छत्तीसगढ

आयोग में आज 13 प्रकरणों की हुई सुनवाई…आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक का तल्ख अंदाज…झूठी शिकायत कर आयोग का समय न करें बर्बाद

रायपुर, 28 अक्टूबर। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने रायपुर जिले के पंजीकृत प्रकरणों की सुनवाई नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण के आलोक में राज्य शासन द्वारा समय-समय पर जारी किये गए निर्देशों का पालन करते हुए की। सुनवाई के दौरान सोशल डिस्टेंस एवं फिजिकल डिस्टेंस और सेनेटाइजर की व्यवस्था करते हुए एवं अन्य आवश्यक उपबंध करते हुए की गयी।
आज की सुनवाई में अध्यक्ष किरणमयी नायक के समक्ष एक उल्लेखनीय शिकायत प्रकरण प्रस्तुत हुआ जिसमें शिकायतकर्ता तिल्दा नेवरा की पार्षद, जिसने जोन कमीशनर के विरूद्व शिकायत की थी, जिसमें उभयपक्षों को सुनने के बाद जोन कमीशनर के द्वारा अपनी गलती स्वीकार करने, क्षमा याचना करने तथा भविष्य में ऐसा नहीं करने की बात कही है। महिला पार्षद अपने मोहल्लेंवासियों के शिकायत पर बिल्डर के द्वारा अवैध निर्माण किये जाने पर धरने पर बैठी थी।उक्त प्रकरण में अधिकारी के द्वारा महिला पार्षद को धमकी देने एवं प्रताड़ित करने की मंशा से नोटिस जारी किया। जिससें महिला पार्षद व्यथित होकर, छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग में शिकायत की थी।इस प्रकरण का निराकरण आपसी बातचीत से किया गया।इसी तरह आयोग के समक्ष एक उल्लेखनीय प्रकरण में शिकायतकर्ता महिला की शिकायत झूठी पाई गयी, उक्त प्रकरण में महिला शिकायतकर्ता के द्वारा जल संसाधन विभाग के विरूद्ध भुगतान को लेकर शिकायत की गई थी।महिला शिकायतकर्ता और अनावेदक पक्ष को सुनकर शिकायत में यह पाया गया की शिकायतकर्ता का शिकायत झूठी है इसलिए प्रकरण निराकृत किया गया।
एक अन्य प्रकरण में शिकायतकर्ता महिला की शिकायत पर अनावेदकगण के विरूद्ध शिकायत की गई। जिसमें उभयपक्षों को सुना गया,दोनों पक्षों ने सगाई में दिये गये सामानों को एक-दूसरे को वापस किया तथा उभयपक्षों ने नगद राशि वापस करने हेतु आयोग से समय की मांग की।
आज की में सुनवाई हेतु रायपुर जिले से 15 प्रकरण एवं दुर्ग जिले से 07 प्रकरण अर्थात् कुल 22 प्रकरण रखे गये थे।आज 13 प्रकरणों में ही पक्षकार उपस्थित हुए, जिसमें 02 प्रकरणों का सुनवाई पश्चात् निराकरण किया गया। अनेक प्रकरणों में पक्षकार के उपस्थिति नहीं होने पर अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित की गई है। आयोग द्वारा पति-पत्नी विवाद, दैहिक शोषण, मारपीट, प्रताड़ना, दहेज प्रताड़ना, कार्यस्थल पर प्रताड़ना, घरेलू हिंसा से सम्बंधित प्रकरणों की सुनवाई की गई।

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