छत्तीसगढ

वाणिज्यकर विभाग के व्यवसायिक संघों के प्रतिनिधियों के चर्चा में शामिल हुआ कैट CG चैप्टर, माल एवं सेवाओं की करदरों पर पुनर्विचार के लिए टी.एस.सिंहदेव को सुझाव का सौंपा ज्ञापन

रायपुर, 7 अक्टूबर। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी, चेयरमेन मगेलाल मालू, अमर गिदवानी, प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, परमानन्द जैन, वाशु माखीजा, महामंत्री सुरिन्द्रर सिंह, कार्यकारी महामंत्री भरत जैन, कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल एवं मीड़िया प्रभारी संजय चौंबे ने बताया कि टी.एस.सिंहदेव, मंत्री, वाणिज्यकर विभाग द्वारा व्यवसायिक संघों के प्रतिनिधियों से माल एवं सेवाओं की करदरों पर पुनर्विचार किये जानें हेतु चर्चा में कैट सी.जी. चैप्टर के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी के नेतृत्व में एक प्रधिनिधी मंडल शामिल हुआ।

कैट सी.जी. चैप्टर के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र दोशी ने बताया कि आज माननीय टी.एस.सिंहदेव, मंत्री, वाणिज्यकर विभाग द्वारा व्यवसायिक संघों के प्रतिनिधियों से माल एवं सेवाओं की करदरों पर पुनर्विचार किये जानें चर्चा हेतु कैट सी.जी. चैप्टर को आमत्रिंत किया गया था। जिसमें कैट सी.जी. चैप्टर ने अपने सुझाव दिये।

कैट द्वारा दिये गये सुझाव

जीएसटी कौंसिल की बैठक में स्टेशनरी वस्तु “पेन“ पर जीएसटी 12 प्रतिशत बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है, जो 1 अक्टूबर 2021 से लागू हो गया है।

इसके पश्चात् स्टेशनरी वस्तु “पेन“ महंगे हो गये है। कोरोना काल में स्कूल-कालेज बंद होने के कारण स्टेशनरी व्यवसायी को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ा है।

जीएसटी लागू करने के पूर्व, केन्द्र सरकार ने टैक्स में संशोधन कर “एक देश-एक कर“ की बात की थी, लेकिन स्टेशनरी वस्तुओं को 5 टैक्स स्लेब में रखा गया है।

जिस पर पूर्व में भी व्यापारियों द्वारा टैक्स में छूट देने हेतु निवेदन किया गया था, परंतु इस पर कोई संशोधन नहीं हुआ, बल्कि स्टेशनरी वस्तु में पुनः जीएसटी बढ़ा दी गई है।

इससे निम्न वर्ग के विद्यार्थियों एवं स्टेशनरी विक्रेताओं को आथि्र्ाक भार वहन करना पड़ रहा है।

जबकि सरकार गांव-गांव साक्षरता अभियान चलाकर शिक्षा को बढ़ावा देने की बात कर रही है, इसके तहत स्कूल के बच्चों के शिक्षा संबंधी वस्तुओं को करमुक्त श्रेणी में रखकर स्कूली बच्चों को राहत दिलाने की कृपा करें।

प्रयोग की गई वाहन

न्ेमक टमीपबसम च्तम व्ूदमक टमीपबसमद्ध के विक्रय पर कम दर ;स्वूमत तंजमद्ध से जी.एस.टी. लगाई जानी चाहिए। चूंकि नये वाहनों का विक्रय बहुत हद तक पुराने प्रयोग किए गए वाहनों के विक्रय पर निर्भर है यदि प्रयोग किए गए वाहन अधिक संख्या में बिकेंगे तो नये वाहनों के विक्रय में भी तेजी आयेगी और राजस्व में वृद्धि होगी अतः प्रयोग किए गए वाहन करमुक्त किये जाने चाहिए। कृषि उपकरण (जैसे मोटर पम्प सेट, केवल पावर, पाईप, कन्ट्रोल स्टाटर आदि) पर क्रमशः 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत है चूकि छत्तीसगढ/भारत कृषि प्रधान प्रदेश/देश है, यहां किसानों की माली हालत ठीक नहीं है, उनके हितों को ध्यान में रखते हुए कृषि मोटर पम्प, डीजल पम्प, सबमर्सिबल पम्प, पाईप, केबल पावर, स्टार्टर कन्ट्रोल पैनल आदि आयटमों पर 5 प्रतिशत कर की दर की जानी चाहिए।

जीएसटी मे केक और पेस्ट्री को 18 प्रतिशत के टेक्स स्लैब में रखा गया है जबकि मिठाई को 5 प्रतिशत के स्लैब मे रखा गया है और दोनों ही उत्पाद के मूल कच्च पदार्थ मैदा, तेल, शक्क्रर और डालडा है। सिर्फ बनाने की प्रक्रिया बदलने की वजह से किसी उत्पाद के टैक्स स्लैब को बदलना न्यायोचित नहीं है। केक, पेस्ट्री और बेकरी बिस्कीट आदि को मिठाई की तरह 5 प्रतिशत कर की सीमा में रखना चाहिए। सायकल, ट्राई सायकल, सायकल रिक्सा एवं पार्टस में अभी जीएसटी के चारो स्लेब अर्थात 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 28 प्रतिशत, लागू है। ठीक उसी प्रकार जुते के व्यवसाय पर जीएसटी की 5 प्रतिशत एवं 12 प्रतिशत कर की दर लागू है।

कपड़ों पर जीएसटी दरों में कटौती के संबंध में

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारा देश पिछले 2 वर्षों से महामारी की स्थिति का सामना कर रहा है, पिछले 2 वर्षों में महामारी के कारण परिधान उद्योग अत्यधिक प्रभावित हुआ है, वर्तमान स्थिति को देखते हुए हम जीएसटी स्लैब में कमी के संबंध में सरकार से कुछ समर्थन की उम्मीद कर रहे थे, अब तक परिधान उद्योग में जीएसटी के 2 स्लैब 1000/- से नीचे 5 प्रतिशत, और 1000/- से ऊपर 12 प्रतिशत हैं। और हम आपसे अनुरोध करना चाहते हैं कि 12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब को 5 प्रतिशत स्लैब में परिवर्तित किया जाएगा एवं कपड़ों पर केवल एक ही कर की दर लागू होगी। यह परिधान व्यवसाय में अधिक मात्रा भी उत्पन्न करेगी, जिससे अंततः अधिक कर संग्रह होगा, जिससे सरकार और परिधान उद्योग दोनों को लाभ होगा। इसलिए हमारा विनम्र अनुरोध है, कि 12 प्रतिशत स्लैब के जीएसटी स्लैब को घटाकर 5 प्रतिशत, स्लैब करने पर विचार करें।

श्री दोशी ने माननीय मंत्री जी से अनुरोध किया कि समान व्यवसायों पर जीएसटी की विभिन्न दर लागू होने के कारण व्यापारियों को व्यापार में कर की गणना एवं हिसाब किताब रखने में तकलीफ आ रही है एवं संदेह की स्थिति उत्पन्न हो रही है। उपरोक्त सभी कारणों को ध्यान मे रखते हुए उपरोक्त व्यवसायों में जीएसटी का रेट एक ही स्लेब में ही रखा जाना उचित होगा। श्री दोशी ने आगे कहा कि माननीय मंत्री जी ने ज्ञापन का ध्यानपूर्वक अवलोकन किया और सकारात्मक आश्वासन दिया ।

उपरोक्त परिचर्चा में कैट सी.जी. चैप्टर के पदाधिकारी मुख्य रूप से उपस्थित रहे जितेन्द्र दोशी, परमानन्द जैन, वासु माखीजा, सुरिन्द्रर सिंह, भरत जैन, विजय शर्मा, अजय अग्रवाल एवं विजय गोयल आदि।

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