एक नई ऊंचाई पर भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी, अन्य देशों के लिए भारत किसी मसीहा से कम नहींं

नई दिल्ली, 25 मार्च। बीते एक वर्ष से अधिक समय से विश्व कोविड-19 महामारी की चपेट में है। इस महामारी ने पूरी दुनिया की रफ्तार को रोक दिया है। पहले इसकी वैक्सीन को लेकर गहमागहमी थी तो अब वैक्सीनेशन को लेकर गहमागहमी मची हुई है। दुनिया के कई देशों में बड़ी तेजी से वैक्सीनेशन का काम चल रहा है, तो कुछ में इसकी शुरुआत भी नहीं हो सकी है। इसकी वजह है कि वहां पर वैक्सीन की उपलब्धता नहीं है। ऐसे देश आर्थिक रूप से कमजोर हैं। इन देशों के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन की तरफ कोवैक्स योजना के तहत मदद की जा रही है। हालांकि वैक्सीन के उत्पादन को देखते हुए इसकी रफ्तार काफी धीमी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अलावा दुनिया के विभिन्न देशों को अपनी वैक्सीन मदद और कमर्शियल रूप से जो देश भेजने में अग्रणी रहे हैं उनमें भारत भी शामिल है।
आपको बता दें कि भारत ने जब अपनी वैक्सीन विकसित भी नहीं की थी तभी ये बात साफ कर दी थी कि वो अपनी वैक्सीन को मदद के तौर पर सबसे पहले अपने पड़ोसी देशों को मुहैया करवाएगा। स्वदेशी वैक्सीन सामने आने के बाद भारत ने अपनी कही इस बात को निभाया भी है। केंद्र सरकार के मंत्री द्वारा पेश आंकड़े बताते हैं कि भारत अब तक दुनिया के76 देशों को करोना वैक्सीन की छह करोड़ से अधिक खुराक मुहैया करवा चुका है। पूरे विश्व और संयुक्त राष्ट्र जैसी वैश्विक इकाई ने भी इस संबंध में भारत का लोहा माना है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटारेस खुलेतौर पर इस बात को कह चुके हैं कि भारत न सिर्फ अपने देशवासियों की बल्कि पूरी दुनिया के लोगों की मदद कर रहा है। वैक्सीन भेजने के मामले में ही नहीं बल्कि भारत अपने यहां पर किए जा रहे वैक्सीनेशन के मामले में भी कई देशों से काफी आगे है। भारत में अब तक छह करोड़ से अधिक लोगों का वैक्सीनेशन किया जा चुका है। भारत में अब वैक्सीनेशन का नया दौर शुरू होने वाला है जिसके तहत 45 वर्ष से ऊपर की आयु के लोग वैक्सीन लगवा सकेंगे।
आपको बता दें कि मौजूदा समय में भारत कोरोना संक्रमितों की संख्या के मामले में विश्व में तीसरी पायदान पर है। लेकिन वैक्सीनेशन के मामले में काफी आगे है। इसके अलावा भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी अब एक नई ऊंचाई पर जाने वाली है। दरअसल, पिछले दिनों ही क्वाड की बैठक में ये तय किया गया है कि भारत को कोरोना वैक्सीन के उत्पादन में मदद की जाएगी। इसके तहत वैक्सीन का उत्पादन बढ़ाया जाएगा। आपको बता दें कि पूरी दुनिया में वैक्सीन निर्माता के तौर पर भारत सबसे ऊपर आता है। भारत के पास इसके उत्पादन की पूरी क्षमता और तकनीक है जिसमें अन्य देश काफी पीछे हैं। भारत ने वैक्सीन आने से पहले भी खुद को साबित किया है। भारत ने उस वक्त कई देशों को देश में निर्मित पीपीई किट और दवाइयां उपलब्ध करवाई थीं।
विदेश मामलों के जानकार प्रोफेसर हर्ष वी पंत मानते हैं कि इससे भारत की छवि और बेहतर हुई है। महामारी की वजह से भारत की अहमियत दुनिया को अच्छे से समझ में आ गई है। वैक्सीन डिप्लोमेसी में भारत ने अपना दायरा काफी बढ़ाया है। आपको बता दें कि पहले भारत की वैक्सीन डिप्लोमेसी में पड़ोसी देश पाकिस्तान शामिल नहीं था। लेकिन अब परिस्थितियां बदलती हुई दिखाई दे रही हैं। इसलिए मुमकिन है कि आने वाले दिनों में भारत पाकिस्तान को भी वैक्सीन की सप्लाई कर दे। आपको बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की कोवैक्स योजना के तहत बनी वैक्सीन का भी उत्पादन भारत में ही हो रहा है। यहां से ही वो दूसरे देशों को भेजी जा रही हैं। इस योजना के तहत लाभ लेने वालों में पाकिस्तान का नाम भी शामिल है। इसलिए पाकिस्तान को भी वैक्सीन की सप्लाई काफी हद तक भारत से ही होगी। इस तरह से जानकारों की राय में भारत सीधे नहीं तो दूसरे रास्ते से कहीं न कहीं पाकिस्तान की मदद ही कर रहा है।
पूरी दुनिया में कोरोन वायरस एक बार फिर से घातक होता जा रहा है। कई देशों में मामलों में कमी आने के बाद दोबारा वहां पर संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। भारत भी इनमें से एक है। इसके अलावा अमेरिका और यूरोपीय देश भी दोबारा मामलों के बढ़ने से परेशान हैं। कई देशों में कोरोना के नए स्ट्रेन के सामने आने के बाद हालात ज्यादा तेजी से खराब हो रहे हैं। वैज्ञानिक इस बात को पहले ही कह चुके हैं कि ब्रिटेन में मिला कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन अधिक तेजी से संक्रमित करता है। इसके अलावा ये भी बात सामने आ चुकी है कि ये पहले के वेरिएंट की तुलना में अधिक खतरनाक भी है।
आपको बता दें कि अब तक पूरी दुनिया में इस वायरस के करीब 8-9 हजार वेरिएंट सामने आ चुके हैं जिनमें कुछ बेहद खतरनाक भी हैं। इनमें से कुछ वेरिएंट ऐसे भी हैं जिनपर मौजूदा कोरोना वैक्सीन के साइड इफेक्ट देखने को मिले हैं। एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफॉर्ड की विकसित की गई कोरोना वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद लोगों के शरीर में खून के थक्के जमने की बात पहले ही सामने आ चुकी है। हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ये साफ कर चुका है कि इस वैक्सीन से खतरा कम है और फायदा अधिक है। इसलिए संगठन ने इसको बंद न करने और लोगों को भी इसको लेने की सलाह दी है।