विशेष लेख : ‘न्याय : सब्बो बर-सब्बो डहर’ : अब भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए ‘न्याय’ योजना
छत्तीसगढ़ में नई सरकार के गठन के बाद ‘न्याय : सब्बो बर-सब्बो डहर’ के ध्येय को लेकर काम शुरू हुआ। राज्य सरकार ने अपनी योजनाओं में भी ‘न्याय’ शब्द को तरजीह दी। ‘न्याय’ के नाम पर योजनाएं भी बनाई गई, उन्हें लागू की जा रही हैं और उनका क्रियान्वयन भी किया जा रहा है। गांव, गरीब, किसान को फोकस में रखकर काम रही राज्य सरकार सबसे पहले किसानों के लिए ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ लेकर आयी, जिसने किसानों को उनकी उपज लागत का उचित मूल्य देने के साथ आर्थिक समृद्धि का काम किया। फिर गोबर खरीदी जैसा अभिनव पहल करते हुए ‘गोधन न्याय योजना’ लागू की गई। जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को संबल मिला। अब इस कड़ी में ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ लागू करने की तैयारी है। यह योजना ग्रामीण अर्थव्यवस्था विशेषकर मजदूर वर्ग को संबलता देने में सहायक होगी।
17 दिसंबर 2018 को श्री भूपेश बघेल ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली। शपथ लेते ही पहला निर्णय 18 लाख 82 हजार किसानों पर चढ़ा 9 हजार 270 करोड़ रुपए की कर्जमाफी का किया, साथ ही लगभग सवा तीन सौ करोड़ रुपए का सिंचाई कर भी माफ किया। इसके साथ ही वायदे के अनुरूप किसानों को उनकी फसल उपज में लागत का उचित कीमत देने का प्रयास हुआ। जब इसमें अड़चन आयी तो ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ लागू कर राज्य सरकार ने अपना वायदा निभाया। ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के जरिए किसानों को फसल विविधीकरण एवं उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाने के लिए आदान सहायता (इनपुट सब्सिडी) के रूप में बड़ी धनराशि दी जा रही है। किसानों को ऐसी मदद देशभर में कोई भी राज्य सरकार नहीं कर रही है।
किसी सरकार द्वारा गोबर खरीदी करने जैसा विचार नवाचार ही कहा जाएगा। वर्तमान राज्य सरकार ने इसके लिए ‘गोधन न्याय योजना’ लागू की, जिसकी चर्चा देश-दुनिया में हो रही है। इस योजना के जरिए राज्य सरकार गोपालकों, किसानों से दो रुपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी कर उन्हें सीधा लाभ दे रही है। इस योजना में खरीदे गए गोबर से गौठानों में वर्मी कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट जैसे उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जिससे जैविक कृषि को बढ़ावा देने की दिशा में काम हो रहा है। साथ ही स्व-सहायता समूहों की लाखों महिलाओं द्वारा गौ-कास्ट, दीये, गमला समेत अनेक उत्पाद बनाए जा रहे हैं, जिससे स्व-सहायता समूहों की महिलाओं व उनके परिवार को आर्थिक संबलता और समृद्धि मिल रही है। अब तो गोबर से बिजली उत्पादन भी शुरू हो चुका है। वहीं दीवार रंगने के लिए पेंट बनाने की दिशा में भी काम हो रहा है।
विभिन्न वर्गों के लिए ‘न्याय’ की कड़ी में अब ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवार के लिए ‘न्याय’ मिलने जा रहा है। इस योजना की शुरुआत आगामी 3 फरवरी को होगी। जिसमें ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवार को प्रति वर्ष 6 हजार रुपए की आर्थिक मदद राज्य सरकार की ओर से दी जाएगी। इसके लिए अनुपूरक बजट में 200 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ की आबादी में 70 फीसदी लोग कृषि पर आधारित हैं। इनमें भी कृषि मजदूरों की संख्या काफी अधिक है।
राज्य में खरीफ सत्र में ही कृषि मजदूरी के लिए पर्याप्त अवसर होते हैं, लेकिन रबी सत्र में फसल क्षेत्राच्छादन कम होने के कारण कृषि मजदूरी के लिए अवसर कम हो जाते हैं। इसमें से कई कृषि मजदूर भूमिहीन हैं, जिनके पास अपनी स्वयं की भूमि नहीं है। वे दूसरों की कृषि भूमि में श्रमिक के तौर पर काम कर परिवार का भरण-पोषण करते हैं।
प्रदेश के संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इन्हीं भूमिहीन कृषि मजदूरों की समस्या को समझा और उन्हें आर्थिक संबल देने के लिए ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ लागू करने की घोषणा की। योजना के लिए 1 सितंबर 2021 से 30 नवम्बर 2021 तक पंजीयन किया गया। साथ ही हितग्राहियों की पहचान करने एवं उन्हें वार्षिक आधार पर अनुदान उपलब्ध कराने के लिए राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग की ओर से सभी जिला कलेक्टरों को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए। विभाग से मिली जानकारी के अनुसार ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ का लाभ लेने के लिए अब तक 3 लाख 55 हजार हितग्राहियों ने पंजीयन कराया है।
इस योजना की खासियत यह भी है कि योजना के अंतर्गत पात्रता केवल छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को होगी। ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के अंतर्गत चरवाहा, बढ़ई, लोहार, मोची, नाई, धोबी और पुरोहित जैसे पौनी-पसारी व्यवस्था से जुड़े परिवार, वनोपज संग्राहक तथा समय-समय पर नियत अन्य वर्ग भी पात्र होंगे। इस योजना के हितग्राहियों के लिए आवश्यक शर्त यह है कि हितग्राही परिवार के पास कृषि भूमि नहीं होनी चाहिए। आवासीय प्रयोजन के लिए धारित भूमि को कृषि भूमि नहीं मानी जाएगी। ‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ के लिए यदि पंजीकृत हितग्राही परिवार के मुखिया द्वारा असत्य जानकारी के आधार अनुदान सहायता राशि प्राप्त की गई हो, तब विधिक कार्यवाही करते हुए उक्त राशि उससे भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल की जाएगी।
इस योजना के संदर्भ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कहना है कि, “हमारी सरकार का यह बहुत बड़ा सपना था कि किसी भी रूप में ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों की मदद करें और अब यह सपना पूरा होने का समय आ गया है। मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने भूमिहीन कृषि मजदूरों के लिए ऐसी योजना लागू की है। जिस तरह से किसानों को मिली आर्थिक मदद ने बाजार को संबल दिया है, उसी तरह से भूमिहीन कृषि मजदूरों को मिली आर्थिक मदद भी ग्रामीण अंचल में अर्थव्यवस्था को गति देने का माध्यम बनेगी।”
आलेख – चन्द्रमोहन द्विवेदी