“शिक्षा नीति पर राजनीति” पर हुई सार्थक वर्चुअल चर्चा मिशन स्वराज
मिशन स्वराज के संस्थापक, राजनीतिक विश्लेषक और समाजसेवी प्रकाशपुंज पांडेय ने मीडिया को को बताया कि प्रत्येक शनिवार की भाँति ही कल शनिवार 10 अक्तूबर को दोपहर 2 बजे मिशन स्वराज के मंच पर ‘चर्चा आवश्यक है’ की कड़ी में ‘शिक्षा नीति पर राजनीति’ विषय पर एक सार्थक वर्चुअल चर्चा का आयोजन किया गया था जिसमें समाज के प्रतिष्ठित बुद्धिजीवियों के शिरकत की तथा अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। इस चर्चा में शामिल होने वाले अतिथियों के नाम इस प्रकार हैं –
डॉ. जवाहर सुरीसेट्टी – शिक्षाविद, रायपुर
आशुतोष त्रिपाठी – निदेशक – कृष्णा पब्लिक स्कूल, रायपुर, छत्तीसगढ़
असित नाथ तिवारी – वरिष्ठ पत्रकार, पटना बिहार
प्रकाशपुन्ज पाण्डेय – संस्थापक – मिशन स्वराज, राजनीतिक विश्लेषक व समाजसेवी।
प्रकाशपुन्ज पाण्डेय ने बताया कि इस चर्चा में शिक्षा की मूलभूत आवश्यकता, इसकी गुणवत्ता, इसका अधिकार और इसके माध्यम और इसके महत्व के बारे में चर्चा हुई। इस चर्चा से जो बातें छन कर आईं वे इस प्रकार हैं –
भारत में शिक्षा के माध्यम और उसके महत्व के बारे में जनता को आज भी जागरूक करने की अत्यधिक आवश्यकता है ।
शिक्षा का अधिकार और उसका व्यापक रूप से प्रचार प्रसार का अधिकार प्रत्येक नागरिक को होना चाहिए।
सरकारों को शिक्षा को प्राथमिकता देते हुए शिक्षा के बजट को बढ़ाना चाहिए।
सरकारी और निजी स्कूलों में टीचरों की भर्ती के पैमाने में परिवर्तन करना चाहिए।
शिक्षा को राजनीति से अलग रखना चाहिए, ताकि शिक्षा पर राजनीतिक अंकुश ना हो।
देश में शिक्षा का बुरा हाल इसलिए भी है क्योंकि शिक्षा नीति बनाने वाले और उसका क्रियान्वयन करने वाले लोग अलग-अलग हैं।
समूचे भारत में सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों को एक करने के बाद शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने पर ज्यादा जोर देना चाहिए।
शिक्षा पर ज्यादा बजट का आवंटन करते हुए पांचवीं कक्षा तक शिक्षा को मुफ्त कर देना चाहिए ताकि गरीब परिवारों के बच्चे भी ज्यादा से ज्यादा शिक्षित हो पाएँ।
भारतीय शिक्षा प्रणाली में भारतीय संस्कृति का भी संपूर्ण रूप से उल्लेख करना अति आवश्यक है ताकि बच्चे अपनी संस्कृति को समझ पाएँ और जो पाश्चात्य संस्कृति को अपनाकर पथ भ्रमित हो रहे हैं उससे देश बच पाए।
शिक्षा में अमीरी और गरीबी के फ़र्क को दूर करने के विकल्प तलाशने होंगे ताकि शिक्षा में जाति, वर्ग व संप्रदाय का जो फर्क़ है वह खत्म हो जाए। इससे राष्ट्रीय एकता भी बहुत हद तक बढ़ेगी।
चर्चा में मौजूद सभी वक्ताओं ने “मिशन स्वराज” के मंच की इस सार्थक पहल की प्रशंसा की और कहा कि जहां एक ओर भारत में मुख्य धारा की मीडिया, जनहित के मुद्दों पर चर्चा नहीं कर रही है, वहीं “मिशन स्वराज” के मंच पर देश के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा होना, लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए एक बहुत बड़ा और सराहनीय प्रयास है। इसलिए ये महत्वपूर्ण हो जाता है कि ये संवाद निरंतरता से जारी रहे।