महिला आयोग महिलाओं और पुरूषों दोनों के लिए न्याय देने में निष्पक्ष : डॉ. किरणमयी नायक
रायपुर, 6 जनवरी। छत्तीसगढ़ राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ किरणमयी नायक ने 6 जनवरी बुधवार को रायपुर के जलविहार स्थित आयोग कार्यालय में महिलाओं के उत्पीड़न संबंधित प्रकरणों पर जन सुनवाई की। डॉ.नायक ने कहा कि महिला आयोग द्वारा लगातार विभिन्न जिलों में महिलाओं की समस्याओं को सुलझाया जा रहा है,इसी क्रम में रायपुर में तीन दिनों तक महिलाओं के प्रकरणों की सुनवाई की जाएगी। आज पहले दिन सुनवाई के लिए 21 प्रकरण रखे गए थे,जिनमें से 4 प्रकरण नस्तीबद्ध किये गए।
अध्यक्ष डॉ. नायक ने कहा है कि महिला आयोग महिलाओं और पुरूषों दोनों के लिए निष्पक्ष होकर कार्रवाई करता है। उन्होंने बताया कि कई मामले आयोग में आते हैं जो पहले से न्यायालय में विचाराधीन होते हैं। यदि पहले से न्यायालय में मामला विचाराधीन है ऐसी स्थिति में महिला आयोग के हांथ बंधे होते हैं और आयोग कार्रवाई नहीं कर सकता। एक प्रकरण में महिला ने आयोग में शिकायत के पहले कोर्ट में 4 मामले दायर किये थे। ऐसी स्थिति में आयोग आगे सुनवाई नहीं कर सकती। महिला आयोग नियम और कानूनों से बंधा है। महिलाओं को न्याय देने का मतलब ये कतई नहीं है कि पुरूषों के साथ जानबूझकर अन्याय किया जाए।
डॉ. नायक ने बताया कि आयोग में शारीरिक शोषण, मानसिक प्रताड़ना, दहेज प्रताड़ना, सम्पत्ति विवाद जैसे कई प्रकरणों की सुनवाई की जाती है। इनमें अधिकांश मामले पारिवारिक विवाद के होते हैं, लेकिन थाने में लंबित मामलों की सुनवाई आयोग में नहीं हो सकती। पुलिस द्वारा यदि मामलों पर कार्यवाही नहीं की जाती ऐसी स्थिति में महिला आयोग मामले का संज्ञान ले सकती है। उन्होंने बताया कि आयोग में कुछ विशिष्ट मामले भी आते हैं जैसे आयोग में आई टी. एक्ट की एक शिकायत आई है,जिस पर दोनों पक्षों को समझाइश दी गई और सभी दस्तावेजों की जांच कर 2 माह में कारवाई की सूचना देने के लिए संबंधित थाने को कहा गया है।
आयोग के समक्ष आए एक प्रकरण में अनावेदक सरकारी शिक्षिका द्वारा बिना तलाक लिए दो विवाह की शिकायत आई। सुनवाई के दिन अनावेदिका ने स्वयं को गर्भवती बताकर उपस्थित नहीं होने विषयक सूचना आयोग को प्रेषित की। आयोग ने अनावेदिका को आगामी तिथि पर मेडिकल सर्टिफिकेट के साथ उपस्थित होने के लिए समय दिया है। एक केबल संचालन की लड़ाई से संबंधित प्रकरण में दोनों पक्षकारों को सुनकर समझाईश दी गई और पक्षकारों की सहमती से उन्हें समझौते हेतु अपना-अपना प्रस्ताव देने के लिए समय दिया गया।
अनावेदकों की अनुपस्थिति पर डॉ. नायक ने कड़ा रूख अपनाते हुए उनके निवास स्थान से संबंधित थानों में सूचना देकर उपस्थिति सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं,इस संबंध में उन्होंने संबंधित पुलिस अधीक्षक को भी पत्र प्रेषित करने कहा है। एक प्रकरण में उन्होंने मध्यप्रदेश राज्य महिला आयोग को शहडोल निवासी पक्षकार की उपस्थिति के लिए पत्र प्रषित करने कहा है। कोरोना संक्रमण को ध्यान में रखते हुए आयोग में सुनवाई के दौरान सोसल डिस्टेंसिंग व फिजीकल डिस्टेंसिंग सहित अन्य दिशा-निर्देशों का पालन किया गया।