छत्तीसगढ

सघन डायरिया पखवाड़े में 1.2 लाख बच्चे हुए लाभान्वित…316 ओ.आर.टी. और जिंग कॉर्नर की हुई स्थापना

कोरबा, 15 सितंबर। बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए हर वर्ष जुलाई माह में सघन डायरिया नियंत्रण पखवाड़ा मनाया जाता है। इसी क्रम में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से यह पखवाड़ा मनाया गया था। इसके अंतर्गत कोरबा जिले के पांच वर्ष की आयु तक के 1.2 लाख बच्चों को डायरिया से बचाने के लिए ओआरएस एवं जिंक का वितरण किया गया। साथ ही जिला मुख्यालय से लेकर गांव स्तर तक डायरिया नियंत्रण के प्रति लोगों को जागरूक भी किया गया।

इसके अतिरिक्त कोरोनावायरस संक्रमण को देखते हुए स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा लोगों को कोरोना वायरस से बचाव के उपाय भी बताए गए। सीएमएचओ डॉ. बी.बी. बोर्डे के नेतृत्व में डायरिया की रोकथाम एवं प्रबंधन के लिए कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए जिले के स्वास्थ्य केंद्रों में 316 ओ.आर.टी. (ओरल रिहाईड्रेशन थेरेपी) और जिंक कॉर्नर की स्थापना की गई। इस दौरान पांच वर्ष के कम आयु के बच्चों को समुचित स्वास्थ्य देखभाल प्रदान की गई। जिला सर्विलेंस अधिकारी डॉ. कुमार पुष्पेश ने बताया डायरिया से होने वाली मौतों की दर शून्य रखने, जन-जागरूकता फैलाते हुए समुदाय व गांव स्तर पर घरों में ओ.आर.एस. का वितरण किया गया और बनाने की विधि का प्रदर्शन भी किया गया। साथ ही जिला एपीडेमोलॉजिस्ट डॉ. प्रेम प्रकाश आनंद एवं स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं द्वारा मितानिनों के माध्यम से लोगों को हाथ धुलाई का महत्व बताकर सही तरीके से हाथ धुलाई करना भी सिखाया गया।

ओ.आर.टी. और जिंक कार्नर- जिले में कुल 316 ओ.आर.टी. और जिंक कार्नर जिला अस्पताल एवं स्वास्थ्य केन्द्रों में स्थापित किए गए। इनमें मुख्य रूप से उप स्वास्थ्य केंन्द्र, शहरी स्वास्थ्य केंन्द्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, जिला अस्पताल कोरबा तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र शामिल हैं। इन सभी केन्द्रों में 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों स्वास्थ्यगत देखभाल हुई।

812 गांवों के बच्चे हुए लाभांन्वित- डायरिया जागरूकता के तहत 812 गांवों के पांच वर्ष की आयु तक के बच्चों के स्वास्थ्य जागरूकता का प्रयास हुआ। इस दौरान 1.2 लाख बच्चों को ओआरएस के पैकेट दिए गए और 923 बच्चे जो डायरिया पीड़ित थे, उनका इलाज किया गया। 20 मोबाइल टीम भी बनाई गई जिनके माध्यम से जिले के सभी गांव और ब्लॉक को कवर किया गया था।

डायरिया – डायरिया को दस्त के रूप में भी जाना जाता है। छोटे बच्चों और बडों को भी डायरिया दूषित पानी पीने एवं दूषित भोजन करने की वजह से हो सकता है। कुपोषित और कमजोर प्रतिरक्षा वाले (लो इम्युनिटी ) लोगों, शिशुओं, छोटे बच्चों को संक्रमण का शिकार होने का खतरा अधिक होता है।

डायरिया के लक्षण और बचाव – डायरिया से जूझ रहे व्यक्ति मे पानी वाला मल, पेट में ऐंठन या ऐंठन होना, मतली और उल्टी होना, बुखार और भूख में कमी के लक्षण दिखाई देंगे। उचित व्यक्तिगत स्वच्छता, रखरखाव दस्त को रोकने का सटीक उपाय है। टॉयलेट जाने के बाद और खाना बनाने / खाने से पहले साबुन या लिक्विड हैंडवाश से हाथ धोने से डायरिया को आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन या ओआरएस को पानी में मिलाकर पीने से दस्त की वजह से खोए हुए मिनरल्स और लवणों को वापस लाने में मदद मिलती है। इसके अलावा दस्त वाले बच्चों को सामान्य रूप से दूध पिलाना, स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए। चीनी, नमक का घोल, तरल पदार्थ छांछ, नारियल पानी देना चाहिए और चिकित्सकीय परामर्श अवश्य लेना चाहिए।

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