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बैठक के बाद मीडिया से टीबी मुक्त भारत अभियान के संबंध में लिए गए निर्णय को साझा किया।
2022-23 तक प्रदेश होगा टीबी मुक्त
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा इस बैठक में केंद्र सरकार द्वारा 2025 तक देश को टीबी मुक्त बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ सरकार ने ये लक्ष्य वर्ष 2022-23 तक रखा था, जिस पर अनवरत कार्य जारी है। स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी स्वीकारा कि छत्तीसगढ़ की स्थिति राष्ट्रीय औसत की तुलना में सही नहीं है। यही कारण है कि वर्तमान में प्रदेश को टीबी मुक्त बनाने के लिए बहुत अधिक काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने माना इसमें जन जागरूकता का भी अभाव सबसे बड़ा कारण है, जिसे दूर करने के लिए सरकार ध्यान दे रही है।
अभियान में शामिल होंगे एंबेसडर
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि टीबी रोग संक्रामक है इसलिए जिसकी पहचान नहीं हो पाती वह गति कम से कम 10 व्यक्ति को संक्रमित करता है जिसके चलते अब जागरूकता के साथ जांच अभियान पर सरकार जोर दे रही है। यही कारण है कि अब प्रदेश के प्रत्येक विकास खंड से दो ऐसे व्यक्तियों को चिन्हित किया जाएगा जो है रोग से मुक्त हुआ हो उन्हें प्रेरक के रूप में जागरूकता अभियान में शामिल किया जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया की क्षय रोग जानलेवा भी साबित होता है। इसके लिए जागरूकता सबसे ज्यादा जरूरी है। यह ऐसी बीमारी है जिसमें सावधानी यदि बरती जाए तो टीबी मुक्त होना आसान है। टीबी के लक्षण अनेक प्रकार के होते हैं, जिसमें 3 माह, 6 माह, डेढ़ साल या उससे अधिक समय तक यह रोग मानव शरीर मे रहता है। ज्यादा समय तक यदि रोगों का निदान ना हो तो यह जानलेवा होती है। इससे बचने के लिए इलाज समय पर हो इसके लिए जागरूकता अभियान ज्यादा जरूरी है।
मरीजों को प्रोत्साहन राशि
टीबी के मरीजों के लिए राज्य सरकार जागरूकता अभियान के माध्यम से प्रोत्साहन राशि भी देती है। इसके लिए मरीजों को चिन्हांकित करने वालों को 500 रुपये इलाज के लिए मरीज के खाते में प्रतिमाह दिया जाता है। इसके साथ ही पोषण के लिए राज्य सरकार अतिरिक्त 500 रुपये मरीजों को देती है।
इसके साथ ही आदिवासी क्षेत्र में निवासरत टीबी मरीजों को 10 हजार रुपये अतिरिक्त राशि खाते में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इसी प्रकार मितानिनों को भी राज्य सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि निर्धारित की गई है। इन प्रोत्साहन राशि का उद्देश्य टीबी के सही समय पर इलाज कराने के लिए जागरूकता फैलाना है।