राष्ट्रीय

किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे, आज मनाएंगे काला दिवस, दिल्ली पुलिस की कड़ी निगरानी

नई दिल्ली, 26 मई। तीन कृषि कानूनों के विरोध में बीते साल शुरू हुए आंदोलन को आज यानि 26 मई को छह महीने पूरे हो गए हैं। इस मौके पर किसान संगठनों ने घोषणा की है कि वे आज ‘काला दिवस’ मनाएंगे। किसान संगठनों ने अपील की है कि कृषि कानूनों के विरोध में लोग आज अपने घरों, वाहनों, दुकानों पर काला झंडा लगाएं। किसान मोर्चा की ओर से किए गए इस आह्वान को कांग्रेस समेत 14 प्रमुख विपक्षी दलों ने अपना समर्थन दिया है। लगभग 30 किसानों के संघ, संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रदर्शन भी करने का फैसला किया है, हालांकि दिल्ली पुलिस ने कहा कि विरोध या रैली के लिए कोई अनुमति नहीं दी गई है और प्रदर्शनकारियों से कानून और व्यवस्था बनाए रखने और कोविड नियमों का पालन करने की अपील की है।

समर्थन में काले कपड़े पहनने की अपील

किसान नेताओं ने लोगों से आंदोलन को समर्थन दिखाने के लिए काले कपड़े पहनने को भी कहा है। किसान संगठन ने कहा ‘चौराहों में नारेबाजी के साथ धरना-प्रदर्शन भी होना चाहिए। घरों, दुकानों, कार्यालयों, ट्रैक्टरों, कारों, जीपों, स्कूटरों, मोटरसाइकिलों, बसों और ट्रकों पर काले झंडे लगाकर नागरिकों को तीन कृषि कानूनों, बिजली संशोधन विधेयक और प्रदूषण अध्यादेश का विरोध करना चाहिए’।

जमावड़ा बन सकता है कोरोना का सुपरस्प्रेडर 

विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि इस तरह का कोई भी जमावड़ा कोरोना के सुपरस्प्रेडर इवेंट में बदल सकता है। खासकर ऐसे समय में जब राजधानी में कुछ हफ्तों के कड़े लॉक डाउन के बाद कोरोना के मामले घट रहे हैं।

दिल्ली पुलिस की कड़ी निगरानी

किसानों की ओर से ‘काला दिवस’ मनाये जाने की घोषणा के बीच दिल्ली पुलिस ने लोगों से कोरोना की स्थिति और लॉकडाउन के कारण सभाएं न करने की अपील की है। पुलिस ने बताया कि सीमाओं पर आंदोलन स्थलों पर किसी भी स्थिति से निपटने के लिए कड़ी निगरानी रखी जा रही है। दिल्ली पुलिस की ओर से बयान जारी कर कहा गया है कि अगर कोई भी व्यक्ति कानून अपने हाथों में लेने का प्रयास करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि सिंघू, टीकरी और गाजीपुर समेत सभी सीमाओं पर जवान पहले से ही मौजूद हैं, किसी भी गैर कानूनी गतिविधि या प्रवेश की अनुमति किसी को नहीं दी जाएगी।

बीते साल 26 नवंबर से किसानों का आंदोलन शुरू हुआ था। इस छह माह में आंदोलन के कई रंग देखने को मिले। इस बीच किसानों की सरकार से आठ दौर की वार्ता हुई जो सारी विफल रहीं। 29 जनवरी को जब राकेश टिकैत के रो जाने पर हजारों किसान फिर से यूपी गेट पर जुट गए थे तो बातचीत की उम्मीद जगी थी। इसके बाद गन्ना व गेहूं कटाई के चलते भीड़ घटती चली गई। फिर कोरोना के चलते तो संख्या हजार से भी नीचे चली गई। अब पांच किलोमीटर में फैले तंबुओं का दायरा काफी सिमट गया है। कोरोना के कारण आंदोलनस्थल के प्रवेश द्वारों को बंद कर दिया गया है।

नवजोत सिंह सिद्धू ने घर पर लगाया काला झंडा

किसान आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस नेता एवं और मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू व उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू ने मंगलवार को ही अपने पटियाला स्थित आवास की छत पर काला झंडा लगाया। दूसरी ओर, सिद्धू के पटियाला स्थित आवास पर उनकी बेटी राबिया ने काला झंडा लगाया। यहां सिद्धू ने आंदोलन को समर्थन देने की बात दोहराई और पत्नी के साथ जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल का जयकारा भी लगाया। सिद्धु ने सोमवार को ही काला झंडा फहराने की घोषणा की थी।

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