कोरोना महामारी बार-बार आएगी और आगे कोविड-26 और कोविड-32 में भी बदलने के चांस! चीन दे साथ तो बचें
नई दिल्ली, 31 मई। भारत समेत पूरी दुनिया कोरोना महामारी की चपेट में है। अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी और करोड़ों इससे संक्रमित हो चुके हैं। लोग जल्द से जल्द इस महामारी से मुक्ति की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन इसी बीच अमेरिका के दो अग्रणी संक्रामक रोग विशेषज्ञों ने गंभीर चेतावनी दी है। कोरोना महामारी कब जाएगी यह कहना तो मुश्किल है, लेकिन इनके मुताबिक यह जरूर है कि यह बार-बार आएगी और तब तक आती रहेगी जब कि मौजूदा महामारी की उत्पत्ति का पता नहीं लगा लिया जाता।
कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर दो तरह की संभावनाएं
कोरोना वायरस की उत्पत्ति को लेकर दुनिया में दो तरह की संभावनाओं पर बहस चल रही है। एक कि यह जानवरों से इंसान में आया और दूसरा कि इसे चीन की वुहान लैब में तैयार किया गया। ट्रंप सरकार में खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) में कमीश्नर रह चुके और अब अमेरिकी दवा कंपनी फाइजर इंक के बोर्ड के सदस्य स्काट गोटलीब का कहना है कि जो जानकारी सामने आ रही हैं वो कोरोना वायरस के चीन की लैब में बनाए जाने की संभावना को मजबूत करती हैं।
सीबीएस न्यूज के ‘फेस द नेशन’ कार्यक्रम में गोटलीब ने कहा कि चीन ने अभी तक ऐसे कोई साक्ष्य नहीं दिए हैं, जो उसकी लैब में कोरोना वायरस को बनाने की संभावना को खारिज करते हों। वहीं अब तक की जांच में ऐसे कुछ लक्षण भी नहीं दिखे हैं जिससे इसके जानवरों से इंसानों में फैलने की संभावना को बल मिलता हो। उन्होंने कहा कि उत्पत्ति के बारे में जानने के लिए चीन का सहयोग बहुत जरूरी है।
कोविड-19 नहीं समझ तो कोविड-26 और कोविड-32 होते रहेंगे
वहीं, टेक्सास चिल्ड्रेंस हास्पिटल सेंटर फार वैक्सीन डेवलपमेंट के सह निदेशक पीटर होटेज ने एनबीसी के ‘मीट द प्रेस’ कार्यक्रम में कहा कि जब तक हम कोविड-19 की उत्पत्ति को पूरी तरह नहीं समझ नहीं लेते हैं, तब तक कोविड-26 और कोविड-32 होते रहेंगे।
कोरोना वायरस के सामने आए लगभग डेढ़ साल हो गए हैं, लेकिन अभी तक इसकी उत्पत्ति का पता नहीं लग पाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन खुफिया एजेंसियों को तीन महीने के भीतर इसका पता लगाने का आदेश दे चुके हैं।
होटेज कहते हैं कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति का पता लगाने के लिए चीन के हुबई प्रांत में विज्ञानियों, महामारी रोग विशेषज्ञों, विषाणु विज्ञान विशेषज्ञों को कम से कम छह से एक साल तक गहर जांच करने की जरूरत है।
इससे पहले भी कई विज्ञानी जांच की जरूरत जता चुके हैं। दुनिया के तमाम देश विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा एक बार फिर इसकी जांच की मांग कर रहे हैं। डब्ल्यूएचओ अपनी पहली जांच रिपोर्ट में भी विस्तृत जांच की बात कह चुका है। इसके बावजूद चीन अड़ा हुआ है। वह लैब से वायरस के लीक होने की दलील को तो खारिज करता है, लेकिन सचा का पता लगाने के लिए अपने यहां जांच की अनुमति भी नहीं देता। चीन की इस दोहरी चाल से ही दुनिया को लगता है कि कोरोना वायरस कृत्रिम है, प्राकृतिक नहीं है।