छत्तीसगढ

विकास की चिड़िया को रमन सिंह ने 15 वर्षो तक कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार, घोटालों के पिंजड़े में कैद कर रखा और उड़ने नहीं दिया: शैलेश नितिन त्रिवेदी

विकास की चिड़िया को रमन सिंह ने 15 वर्षो तक कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार, घोटालों के पिंजड़े में कैद कर रखा और उड़ने नहीं दिया: शैलेश नितिन त्रिवेदी

रायपुर, 10 जुलाई। रमन सिंह द्वारा विकास की चिड़िया का पता पूछे जाने पर कांग्रेस संचार विभाग प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि विकास की चिड़िया को रमन सिंह जी ने 15 वर्षो तक कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार, घोटालों के पिंजड़े में कैद कर रखा और उड़ने नहीं दिया। रमन सिंह जी का चश्मा ही उल्टा है। रमन सिंह जी 15 वर्ष तक पूछते ही रह गये कि विकास किस चिड़िया का नाम है! हकीकत में तो रमन सिंह ने 15 साल तक विकास की चिड़िया को कैद रखा। छत्तीसगढ़ की जनता रमन सिंह के 15 वर्षो के कार्यकाल में मतदाताओं से धोखाधड़ी और आर्थिक अनियमितताओं की साक्षी रही है। रमन सिंह जी कमीशनखोरी, भ्रष्टाचार घोटालों, झीरम, झलियमारी, सारकेगुड़ा, नसबंदी कांड, अंखफोड़वा कांड, गर्भाशय कांड और अंतागढ़ को ही विकास समझते रहे। रमन सिंह जी का चश्मा 15 वर्षो तक उल्टा था और आज भी उल्टा है। आज भी रमन सिंह जी पूछ ही रहे हैं कि विकास की चिड़िया कहां उड़ रही है? दरअसल गलती रमन सिंह जी की नहीं है। गलत तो रमन सिंह जी की सोच है। विकास की सही परिभाषा की समझ ही नहीं है। जब पूरे देश की अर्थव्यवस्था गिरते जा रही है, छत्तीसगढ़ ने आर्थिक मोर्चे पर सफलता दर्ज की है। राज्य सरकार के फैसलों के परिणाम स्वरूप प्राप्त उपलब्धियों को नीति आयोग द्वारा भी स्वीकार किया जाता है, रमन सिंह जी का चश्मा सीधा होता तो यह सब दिखाई देता। रमन सिंह जी को यह सब अपने उल्टे चश्में नहीं दिखेगी। छत्तीसगढ़ में जब मजदूरों को मनरेगा में भरपूर काम मिल रहा है और छत्तीसगढ़ मनरेगा में काम देने वाले राज्यों में देश में सबसे आगे खड़ा है। मनरेगा में 100 दिन का काम मजदूरों को देने में छत्तीसगढ़ देश में सबसे आगे है। जब इन मनरेगा के मजदूरों को मजदूरी मिलती है और उससे वे अपने घर परिवार का खर्चा चलाते हैं गांव की किराना दुकान में सामान खरीदते हैं। विकास की चिड़िया इन मजदूरों के घरों में, इन मजदूरों की जरूरतों के पूरे होने में, उन किराना दुकान में, कस्बों के व्यापार-व्यवसाय की वृद्धि के रूप में छत्तीसगढ़ में विकास की चिड़िया उड़ रही है। छत्तीसगढ़ के किसान को उसके धान का सही दाम मिलता है और छत्तीसगढ़ का किसान उस पैसे से अपनी खेती की बढ़ोत्तरी के लिए अपने घर परिवार की जरूरतों के लिए सामान खरीदता है तो विकास की चिड़िया उस किसान के घर में उड़ रही होती है, व्यापार-व्यवसाय की बढ़ोत्तरी में विकास की चिड़िया उड़ रही होती है। पूरे देश में कोरोना लॉकडाउन के परिणाम स्वरूप व्यापार-व्यवसाय में मंदी है लेकिन छत्तीसगढ़ में व्यापार-व्यवसाय प्रगति कर रहा है। छत्तीसगढ़ में उद्योग जगत में निवेश भी हो रहा है। यह मजदूर, किसान, व्यापारी वर्ग की और पूरे छत्तीसगढ़ की खुशहाली विकास की चिड़िया है जिसे रमन सिंह जी ने 15 वर्षों में कमीशन खोरी, भ्रष्टाचार, घोटालों के पिंजड़े में कैद कर रखा और उड़ने नहीं दिया। विकास की चिड़िया को देख पाने में रमन सिंह जी अपने उल्टे चश्में के कारण असमर्थ है। छत्तीसगढ़ में कुपोषण के खिलाफ और गरीबी के खिलाफ बड़ी लड़ाई मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने छेड़ी है। रमन सिंह जी को तो विकास की चिड़िया नजर कहां से आएगी? दरअसल रमन सिंह जी का चश्मा 15 वर्ष उल्टा रहा और आज भी उल्टा ही है।

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