छत्तीसगढ

2 अप्रैल विश्व ऑटिज्म दिवस: ऑटिज्म की जानकारी बढ़ाकर, कर सकते हैं ऐसे बच्चों की मदद

रायपुर। ऑटिज्म की पहचान कर पाने में असमर्थता और जागरूकता की कमीं से पीड़ित चिन्हित नहीं हो पाते हैं। विशेषकर छोटे बच्चे इससे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए जागरूकता बेहद जरूरी है। अभिभावक कम उम्र के ऐेसे बच्चों के व्यवहार को देखकर ऑटिज्म का पहचान कर लेंगे तो उनकी मदद की जा सकती है। जिला अस्पताल रायपुर और कालीबाड़ी अस्पताल में ऑटिज्म बीमारी के प्रति अभिभावकों को बराबर जागरूक किया जा रहा है।

जिला अस्पताल के डीईआईसी विभाग में सामाजिक चेतना कार्यक्रम के तहत समाज में बीमारी के प्रति जागरूकता लाने का प्रयास किया जाता है। कार्यक्रम में बीमारी से पीड़ित बच्चों के अभिभावकों को बाल रोग विशेषज्ञों द्वारा ऑटिज्म के विभिन्न पहलुओं के बारे में जानकारी दी जाती है, जैसे- ऑटिज्म से पीड़ित और सामान्य बच्चों में अंतर, ऑटिज्म बीमारी से ग्रसित बच्चों का व्यवहार आदि।

4 साल से इलाज सुविधा– जिला अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. निलय मोझरकर ने बताया ऑटिज्म एक दिव्यांगता है जिसमें दिमाग सूचनाएं एवं शब्द सही से प्रोसेस नहीं हो पाते हैं। बच्चे को समझने, हाव-भाव दिखाने और बोलने में तकलीफ होती है। ऐेसे बच्चों के लिए जिला अस्पताल, रायपुर में डीईआरसी विभाग विगत 4 वर्षों से सभी प्रकार की दिव्यांगता के लिए परामर्श और उपचार उपलब्ध करा रही है।

बच्चों में दिखे ये लक्षण तो हो जाएं सतर्क– विशेषज्ञों ने बताया बच्चे में यदि आवाज लगाने पर भी बच्चा अनसुनी कर दे, बच्चा अकेले और गुमसुम रहने लगे, सामान्य बच्चों की बजाए विकास धीमा होना, आंखों में आंखे डालकर बात करने से बच्चा घबराए, बच्चा अपनेआप में खोया रहे, बच्चे किसी भी विषय पर अपनी प्रतिक्रियाएं देने में भी काफी समय लेते हैं, आदि लक्षण दिखे तो अभिभावकों को सतर्क हो जाना चाहिए। ऐसे में फौरन चिकित्सकीय सलाह लेनी चाहिए। ये मानसिक बीमारी ऑटिज्म संभावित है। इसलिए इसका इलाज जितनी जल्दी शुरू कर दी जाए उतने अच्छे परिणाम मिलते हैं।

क्या है ऑटिज्म – ऑटिज्म एक प्रकार की मानसिक या न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जो बोलने, लिखने, दूसरों के साथ व्यवहार करने की क्षमता को बाधित कर देता है। इसे ऑटिस्टिक स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर कहते हैं। इस बीमारी के लक्षण बचपन से ही बच्चे में नजर आने लगते हैं।  इस बीमारी में बच्चे का मानसिक विकास ठीक तरह से नहीं हो पाता है। इस बीमारी से जूझ रहे बच्चे दूसरे लोगों के साथ घुलने-मिलने से कतराते हैं।

2 अप्रैल को मनाया जाता है ऑटिज्म जागरूकता दिवस– 2 अप्रैल ‘वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे’ (विश्व ऑटिज्म जागरूकता दिवस) के रूप में मनाया जाता है.। इस गंभीर बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता लागने के उद्देश्य से प्रतिवर्ष 2 अप्रैल को ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाया जाता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है साल 2007 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हर साल 2 अप्रैल को वर्ल्ड ऑटिज्म अवेयरनेस डे मनाने का ऐलान किया था।

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