अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेता सम्मेलन शुरू, cm पहुंचे कार्यक्रम स्थल, प्रदर्शनी का किया अवलोकन
छत्तीसगढ़ के कृषि ,वन उपज, हैंण्डलूम और कोसा उत्पादों को ग्लोबल मार्केट दिलाने का प्रयास
रायपुर। राजधानी रायपुर में छत्तीसगढ़ के कृषि उपज, वनोपज, हैण्डलूम कोसा इत्यादि उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रोत्साहन एवं विक्रय को बढ़ावा देने के लिए आज 20 सितंबर से तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय क्रेता-विक्रेताओं का सम्मेलन प्रारंभ हुआ।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सम्मेलन स्थल पहुंच कर यहां के प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इसमें स्व-सहायता समूह तथा एफ.पी.ओ. द्वारा अपने उत्पाद का प्रदर्शन के साथ-साथ विक्रय किया जा रहा है। इस अवसर पर कृषि एवं जैव प्रौद्योगिकी तथा जल संसाधन मंत्री रवीन्द्र चैबे, मुख्य सचिव सुनील कुजूर,अपर मुख्य सचिव के डी पी राव, कुलपति इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय श्री पाटिल, प्रमुख सचिव कृषि श्रीमती मनिंदर कौर द्विवेदी, सचिव कृषि हेमंत पहारे, संयुक्त सचिव मुख्यमंत्री और संचालक कृषि टामन सिंह सोनवानी, विशेष सचिव कृषि मुकेश बंसल और छत्तीसगढ़ राज्य कृषि उपज मंडी के प्रबंध संचालक अभिनव अग्रवाल उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ राज्य में उपलब्ध विशेष गुणों से भरपूर फसलों अनाज, दलहन, तिलहन, वनोपज, साग-सब्जी तथा हैण्डलूूम, कोसा, सिल्क इत्यादि उत्पादों का राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर व्यापार को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से यह सम्मेलन किया जा रहा है। सम्मेलन में आमंत्रित विदेश-स्वदेश से क्रेताओं के साथ राज्य के विक्रेता के बीच चर्चा, अनुबंध, एमओयू इत्यादि संपन्न होंगे। इसमें 16 देशों के अंतर्राष्ट्रीय स्तर एवं देश के अन्य प्रदेशों से क्रेताओं तथा राज्य के विभिन्न स्क्षेत्रों के क्रेताओं के भाग ले रहे है है। यह सम्मेलन में 22 सितम्बर को आम जनता के लिए प्रदर्शन के अवलोकन तथा क्रय-विक्रय के लिए खुला रहेगा।
छत्तीसगढ़ का धान, लाल चावल, काला चावल, आर्गेनिक विष्णुभोग चांवल, अन्य सुगंधित धान की पारंपरिक किस्में व कोदो, कुटकी, रागी, जैसे पारंपरिक एवं बहूमूल्य कृषि उत्पाद तथा मक्का, मखाना, चना, लाल मसूर, सोयाबीन, रामतिल, तिल, फल-सब्जी जैसे फूलगोभी, पत्तागोभी, बैगन, हरा मटर, शिमला मिर्च, टमाटर, गवारफल्ली, मूली, अदरक, हरी मिर्च, हल्दी, पपीता, सीताफल, लिची, ड्रैगनफु्रट, आंवला, कटहल, केला, नासपत्ती, एप्पल बेर, बेल, काजू, नींबू, गेंदा तथा ग्लेडिलस का उत्पादन किया जा रहा है। वनोपज के अंतर्गत मुख्य रूप से महुआ, महुआ बीज, इमली, साल बीज, औषधीय पौधे जैसे कालमेघ, बेहड़ा, हर्रा, चारगुठली, गोंद, लाख, नागरमोथा, शहद, त्रिफला, अश्वगंधा, सफेद मूसली आदि का संग्रहण एवं विक्रय किया जा रहा है। छत्तीसगढ़ में इन उत्पादों के विपणन, प्रसंस्करण तथा निर्यात की व्यापक संभावनाएं हैं।