छत्तीसगढ

छत्तीसगढ़ में विपक्ष ने धान खरीदी में गड़बड़ी का आरोप लगाया, चर्चा की मांग नहीं मानी तो हुआ हंगामा, रोकनी पड़ी सदन की कार्यवाही रायपुर

रायपुर, 24 फरवरी। विधानसभा में शून्यकाल शुरू होते हुए धान का मुद्दा फिर उठा। विपक्ष ने धान खरीदी में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए चर्चा की मांग की। भाजपा विधायकों ने कहा, पिछले वर्ष केंद्र सरकार ने 28 लाख मीट्रिक टन चावल जमा करने की अनुमति दी थी। सरकार उसे जमा नहीं कर पाई। किसानों से खरीदा गया हजारों करोड़ रुपए का धान समितियों और संग्रहण केंद्रों में पड़ा-पड़ा सड़ गया।

विपक्ष की चर्चा की मांग को तकनीकी आधार पर खारिज कर दिया गया। इसके बाद विपक्ष आक्रामक हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने कहा, धान का सवाल किसान के जीवन से जुड़ा हुआ है। संग्रहण बंद कर दिया गया है। समितियों में जाम की स्थिति है। सरकार से हम इस विषय पर श्वेतपत्र जारी करने की मांग करते हैं। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, खरीदी प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है। जीवित किसान को कागज में मृत बता दिया गया। आरंग के विजय निषाद नाम के किसान के साथ ऐसा हुआ। उसका धान नहीं खरीदा गया। पूरी धान खरीदी कमीशन की भेंट चढ़ गई। समितियों में रखा धान बारिश की वजह से सड़ रहा है। उन्होंने कहा, सरकार अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश न करे।

भाजपा विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने कहा, मीलिंग से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक में कमीशन मांगा जा रहा है। सरकार कितना कमीशन लेगी? कमीशन के खेल की वजह से छत्तीसगढ़ का धान सड़ जाएगा। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ में ऐसा कभी नहीं हुआ कि धान की मीलिंग में देरी हुई हो। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ विधायक दल के नेता धर्मजीत सिंह ने कहा, सभी जगह समितियों में धान जाम है। खुले में खराब हो रहा है। उसे ढंकने के लिए पॉलिथीन भी नहीं है। कब तक धान भगवान भरोसे पड़ा रहेगा। बसपा विधायक केशव चंद्रा ने कहा, किसान इसलिए धान नहीं उगाता कि वह पड़े-पड़े सड़ जाये।

आसंदी की ओर से स्थगन प्रस्ताव को नामंजूर हो जाने के बाद विपक्ष ने सदन में नारेबाजी शुरू कर दी। जवाब में कांग्रेस विधायक भी अपनी जगह से खड़े होकर नारेबाजी करने लगे। एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गये। कांग्रेस विधायकों ने नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले और नान की डायरी का जिक्र शुरू कर दिया। हंगामें की स्थिति को देखते हुए सदन की कार्यवाही पांच मिनट के लिए रोकनी पड़ी। उसके बाद मामला शांत हुआ।

धान का हिसाब देने में फंसे खाद्य मंत्री, मुख्यमंत्री को करना पड़ा हस्तक्षेप

प्रश्नकाल के दौरान खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री अमरजीत भगत धान का हिसाब देने में बुरी तरह फंस गये। वर्ष 2019-20 में खरीदे गये धान में कटम मीलिंग से बच गये धान और FCI में जमा कराये गये चावल को लेकर भाजपा विधायकों ने सवाल पूछा। जवाब में खाद्य मंत्री बुरी तरह फंस गयेे। उनके जवाबों से असंतुष्ट विपक्ष ने हंगामा किया। नेता प्रतिपक्ष ने मंत्री पर झूठ बाेलने तक का आरोप लगा दिया। हंगामा इतना बढ़ा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को इस मामले में खुद हस्तक्षेप करना पड़ा।

प्रश्नकाल में भाजपा विधायक अजय चंद्राकर के सवाल पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बताया, 2019-20 में खरीदे गए 3.44 लाख मीट्रिक टन धान की अभी तक कस्टम मीलिंग पूरी नहीं की जा सकी है। वह धान समितियों और संग्रहण केंद्रों में रखे हैं। केंद्र सरकार ने सेंट्रल पूल में जमा करने के लिए 28 लाख मीट्रिक टन चावल जमा कराने की अनुमति दी थी, लेकिन 24 लाख मीट्रिक टन चावल ही जमा कराया जा सका। मंत्री ने इसकी वजह आदेश मिलने में देरी और कोरोना काल की दिक्कतों को बताया। भाजपा विधायकों के सवाल पर मंत्री अमरजीत भगत ने बताया, बचे हुए धान की कस्टम मीलिंग के बाद नागरिक आपूर्ति निगम के पास जमा किया जा रहा है।

विपक्ष की ओर से मंत्री को खुली चुनौती

विधायक अजय चंद्राकर ने भारतीय खाद्य एवं मानक प्राधिकरण का हवाला देते हुए पूछा कि क्या एक साल पुराना चावल सार्वजनिक वितरण प्रणाली में लोगों को दिया जा सकता है। जवाब में मंत्री ने कहा, विभाग के पास क्वालिटी इंस्पेक्टर हैं। उनकी जांच के बाद ही चावल जमा किया जाता है। इसके बाद भाजपा विधायकों ने मंत्री अमरजीत भगत को सीधी चुनौती दे डाली। विधायक अजय चंद्राकर ने कहा, अगर उनमें हिम्मत है तो चावल जमा करने के नार्म्स सदन के सामने रखें।

मंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगा

भाजपा विधायक शिवरतन शर्मा के सवाल पर मंत्री अमरजीत भगत ने बताया, दिसम्बर में उन्हें चावल जमा करने की पहली अनुमति मिली। उसके बाद चार बार समय-सीमा बढ़ाई गई। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने मंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, उनके सवाल के जवाब में मंत्री ने सितम्बर में जमा करने की जानकारी दी है। भाजपा विधायकों ने धान खरीदी में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया।

मुख्यमंत्री बोले, गड़बड़ी की कोई मंशा नहीं

हंगामें के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, सरकार की मंशा गड़बड़ी की नहीं है। धान और किसान का सम्मान होना चाहिए। पिछली बार बार-बार आग्रह के बाद दिसम्बर में चावल जमा करने की अनुमति मिली। उसी बीच कोरोना आ गया। ऐसे में विलम्ब हुआ है। इस बार भी पहले 60 लाख मीट्रिक टन चावल की अनुमति मिली थी। लेकिन प्रधानमंत्री से बात करने के बाद 3 जनवरी को केवल 24 लाख मीट्रिक टन चावल जमा करने की अनुमति दी। सरकार अब भी केंद्र सरकार के साथ बातचीत कर इसे बढ़ाने की कोशिश कर रही है। वे कल भी केंद्रीय खाद्य मंत्री से मिलने जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, विषय महत्वपूर्ण है इसके लिए अलग से आधे घंटे की चर्चा की जा सकती है।

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