छह माह के शिशु का लीवर ट्रांसप्लांट चुनौती था, मिली सफलता: डॉ. स्वप्निल शर्मा
रायपुर। लीवर ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन करना हमेशा चुनौतीपूर्ण रहा है। बात जब 6 माह के शिशु के लीवर ट्रांसप्लांट की बात हो तो यह ऑपरेशन किसी चुनौती से कम नहीं है। रायपुर के कुंदु परिवार में कोलकाता में जन्मे पीयूष को बिलारी अत्रेसिया (पित्त संबंधी समस्या थी) कोलकाता, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक के अस्पताल में भी बच्चे के माता-पिता को जांच के उपरांत बच्चे की बीमारी का हल नहीं मिला। मुंबई में फोर्टिस हॉस्पिटल मुलुंद में छत्तीसगढ़ के निवासी डॉ. स्वप्निल शर्मा ने जांच के उपरांत उक्त शिशु के आपरेशन को चुनौती मानते हुए इलाज शुरू किया। 12 से 14 घंटे तक चलने वाले उक्त आपरेशन में अंतत: उन्हें सफलता मिली। उक्त सफलता की जानकारी उन्होंने रायपुर प्रेसक्लब पहुंचकर पत्रकारवार्ता में मीडिया से साझा की।
डॉ. शर्मा ने बताया कि उक्त ऑपरेशन के दौरान शिशु के पेट में भरे पानी को निकालकर अन्य स्थितियों को सकारात्मक बनाने में उन्हें अपनी शल्य क्रिया के दौरान अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ी। उक्त आपरेशन में उनके सहयोगी डॉ. गौरव गुप्ता, कन्सल्टेंट लीवर ट्रांसप्लांट एंड एचबीपी सर्जरी ने और उनकी टीम ने बच्चे की नानी के लीवर का कुछ हिस्सा निकालकर पीयूष के लीवर में जोड़ा। उक्त आपरेशन में साढ़े सोलह लाख की लागत आती है। तीस प्रतिशत की छूट के उपरांत बच्चे के माता पिता ने जनसहयोग से तीस लाख रूपए की राशि बच्चे के इलाज में व्यय की। उन्होंने बताया कि रायपुर हर महीने के दूसरे शनिवार को साहू डायग्नॉस्टिक सेंटर फरिश्ता काम्पलेक्स में आते हैं। 9 नवंबर 14 दिसंबर एवं 11 जनवरी को वे उक्त संस्थान में सुबह 11 से 2 बजे एवं शाम को 4 बजे से 6 बजे के मध्य मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध रहेंगे।