कैबिनेट आज : पेट्रोल-डीजल पर वैट समेत स्कूल खोलने के फैसले पर पहल कर सकती है भूपेश सरकार
रायपुर, 22 नवबंर। छत्तीसगढ़ सरकार सोमवार को दो बड़ी रियायतों की घोषणा कर सकती है। सरकार के सामने पेट्रोल-डीजल पर वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) को कम करने का प्रस्ताव है। वहीं स्कूलों को 100% उपस्थिति के साथ संचालित करने का प्रस्ताव भी है। इसी बैठक में धान खरीदी नीति के मसौदे पर भी मुहर लगेगी। राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इन तीन महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर फैसला होना है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अध्यक्षता में सोमवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक होनी है। मुख्यमंत्री निवास में यह बैठक दोपहर 12 बजे से शुरू होगी। बताया जा रहा है कि इस बैठक में प्रस्तावों की लंबी सूची है, जिस पर सरकार को फैसला लेना है। इसमें वाणिज्यिक कर विभाग का प्रस्ताव सबसे महत्वपूर्ण है। इसमें पेट्रोल-डीजल पर VAT कटौती की बात कही गई है।
बताया जा रहा है कि विभाग ने 5-6 रुपए कटौती का प्रस्ताव दिया है। अगर इस प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद की मंजूरी मिलती है ताे लोगों को महंगाई से बड़ी राहत मिल जाएगी। वहीं स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों को टोटल अनलॉक का प्रस्ताव दिया है। इसको मंजूरी मिली तो स्कूलों में 100% उपस्थिति के साथ कक्षाओं का संचालन शुरू हो जाएगा। अभी एक दिन में कुल रजिस्टर विद्यार्थियों के आधे हिस्से को ही बुलाया जाता है।
पेट्रोल-डीजल की कीमत कम रखने की चुनौती
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछले दिनों कहा था, छत्तीसगढ़ में VAT सबसे कम है। पड़ोसी राज्यों की तुलना में कीमतों को कम रखा जाएगा। ऐसे में सरकार के सामने बड़ी चुनौती है। अभी डीजल की कीमतें कई प्रदेशों में छत्तीसगढ़ से कम हैं। वहीं पेट्रोल की कीमत उत्तर प्रदेश में कम है। अब देखना हाेगा कि राजस्व दबाव से जूझ रही सरकार उपभोक्ताओं को अपनी तरफ से कितनी राहत दे पाती है।
संकटों से घिरी धान खरीदी
इस बैठक में धान खरीदी नीति और उससे जुड़ी परेशानी चर्चा का प्रमुख केंद्र रहने वाली हैं। सरकार ने एक दिसंबर से धान की सरकारी खरीदी करने की घोषणा की है। अगले कुछ महीनों में 1 लाख 5 हजार मीट्रिक टन धान खरीदने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए 5 लाख गठान बारदाना चाहिए होगा। अभी सरकार के पास 3 हजार गठान ही मौजूद है। वहीं केंद्र सरकार ने उसना चावल लेने से मना कर दिया है। ऐसे में करीब 500 राइस मिलों पर संकट है। वहीं 61 लाख मीट्रिक टन अरवा चावल देने के लिए मौजूदा राइस मिलों की क्षमता नाकाफी है।