NATO : 30 नाटो सहयोगियों ने स्वीडन और फिनलैंड के लिए एक्सेशन प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर
ब्रसेल्स, 5 जुलाई। NATO : उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के तीस सहयोगी देशों ने स्वीडन और फिनलैंड के लिए एक्सेशन प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए हैं। नाटो के राजदूतों ने मंगलवार को फिनलैंड के विदेश मंत्री पेक्का हाविस्टो और स्वीडिश विदेश मंत्री एन लिंडे की उपस्थिति में नाटो मुख्यालय में फिनलैंड और स्वीडन के लिए एक्सेशन प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए।
नाटो महासचिव ने बताया ‘ऐतिहासिक’ क्षण
नाटो महासचिव जेन्स स्टोलटेनबर्ग ने कहा, “फिनलैंड, स्वीडन, नाटो और हमारी साझा सुरक्षा के लिए यह वास्तव में एक ऐतिहासिक क्षण है।”
पिछले सप्ताह मैड्रिड शिखर सम्मेलन में नाटो (NATO) के मित्र देशों के नेताओं ने तुर्की, फिनलैंड और स्वीडन के बीच एक त्रिपक्षीय ज्ञापन के समझौते के बाद फिनलैंड और स्वीडन को संगठन में शामिल होने के लिए आमंत्रित करने पर सहमति व्यक्त की थी।
यूरोपीय लोकतंत्रों के लिए खुला है नाटो का दरवाजा: स्टोलटेनबर्ग
नाटो के महासचिव ने कहा कि नाटो का दरवाजा यूरोपीय लोकतंत्रों के लिए खुला है जो हमारी साझा सुरक्षा में योगदान देने के लिए तैयार और इच्छुक हैं। उन्होंने कहा कि 32 देशों के साथ हम और भी मजबूत होंगे और हमारे लोग और भी सुरक्षित होंगे, क्योंकि हम दशकों में सबसे बड़े सुरक्षा संकट का सामना कर रहे हैं।
नाटो मुख्यालय में हुई थी एक्सेशन वार्ता
फिनलैंड और स्वीडन ने सोमवार (4 जुलाई) को ब्रसेल्स में नाटो मुख्यालय में एक्सेशन वार्ता पूरी की। दोनों देशों ने औपचारिक रूप से नाटो सदस्यता की राजनीतिक, कानूनी और सैन्य दायित्वों और प्रतिबद्धताओं को पूरा करने की अपनी इच्छा और क्षमता की पुष्टि की थी।
वार्ता नाटो के अधिकारियों और फिनलैंड और स्वीडन के प्रतिनिधियों के बीच आयोजित की गई थी। फिनिश प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री पेक्का हाविस्टो और रक्षा मंत्री एंट्टी कैकोनेन ने किया और स्वीडिश प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्री एन लिंडे ने किया था।
रूस और चीन की घेराबंदी
उधर, 24 फरवरी को रूस की ओर से युद्ध के ऐलान के बाद नाटो ने उसकी चौतरफा घेराबंदी की है। सैन्य संगठन की नजरें अब चीन की ओर टिकी हुई हैं। पिछले सप्ताह मैड्रिड में हुई नाटो की बैठक में जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड ने भी हिस्सा लिया था। नाटो एशिया प्रशांत क्षेत्र के इन चारों देशों के साथ सहयोग बढ़ाकर चीन की घेराबंदी की कोशिशों में जुटा है। नाटो ने इन चारों सहयोगी देशों के साथ साइबर सुरक्षा और नौवहन सुरक्षा पर सहयोग का समझौता भी किया था।
एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि इन चारों देशों के नेताओं के नाटो (NATO) की बैठक में जाने और समझौते की वजह यूक्रेन पर रूस का हमला और चीन की बढ़ती आक्रामकता है। इस बैठक में जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा ने जोर देकर कहा था कि उनकी मौजूदगी यह बताती है कि नेताओं को यह अहसास हो गया है कि यूरोप और हिंद प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा ‘अभिन्न’ है। उन्होंने कहा था कि मैं काफी गहराई से अनुभव कर रहा हूं कि ईस्ट एशिया यूक्रेन में बदल रहा है।