छत्तीसगढ

सिंहदेव का इस्तीफा देने की बात कहना… सत्ता-संघर्ष की परिणति और व्यथा की अभिव्यक्ति है : भाजपा

रायपुर, 02 जुलाई। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता व प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा है कि किसानों के धान समर्थन मूल्य की शेष अंतर राशि के अब अगली फसल के आने से पहले पूरे भुगतान की बात को लेकर प्रदेश सरकार में दूसरे क्रमांक की हैसियत रखने वाले मंत्री टीएस सिंहदेव द्वारा इस्तीफा दे देने की बात कहना प्रदेश सरकार में चल रहे सत्ता-संघर्ष की तो परिणति है ही, साथ ही यह श्री सिंहदेव की अपनी व्यथा की अभिव्यक्ति भी है। श्री सिंहदेव ख़ुद अपनी सरकार की रीति-नीति से दु:खी हैं।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि रोज़ मिलने वाले अतिथि शिक्षकों, पुलिस भर्ती के अभ्यर्थियों की परेशानियों से मंत्री सिंहदेव को महसूस हुई पीड़ा के बाद वे ख़ुद ही ट्वीट करके अपना दु:ख व्यक्त कर त्यागपत्र देने की बात कह रहे हैं। मंत्री सिंहदेव का कथन प्रदेश सरकार की नाकामियों को इंगित कर रहा है कि प्रदेश सरकार ने जो वादे प्रदेश से किए हैं, उन वादों को वह पूरा नहीं कर पाई है। श्री कौशिक ने कहा कि श्री सिंहदेव कांग्रेस चुनाव घोषणापत्र समिति के संयोजक थे और अब घोषणापत्र में किए गए वादों पर अपनी ही सरकार की उदासीनता को लेकर उन्हें लोगों को ज़वाब देते नहीं बन रहा है। किसानों के साथ-साथ कांग्रेस सरकार ने प्रदेश के हर वर्ग के लोगों के साथ खुला विश्वासघात किया है।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि शराबबंदी की ज़गह घर-घर शराब पहुँचाने वाली सरकार ने प्रदेश में विकास को ठप करके रख दिया है। महिलाओं की सुरक्षा के दावे तार-तार हो रहे हैं, उनकी अस्मिता कदम-कदम पर असुरक्षित तो है ही, उनके विकास के अवसर भी इस सरकार के शासन में सुरक्षित नहीं रहे हैं। बेरोज़गारों को यह सरकार न तो रोज़गार दे रही है और न ही वादे के मुताबिक़ बेरोज़गारी भत्ता दे रही है, फलस्वरूप प्रदेश का शिक्षित युवा अब हताश हो चला है और आत्मघाती कदम उठाने विवश हो रहा है। श्री कौशिक ने कहा कि इन सबके बावज़ूद मंत्री सिंहदेव का ट्वीट अंतत: कांग्रेस में सत्ता-संघर्ष के मचे घमासान की ही प्रतिध्वनि है। अब प्रदेश सरकार ने दो मंत्रियों को अपना अधिकृत प्रवक्ता घोषित करके बाकी सभी मंत्रियों को यह जताने की कोशिश की है कि प्रदेश सरकार में उनकी हैसियत अब सिर्फ़ एक मंत्री की ही रहेगी और उनकी बातों को क्या सरकार की बात के रूप में अधिकृत नहीं माना जाएगा।

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