Property of Medical College: A tattoo on the back reads, "Property of Medical College..." Everyone is surprised to learn the reason.Property of Medical College

ग्वालियर, 24 सितंबर। Property of Medical College : अगर कोई व्यक्ति सच्चे मन से कोई संकल्प ले और उसे आत्मसात कर ले, तो वह किसी भी लक्ष्य को हासिल कर सकता है। ग्वालियर निवासी 84 वर्षीय अशोक मजूमदार ने यह बात अपने जीवन में चरितार्थ कर दिखाई है। उन्होंने मृत्यु उपरांत देहदान का संकल्प लिया है और इसे कभी न भूलने व परिवार को भी याद दिलाने के लिए अपनी पीठ पर स्थायी टैटू बनवाया है, जिस पर लिखा है- ‘Property of Medical College’ साथ ही वह तारीख भी अंकित है, जब उन्होंने यह टैटू बनवाया था।

अस्पताल में टैटू देखकर चौंके डॉक्टर

हाल ही में अशोक मजूमदार का जयारोग्य अस्पताल में एक ऑपरेशन हुआ। इसी दौरान डॉक्टरों की नजर उनकी पीठ पर पड़े इस टैटू पर गई। जब उन्होंने टैटू पढ़ा, तो सभी चकित रह गए। टैटू पर साफ लिखा था कि यह शरीर अब मेडिकल कॉलेज की संपत्ति है। इसकी जानकारी मिलते ही अस्पताल प्रबंधन ने मामले को गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. आर.के.एस. धाकड़ तक पहुंचाया। डीन ने अशोक मजूमदार से संपर्क किया और जब उन्होंने अपनी मंशा स्पष्ट की, तो सभी अधिकारी गहराई से प्रभावित हुए।

समाज को दिया संदेश, मिला सम्मान

अशोक मजूमदार का मानना है कि मौत के बाद शरीर दान कर देना, मानवता की सबसे बड़ी सेवा है। उनका कहना है, परिवार के लोग संकल्प भूल न जाएं, इसलिए मैंने पीठ पर टैटू गुदवाया है। यह मेरे जीवन का एक मजबूत फैसला है।

उनके इस साहसिक और प्रेरणादायक कदम के लिए गजरा राजा मेडिकल कॉलेज की ओर से सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अशोक मजूमदार को शाल, श्रीफल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

प्रेरणा बने अशोक मजूमदार

गजरा राजा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. धाकड़ ने कहा, आज जब लोग देहदान करने से हिचकिचाते हैं, अशोक मजूमदार जैसे लोग समाज के लिए एक मिसाल हैं। उनके इस कदम से कई लोग प्रेरित होंगे।

अशोक मजूमदार का यह संकल्प न सिर्फ चिकित्सा विज्ञान के छात्रों के लिए उपयोगी साबित होगा, बल्कि यह समाज में देहदान के प्रति जागरूकता फैलाने का भी काम करेगा।

एक ओर जहां लोग मृत्यु के बाद शरीर का दाह संस्कार (Property of Medical College) या कब्र के बारे में सोचते हैं, वहीं अशोक मजूमदार जैसे लोग अपने शरीर को शिक्षा और चिकित्सा के नाम समर्पित कर रहे हैं। उनका यह ‘गजनी स्टाइल’ देहदान संकल्प, समाज के लिए प्रेरणा की मिसाल बन चुका है।

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