छत्तीसगढस्वास्थ्य

Free Narayan Limb Fitment Camp : छत्तीसगढ़ के सैकड़ों दिव्यांगों के जीवन में नई उम्मीद की किरण, 382 दिव्यांग अपने पांव चले

रायपुर, 24 अगस्त। Free Narayan Limb Fitment Camp : मनुष्य का जीवन तभी सार्थक होता है जब उसका अस्तित्व दूसरों के जीवन में प्रकाश और आशा भर दे। इसी दिव्य ध्येय को साकार करते हुए नारायण सेवा संस्थान, उदयपुर ने रायपुर के विशाल नगर स्थित शगुन फार्म में नारायण लिंब एवं कैलिपर्स फ़िटमेंट शिविर आयोजित किया। यह केवल एक चिकित्सा शिविर नहीं, बल्कि असंख्य टूटे सपनों और ठहरी हुई ज़िंदगी को फिर से गति देने का महापर्व था।

इस शिविर में 382 से अधिक दिव्यांगजन कृत्रिम अंग पाकर एक बार फिर अपने पैरों पर खड़े हुए। जिन पैरों ने वर्षों पहले चलना छोड़ दिया था, वे आज फिर से जीवन की राह पर चल पड़े। जिनके चेहरे पर निराशा की लकीरें थीं, वहाँ अब आत्मविश्वास और प्रसन्नता की उजली मुस्कान खिली।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ शासन के उपमुख्यमंत्री अरुण साव ने इसे ऐतिहासिक क्षण बताते हुए कहा- नारायण सेवा संस्थान सचमुच अपने नाम को सार्थक कर रहा है। नर सेवा ही नारायण सेवा है। किसी परिवार में एक सदस्य असहाय हो जाए तो पूरा परिवार पीड़ा झेलता है, और जब वही सदस्य फिर से अपने पैरों पर खड़ा हो जाता है, तो पूरा परिवार जीवित हो उठता है। आज इन 400 जीवनों को जीने का नया उत्साह मिला है, यह दृश्य अद्भुत और हृदयस्पर्शी है।

विशिष्ट अतिथि छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक आयोग अध्यक्ष अमरजीत सिंह छाबडा ने कहा-
“धरती पर देवता उतर आए हैं जो किसी को नया हाथ, नया पैर दे रहे हैं। यह कितनी अद्भुत और महान सेवा है कि जो हाथ कभी लिख नहीं सकते थे, वे आज लिख सकेंगे; जो पैर चलना भूल चुके थे, वे अब फिर से डग भरेंगे।”

शिविर की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन से हुई। मंचासीन समाजसेवी ओपी निगम, संजय पारख, मीरा राव, डॉ अशोक भट्टड, सीताराम अग्रवाल,पंकज शर्मा व अनंत श्रीवास्तव सहित समस्त अतिथियों का स्वागत मेवाड़ी परंपरा से हुआ।

संस्थान के संरक्षक महेश अग्रवाल ने कहा—
“रायपुर में अप्रैल में हुए चयन शिविर में 500 से अधिक दिव्यांगजन आए थे, जिनमें से 382 आज कृत्रिम अंग पाकर नया जीवन पा रहे हैं। यह केवल अंग नहीं, बल्कि उनकी रुकी हुई ज़िंदगी को आगे बढ़ाने की चाबी है।” उन्होंने कहा 45 सदस्यीय टीम ने जर्मन टेक्नोलॉजी से बने नारायण लिंब का फ़िटमेंट किया। डॉक्टरों ने न केवल अंग लगाए, बल्कि उनके उपयोग और देखरेख की प्रशिक्षण भी दी। समारोह के दौरान लाभांवित दिव्यांगों की परेड ने सभी की आंखें नम कर दीं और हृदय गर्व से भर गया। शिविर समारोह के अंत में आभार हरि प्रसाद लढ्ढा ने व्यक्त किया वहीं संचालन महिम जैन ने किया।

नारायण सेवा संस्थान का सफर 1985 से आरम्भ हुआ। संस्थापक कैलाश मानव को पद्मश्री और हाल ही में सामुदायिक सेवा एवं सामाजिक उत्थान सम्मान से अलंकृत किया जा चुका है। संस्थान के अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल अपने मेडिकल, शिक्षा, कौशल विकास और खेल अकादमी के माध्यम से लाखों दिव्यांगों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ चुके हैं। 2023 में उन्हें राष्ट्रपति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। अब तक संस्थान 40 हज़ार से अधिक कृत्रिम अंग नि:शुल्क लगा चुका है और आज छत्तीसगढ़ में यह संकल्प और प्रबल हुआ कि यहां के दिव्यांगजन भी जीवन की राह पर आत्मगौरव से कदम बढ़ाएंगे।

Related Articles

Check Also
Close
Back to top button