छत्तीसगढ

नरवा से जल संरक्षण को मिला बढ़ावा, वर्षा की कमी के बावजूद नालों में बढ़ा पानी का संग्रहण

रायपुर। सुराजी योजना के तहत नरवा, गरवा, घुरवा और बाऱी के माध्यम से जल संरक्षण और जल संवर्धन के कार्याें का प्रभाव दिखने लगा है। रायपुर जिले के धरसींवा विकासखण्ड में छोटे-छोटे नालों के प्रारंभिक बिन्दु से नदी के मिलने तक जल सरंक्षण के अनेक कार्यों से इन नालों में वर्षा की कमी के बावजूद पानी की उपलब्धता बढ़ी है। भू-जल का रिचाॅर्ज हो रहा है, नालों में पानी बढ़ने से समीप के किसान भी उत्साहित है।

धरसींवा विकासखण्ड में वर्षा शुरू होने के पहले ही जनजागरूकता का कार्य प्रांरभ किया गया। स्कूली बच्चों, कालेज के विद्यार्थियों, नेहरू युवा केन्द्र के वालिन्टियर्स तथा नागरिकों के सहयोग से जल को सहेजनें और इसका सदुपयोग करने की समझाईश दी गई।

शासकीय भवनों जैसे कार्यालयों, स्कूलों, आंगनबाड़ियों ,पंचायत भवनों, प्रार्थना शेड आदि में जल संचयन स्ट्रक्चर स्थापित करने के साथ शहरी क्षेत्रों में निजी आवासों और कालोनियों में जल संचयन के स्ट्रक्चर को स्थापित करने के लिए नागरिकों को प्रेरित किया गया है, जिससे वर्षा जल का पुनः भरण किया जा सके। मृतप्राय नालों की सफाई कर उसे पुर्नजीवित करने, अनुपयोगी जल को फिर से उपयोग में लाने और सघन वृक्षारोपण पर भी जोर दिया गया। नए स्टापडेम का निर्माण करने, पुराने स्टापडेम में जमा हो चुकी गाद अथवा सिंन्ट को हटा कर जल संचयन की क्षमता बढ़ाने का कार्य भी किया गया।
औद्यौगिक संस्थानों के माध्यम से भी वर्षा जल संचयन पर जोर दिया गया। विकासखण्ड के 14 वाटर शेडों में से 12 वाटरशेडों को साफ करने का कार्य उद्योगों द्वारा सी एस आर के माध्यम से किया जा रहा है। 120 किमी तक नालों को उसके प्रांरभिक उदगम स्थलों तक साफ करने करने का लक्ष्य के विरूध्द 65 किमी नालों की सफाई ओैर पुर्नजीवित का कार्य किया जा चुका है।

कम पानी की आवश्यकता वाले फसल लेने के लिए प्रोत्साहित करने पंचायत स्तर पर करीब डेढ़ दर्जन किसान मेलों का आयोजन किया गया। वन विभाग, उद्योगों तथा पंचायतों के माध्यम से खाली स्थानों में वृक्षारोपण का कार्य किया गया।

विकासखण्ड में इस वर्षा अभी तक 636 मिलीमीटर वर्षा हुई है, जो पिछले 10 वर्षांे के औसत वर्षा 965 मिलीमीटर की मात्र 65.9 प्रतिशत है। इसके बावजूद जिन नालों को साफ किया गया है, वहां के नाले पानी से भरपूर नजर आ रहे है और नाले के समीप के किसान अब इस पानी का उपयोग अपनी खेती -किसानी के लिए भी कर रहे है। ग्राम मलौद के संरपंच श्री श्रवण कुमार देवांगन ने बताया कि गांव में तालाब का गहरीकरण किया गया, दस- बारह एकड़ में वृक्षारोपण किया गया, नालों को साफ किया गया, तीन-चार बंधान बनाए गये इससे अब नाले पानी से लबालब है। भटगांव के संरपंच श्री महेश डहरिया ने बताया कि गांव के पंचायत भवन, आंगनबाड़ी, स्कूल आदि में वाटर रिचाजिंग का कार्य किया गया है। मटिया बांधा नाला के समीप रहने वाले किसान ताम्रध्वज वर्मा, देवनारायण वर्मा, धनारू पारधी, चन्द्रशेखर साहू, संतलाल यादव, लक्ष्मीनारायण ठाकुर इस पहल से काफी उत्साहित है।

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