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TMC का बंगाल के बाहर विस्तार करने की तैयारी में ममता बनर्जी, त्रिपुरा पर है नजर

कोलकाता, 16 जून। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री (CM) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) प्रमुख ममता बनर्जी की विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अन्य राज्यों में चुनाव लड़ने की योजना ने क्षेत्रीय दलों की अपनी सीमाओं के बारे में सवाल खड़ा कर दिया है। क्या टीएमसी इस परिपाटी को तोड़ने में सक्षम होगी? टीएमसी की इस विस्तारवादी सोच के पीछे सीएम के भतीजे और टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी हैं।

अभिषेक बनर्जी ने 8 जून को घोषणा की कि उनकी पार्टी चुनाव जीतने और भाजपा प्रमुख का सामना करने के एकमात्र उद्देश्य से अन्य राज्यों में इकाइयां स्थापित करेगी। उन्होंने कहा, ‘अगर हम किसी राज्य में जाते हैं तो सिर्फ एक या दो सीटें जीतने के लिए ऐसा नहीं करेंगे। हम उस राज्य के लोगों की पसंद का मंच बनना चाहते हैं।” उन्होंने किसी क्षेत्र का उल्लेख नहीं किया, लेकिन मंगलवार को टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हम पहले छोटे राज्यों पर नजर रखने के बजाय कुछ बड़े राज्यों में चुनाव लड़ने की संभावना तलाश रहे हैं।”

बंगाल में बीजेपी के खिलाफ शानदार जीत से उत्साहित टीएमसी ने इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी याना प्रशांत किशोर की IPAC के साथ अपने अनुबंध का नवीनीकरण किया है। नया अनुबंध 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों तक के लिए है। ममता बनर्जी अपनी पार्टी को राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी भूमिका निभाते हुए देखना चाहती हैं। इसलिए उन्होंने पीके की कंपनी के साथ अपने करार को आगे बढ़ाया है। टीएमसी के शीर्ष नेताओं ने एचटी को बताया कि प्रशांत किशोर अब से एक अलग भूमिका निभाएंगे।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों के लिए टीएमसी की घोषणा महत्वाकांक्षी है क्योंकि अब तक कोई भी क्षेत्रीय दल उस राज्य के बाहर सरकार बनाने में सक्षम नहीं है, जिसमें वह स्थित है।

क्षेत्रीय दलों को अपने क्षेत्रों के बाहर सीमित सफलता मिली है। ये कुछ उदाहरण:

दिल्ली स्थित आम आदमी पार्टी (आप) के पास कांग्रेस शासित पंजाब में विधायक हैं। लेकिन यह इसकी एकमात्र महत्वपूर्ण सफलता रही है। इसने 2013 से अब तक एक दर्जन से अधिक राज्यों में चुनाव लड़ी है। पंजाब के अलावा किसी अन्य क्षेत्र में सफलता नहीं मिली है।

उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी (सपा) के महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश की विधानसभाओं में दो-दो सदस्य हैं। बिहार के मुख्य विपक्षी दल, राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के पास झारखंड राज्य में एक विधायक है। बिहार की सत्तारूढ़ पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), भाजपा शासित अरुणाचल प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। यहां उसके सात विधायक हैं।

मणिपुर में, टीएमसी ने 2012 में सात विधानसभा सीटें हासिल कीं, लेकिन बाद में कांग्रेस और भाजपा से हार गई। पार्टी ने 2001 में असम में एक सीट जीती, लेकिन फिर कभी नहीं उठी। देश के अन्य राज्यों में, वाम शासित केरल में टीएमसी की एक इकाई है।

त्रिपुरा पर है ममता की नजर
नाम न बताने की शर्त पर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि नेतृत्व की नजर त्रिपुरा पर है जहां बंगाली भाषी लोग आबादी का एक बड़ा हिस्सा है और टीएमसी की अभी भी एक इकाई है। त्रिपुरा 2023 में विधानसभा को चुनाव होने हैं। इसी साल मेघालय, नागालैंड, मिजोरम, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना में भी मतदान होगा। अन्य राज्यों में टीएमसी की मौजूदगी नहीं है।

2022 में जिन राज्यों में चुनाव होंगे, उनमें मणिपुर, उत्तर प्रदेश, पंजाब, गोवा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और गुजरात शामिल हैं। इन राज्यों में भी टीएमसी की कोई मौजूदगी नहीं है। इसलिए त्रिपुरा एकमात्र ऐसा राज्य हो सकता है जहां पार्टी वास्तव में सेंध लगाने की उम्मीद कर सकती है। बंगाल टीएमसी नेताओं ने कहा कि मुकुल रॉय, जिन्होंने भाजपा छोड़ दी, जहां वह एक राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे, और पिछले हफ्ते सत्ताधारी पार्टी में लौटे, ने कांग्रेस को तोड़कर त्रिपुरा में टीएमसी का आधार बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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