Sharadiya Navratri : 22 सितंबर से शारदीय नवरात्र का शुभारंभ…! बन रहे हैं 3 शुभ संयोग…इन 5 राशियों के लिए रहेगा विशेष फलदायी

धर्म डेस्क, 20 सितंबर। Sharadiya Navratri : 22 सितंबर से शारदीय नवरात्र का शुभारंभ हो रहा है, जिसे शक्ति उपासना का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। नौ दिनों तक मां दुर्गा के नव रूपों की विधिवत पूजा की जाएगी। इस बार नवरात्र की शुरुआत ब्रह्म योग, शुक्ल योग और महालक्ष्मी राजयोग जैसे तीन शुभ योगों के साथ हो रही है, जिससे यह पर्व और भी विशेष बन गया है।
नवरात्र में विशेष
कलश स्थापना (घटस्थापना): नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना की जाती है, जिससे पूजा की शुरुआत होती है। मां दुर्गा की उपासना: हर दिन एक विशेष स्वरूप की आराधना होती है, जैसे शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा आदि। व्रत और अनुष्ठान: भक्त उपवास रखते हैं, हवन करते हैं, और मां की चौकी सजाते हैं। भजन-कीर्तन: घरों व मंदिरों में भक्त भक्ति संगीत व आरती के माध्यम से मां को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।
इस बार के प्रमुख शुभ योग
- ब्रह्म योग- ज्ञान, बुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए श्रेष्ठ।
- शुक्ल योग- शुभ कार्यों की सफलता में सहायक।
- महालक्ष्मी राजयोग- आर्थिक समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति में कारगर।
ये योग न केवल पूजा-पाठ के लिए, बल्कि धन, करियर और निजी जीवन में भी शुभ संकेत दे रहे हैं।
इन राशियों के लिए रहेगा विशेष शुभ
ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार की शारदीय नवरात्र निम्न 5 राशियों के लिए बेहद मंगलकारी सिद्ध हो सकती है:
- वृषभ (Taurus): आर्थिक लाभ और रुका हुआ पैसा मिलने के योग। व्यापार में उन्नति।
- कर्क (Cancer): पारिवारिक सुख-संपन्नता में वृद्धि। घर में मांगलिक कार्य के योग।
- कन्या (Virgo): करियर में उन्नति, नौकरी में पदोन्नति या नया अवसर मिल सकता है।
- धनु (Sagittarius): धार्मिक कार्यों में रुचि बढ़ेगी, साथ ही भाग्य प्रबल रहेगा।
- मीन (Pisces): आत्मिक शांति, ध्यान-भजन और आर्थिक संतुलन में सुधार के संकेत।
विशेषज्ञों की राय
शास्त्रों के अनुसार, शारदीय नवरात्र के दौरान की गई उपासना विशेष फलदायी होती है। यदि इन नौ दिनों में श्रद्धा व नियमपूर्वक मां दुर्गा की पूजा की जाए, तो जीवन के संकटों से मुक्ति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
22 सितंबर से शुरू हो रहे शारदीय नवरात्र न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बल्कि ज्योतिषीय रूप से भी बेहद महत्वपूर्ण हैं। शुभ योगों के संयोग में की गई साधना से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति हो सकती है।