Lawsuit Against 5G Implementation: जूही चावला को झटका; याचिका खारिज, दिल्ली HC ने लगाया वादी पर 20 लाख रुपये का जुर्माना
नई दिल्ली, 4 जून। 5जी नेटवर्किंग के खिलाफ अभिनेत्री जूही चावला की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए बड़ा झटका दिया है। 5G टेक्नोलॉजी के खिलाफ दायर जूही चावला की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज करते हुए वादी पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इससे पहले सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति जेआर मीधा की पीठ ने दो जून को मामले में सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। पीठ ने कहा था कि जूही चावला की याचिका दोषपूर्ण है और यह सिर्फ मीडिया पब्लिसिटी के लिए दायर की गई है।
पब्लिसिटी के लिए दायर किया गया मामला : दिल्ली हाई कोर्ट
वहीं, दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान 5जी नेटवर्किंग के खिलाफ अभिनेत्री जूही चावला की याचिका को पब्लिसिटी के लिए दायर किया गया मामला बताया। इसी के साथ जूही चावला को बकाया कोर्ट फीस जमा करने का निर्देश भी दिया।
कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया
कोर्ट ने मीडिया प्लेटफार्म पर सुनवाई का लिंक साझा करने पर भी सवाल उठाया। अदालत ने कहा कि जूही चावला ने कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग किया। अदालत ने दिल्ली पुलिस को सुनवाई के दौरान व्यवधान पैदा करने वाले व्यक्ति की पहचान कर कार्रवाई करने का निर्देश भी जारी किया। सुनवाई के दौरान जूही चावला के अधिवक्ता दीपक खोसला ने कहा कि बिना कानूनी आधार के लगाए गए जुर्माने पर रोक लगाई जाए। वहीं, पीठ ने इसे ठुकराते हुए कहा कि मामला खत्म चुका है और आपके पास आपके कानूनी अधिकार हैं। पीठ ने यहां तक कहा कि अधिवक्ता को अपनी हक पता होना चाहिए।
बता दें इससे पहले हुई सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट ने देशभर में 5 जी वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ अभिनेत्री-पर्यावरणविद् जूही चावला के मुकदमे को बुधवार को दोषपूर्ण’ करार दिया था। सुनवाई के दौरान कहा था कि यह ‘मीडिया प्रचार के लिए दायर किया गया है। कोर्ट ने जूही चावला के सरकार को प्रतिवेदन दिए बिना 5जी वायरलेस नेटवर्क तकनीक को चुनौती देने के लिए सीधे अदालत आने पर भी सवाल उठाए थे। कोर्ट ने जूही चावला से पूछा था कि सरकार के पास क्यों नहीं गईं। कोर्ट ने सरकार को कोई प्रतिवेदन दिये बगैर, देश में 5जी वायरलेस नेटवर्क स्थापित करने के खिलाफ जूही चावला के सीधे मुकदमा दायर करने पर सवाल उठाया था। न्यायमूर्ति जे आर मीधा ने कहा कि वादी चावला और दो अन्य लोगों को पहले अपने अधिकारों के लिए सरकार से संपर्क करने की आवश्यकता थी और यदि वहां इनकार किया जाता, तब उन्हें अदालत में आना चाहिए था।
उधर, जूही चावला की याचिका में दावा किया गया था कि इन 5जी वायरलेस प्रौद्योगिकी योजनाओं से मनुष्यों पर गंभीर, अपरिवर्तनीय प्रभाव और पृथ्वी के सभी पारिस्थितिक तंत्रों को स्थायी नुकसान पहुंचने का खतरा है। जूही चावला, वीरेश मलिक और टीना वचानी ने याचिका दायर कर कहा था कि यदि दूरसंचार उद्योग की 5जी संबंधी योजनाएं पूरी होती हैं तो पृथ्वी पर कोई भी व्यक्ति, कोई जानवर, कोई पक्षी, कोई कीट और कोई भी पौधा इसके प्रतिकूल प्रभाव से नहीं बच सकेगा।