इस महीने आ सकती है बच्चों की स्वदेशी वैक्सीन, Zydus-Cadila के टीके के तीसरे चरण का परीक्षण पूरा
नई दिल्ली, 5 जुन। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के सबसे अधिक प्रभावित होने की आशंका के बीच उनके लिए वैक्सीन की उपलब्धता सुनिश्चित करने की तैयारी हो रही है। उम्मीद की जा रही है कि इस महीने के अंत तक भारत में बच्चों के लिए स्वदेशी वैक्सीन उपलब्ध हो जाएगी। जायडस-कैडिला की स्वदेशी वैक्सीन के तीसरे चरण का परीक्षण पूरा हो चुका है और दो हफ्ते के भीतर कंपनी ड्रग कंट्रोलर जनरल आफ इंडिया (डीसीजीआइ) से इसके इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत मांग सकती है।
नीति आयोग के सदस्य और वैक्सीन पर गठित उच्चाधिकार समूह के प्रमुख डा. वीके पाल के अनुसार जायडस-कैडिला की वैक्सीन के ट्रायल में बड़ों के साथ-साथ 12 से 18 साल की उम्र के बच्चे भी शामिल रहे। इसलिए इस वैक्सीन के इस्तेमाल की इजाजत मिलने पर 12 से 18 साल की उम्र के बच्चों को भी यह वैक्सीन लगाई जा सकेगी। उन्होंने बताया कि जायडस-कैडिला की वैक्सीन के तीसरे चरण का ट्रायल का पूरा हो चुका है।
उन्होंने कहा कि कंपनी दो हफ्ते के भीतर इसके इस्तेमाल की मंजूरी के लिए आवेदन भी कर सकती है। कोरोना संक्रमण पर गठित विषय विशेषज्ञ समिति यानी एसईसी तीसरे चरण के परीक्षण के डाटा का विश्लेषण करेगी। सबकुछ सही पाए जाने पर समिति कोवैक्सीन, कोविशील्ड और स्पुतनिक-वी की तरह इसे भी भी इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति देने की सिफारिश कर सकती है। इसके बाद डीसीजीआइ से इसकी इजाजत मिलने में कोई समस्या नहीं रहेगी। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार एक बार कंपनी की ओर से आवेदन करने के बाद पूरी प्रक्रिया में लगभग दो हफ्ते का समय लग सकता है।
बच्चों के बीच प्राथमिकता नहीं
उन्होंने कहा कि वयस्कों और बुजुर्गो के वर्ग में जिस तरह से प्राथमिकता वाले समूह तय किए गए हैं, उस तरह से बच्चों में कोई प्राथमिकता समूह नहीं बनाई जा सकता। सभी आयु के बच्चों को समान रूप से वैक्सीन उपलब्ध होनी चाहिए।
लगभग 30 करोड़ डोज की जरूरत
डा. पाल के अनुसार देश में 12-18 साल के बच्चों की आबादी लगभग 14-15 करोड़ के बीच है। इनके टीकाकरण के लिए वैक्सीन की 28-30 करोड़ डोज की जरूरत होगी। अगर फाइजर और अन्य विदेशी कंपनियों से बच्चों की वैक्सीन आयात भी की जाती है तो कोई भी कंपनी इतनी ज्यादा मात्रा में डोज उपलब्ध कराने की स्थिति में नहीं होगी, इसलिए स्वदेशी वैक्सीन के सहारे ही बच्चों के टीकाकरण की रणनीति तैयार करनी होगी।
कोवैक्सीन का भी बच्चों पर हो रहा ट्रायल
डा. पाल ने बताया कि भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का भी बच्चों पर ट्रायल शुरू हो चुका है। कोवैक्सीन का दो से 18 साल के बच्चों पर ट्रायल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन के बच्चों पर ट्रायल पूरा होने में ज्यादा समय नहीं लगेगा क्योंकि इसमें सिर्फ यह देखा जा रहा है कि यह वैक्सीन बच्चों को कोरोना से बचाने में कितनी कारगर साबित हो रही है।