छत्तीसगढ

नवीन तकनीक और बाजार प्रतिस्पर्धा के हिसाब से करें मत्स्य पालन: कृषि मंत्री का मत्स्य कृषकों और मछुआरों से आव्हान

रायपुर, 21 नवम्बर। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि आज बाजार में प्रतिस्पर्धा का दौर है, परंपरागत मछली पालन के साथ-साथ नवीन तकनीक और बाजार की प्रतिस्पर्धा के हिसाब से मछली पालन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि परंपरागत मछली पालन जीवनयापन के साधन तो बन सकते है, लेकिन वास्तविक आर्थिक सशक्तीकरण आधुनिक तकनीक के साथ मछली पालन करने में बेहतर संभावनाएं हैं। श्री चौबे ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में राज्य सरकार प्रदेश के मछुआरों के हित में नयी मछुआ नीति पर काम कर रही हैं।

कृषि मंत्री श्री चौबे आज राजधानी रायपुर स्थित कृषि महाविद्यालय में विश्व मत्स्कीय दिवस के अवसर पर आयोजित राज्य स्तरीय मछुआरा सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने इस मौके पर मत्स्य कृषकों और मछुआरों की मांग पर नवा रायपुर में भक्त श्री गुहा निषादराज की प्रतिमा स्थापित करने की घोषणा भी की। मंत्री श्री चौबे ने इस मौके पर मोंगरी योजना के तहत 20 हितग्राहियों को मोंगरी आईसबॉक्स के साथ मोटरसाइकिल और प्रधानमंत्री मत्स्य सम्मान योजना के तहत 04 हितग्राहियों को जीवित मछली केन्द्र के रूप में चारपहिया वाहन की चाबी सौंपी।

कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि मछुआ समाज द्वारा शासन के सामने अपनी कई मांगे रखी गई है, जिनमें से कुछ पर पूर्व से ही हमारी सरकार विचार कर रही है। मुख्यमंत्री की सोच है कि मछुआ समाज की जो भी मांगे है और उम्मीदें है, उसे पूरा करने में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए। प्रदेश के मत्स्य कृषकों और मछुआरों के हित को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने मत्स्य पालन को कृषि का दर्जा प्रदान किया है। इसके साथ ही जिस तरह से कृषि कार्य के लिए किसानों को बिजली एवं अन्य उपकरणों में छूट दी जाती है, उसी तरह से मछली की खेती करने वालों को भी राहत देने की दिशा में काम कर रही हैं। कृषि का दर्जा मिलने से मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में थोड़ा भी मेहनत किया जाए तो और अच्छे परिणाम मिलेंगे। मात्र एक साल के भीतर ही 2500 मत्स्य कृषकों को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिला है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने नई पहल करते हुए हर साल 1000 युवाओं को मोंगरी आईसबॉक्स के साथ मोटरसाइकिल प्रदान कर रही हैं, जिसकी शुरूआत हो चुकी है।

आज छत्तीसगढ़ से न केवल जिंदा मछली बेचने का काम हो रहा है, बल्कि कटिंग और प्रोसेसिंग करके इसकी विदेशों में भी सप्लाई की जा रही है। हाल ही में इंग्लैण्ड को 100 टन तेलपिया मछली की सप्लाई के लिए करार किया गया है। कृषि मंत्री ने नई संभावनाओं पर बात करते हुए कहा कि जिस तरह से रेस्टोरेंट से फूड की सप्लाई जोमेटो सर्विस के माध्यम से हो रहा है, तो क्यों न यहां भी मत्स्य कृषकों द्वारा इस तरह की संभावनाओं पर कार्य किया जाएं।

सम्मेलन को छत्तीसगढ़ मछुआ कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष एम.आर. निषाद ने भी सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि समाज के निरंतर विकास के लिए एकजुट होना बहुत जरूरी है। उन्होंने मछली पालन जैसे परंपरागत व्यवसायों के साथ-साथ शिक्षा एवं अन्य व्यवसायों में भी आगे बढ़ने की अपील की। श्री निषाद ने समाज की छोटी-छोटी समस्याओं के निराकरण के साथ ही मछुआरों के हितों को ध्यान में रखते हुए जल्द नवीन मछुआ नीति लागू करने सरकार से मांग की है।

उन्होंने इसके साथ ही मछुआरा समाज के महापुरूषों और ख्यातिप्राप्त विभूतियों के विचारों, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की भी मांग की।

कार्यक्रम को संसदीय सचिव कुंवरसिंह निषाद और शकुन्तला साहू ने भी सम्बोधित किया। इस मौके पर मछुआ बोर्ड के उपाध्यक्ष राजेन्द्र निषाद सहित ढीमर समाज, केंवट समाज, मल्लाह समाज, कहरा समाज, कहार समाज और भोई समाज सहित अनेक समाज प्रमुख तथा बड़ी संख्या में मत्स्य कृषक, मछुआरा समिति के सदस्य तथा विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button