लई-व्याख्यान माला की पहली प्रस्तुति डॉ. नेरल द्वारा: ‘‘जीना इसी का नाम है’’ विषय के माध्यम से युवाओं को किया प्रेरित

रायपुर, 03 जुलाई। हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग द्वारा दिनांक 03 जुलाई से 09 जुलाई तक एक सप्ताह के लिए प्राध्यापकों, शोध विद्यार्थियों एवं अन्य छात्र-छात्राओं हेतु विभिन्न विषयों पर ऑनलाईन ई-लेक्चर श्रृंखला ’’इंद्रधनुष’’ का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें प्रथम दिन अर्थात् 03 जुलाई को दोपहर 12.00 बजे से 1.00 बजे तक पं. जवाहर लाल नेहरु स्मृति चिकित्सा महाविद्यालय रायपुर के पैथोलॉजी एवं माईक्रोबायोलॉजी विभाग के प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष डॉ. अरविन्द नेरल द्वारा ’’जीना इसी का नाम है’’, विषय पर व्याख्यान दिया गया। साथ ही वर्तमान में फैले वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के रोकथाम, बचाव व आवश्यक सावधानी रखने के संबंध में भी व्याख्यान दिये है। इस विषय का मुख्य उद्देश्य युवा छात्र-छात्राओं को अपने सामान्य गतिविधियों के अलावा समाज की बेहतरी के लिये अधिकतम योगदान देने हेतु उन्हें प्रोत्साहित करना था।
विश्वविद्यालय के लगभग 400 विद्यार्थियों ने इसमें ऑनलाईन भाग लिया। विश्वविद्यालय की कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा के अनुशंसानुसार उनके मार्गदर्शन में ऑनलाईन व्याख्यान की एक सप्ताह की श्रृंखला ’’इंद्रधनुष’’ नाम से प्रारंभ की गई है। कोविड-19 संक्रमण की वजह से जहां सामान्य क्लास-रूम पढ़ाई नहीं हो पा रही है, वहां ऐसे ई-क्लासेस बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं। इसकी प्रथम प्रस्तुति के लिये डॉ. अरविन्द नेरल को चयनित किया गया। उन्होंने आज के संवेदनहीन, आत्मकेन्द्रित माहौल में सामाजिक परोपकार के कार्यों की महत्ता प्रतिपादित की। उन्होंने युवाओं से कहा – ’’जुल्फ़ें संवारने से बात नहीं बनेगी, चलिए किसी की ज़िंदगी संवारेंगे। परपीड़ा की अनुभूति की सामाजिक सेवा कार्यों की पहली शर्त और पहली सीढ़ी है। श्रीमद्भगवत गीता, रामायण, स्वामी विवेकानंद, दलाईनामा, मदर टेरेसा, डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, मार्क जुकरबर्ग, मार्टीन लुथर किंग (जुनि.) आदि के उदाहरण और उनके द्वारा किये गये उत्साहवर्धक सुत्र वाक्यों के माध्यम से अपने व्याख्यान को आकर्षक और सुरूचिपूर्ण बनाया। समय प्रबंधन, सामुहिक उत्तरदायित्व, टीम-भावना और श्रम विभाजन के सिद्धांतों को डॉ. नेरल ने बड़े रोचक ढंग से पी.पी.टी. के माध्यम से समझाया। व्याख्यान के प्रारंभ में ’इंद्रधनुष’ के संयोजक डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने डॉ. अरविन्द नेरल का परिचय दिया और अंत में विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ. सी.एल. देवांगन से धन्यवाद दिया। कुलपति डॉ. अरूणा पल्टा ने इस व्याख्यान की प्रशंसा करते हुये कहा कि ऐसी प्रस्तुति से छात्र-छात्राओं में ऑनलाईन अध्ययन के लिये रूचि बढे़गी और इस प्रेरक उद्बोधन से युवा वर्ग सामाजिक सेवा कार्याें के लिये उत्साहित होंगे।