स्वास्थ्य

Cough Syrup Scandal : 14 से अधिक बच्चों की दर्दनाक मौत…! गंदगी में बना सिरप…अस्वच्छ पानी टैंक…जंग लगे उपकरण…फैक्ट्री में ऐसे 350 नियमों का उल्लंघन…रोंगटे खड़े करने वाली पूरी रिपोर्ट पॉइंट्स में पेश…यहां पढ़े

नई दिल्ली, 07 अक्टूबर। Cough Syrup Scandal : मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जहरीले कफ सिरप की वजह से 14 से अधिक बच्चों की दर्दनाक मौत ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। जांच में सामने आया है कि बच्चों की मौत कोल्ड्रिफ (Coldrelief) कफ सिरप में डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) नामक खतरनाक रसायन की मौजूदगी के कारण हुई, जो किडनी फेलियर और अन्य अंगों को नुकसान पहुंचाता है।

तमिलनाडु स्थित श्रीसन फार्मास्युटिकल्स नामक कंपनी की फैक्ट्री पर आधारित 26 पन्नों की सरकारी रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें 350 से अधिक नियमों के उल्लंघन की पुष्टि हुई है। इनमें से 39 क्रिटिकल और 325 मेजर कमियां दर्ज की गईं।

DEG जानलेवा रसायन

रिपोर्ट के अनुसार, सिरप में 48.6% तक DEG पाया गया जो अत्यधिक विषैला औद्योगिक रसायन है और आमतौर पर ब्रेक फ्लूइड, पेंट और प्लास्टिक में इस्तेमाल होता है। इसकी थोड़ी सी मात्रा भी इंसानी शरीर के लिए घातक होती है।

  • DEG की जगह आमतौर पर प्रोपलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल होना चाहिए, जो अपेक्षाकृत सुरक्षित है।
  • फैक्ट्री ने बिना बिल के 50 किलो प्रोपलीन ग्लाइकॉल भी खरीदा, जो अवैध है।

सैंपल खुले में लिए गए

निरीक्षण में पाया गया कि कच्चा माल बिना परीक्षण के इस्तेमाल किया गया। सैंपलिंग खुले वातावरण में की गई, जिससे सिरप के दूषित होने की संभावना और बढ़ गई।

उत्पादन बंद, राज्यों में प्रतिबंध

  • तमिलनाडु सरकार ने 1 अक्टूबर से कोल्ड्रिफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया और बाजार से सभी स्टॉक हटाने का आदेश दिया।
  • फैक्ट्री का उत्पादन अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है।
  • मध्य प्रदेश सरकार ने इस मामले में 3 अधिकारियों को निलंबित किया, ड्रग कंट्रोलर को हटाया, और डॉ. प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया गया, जिन्होंने यह सिरप मरीजों को प्रिस्क्राइब किया था।
  • मृतक बच्चों के परिजनों को ₹4 लाख मुआवजा देने की घोषणा की गई है।

देशभर में खतरे की घंटी

इस घटना के बाद मध्य प्रदेश, राजस्थान, केरल, और तमिलनाडु सहित कई राज्यों में कोल्ड्रिफ कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। केंद्र सरकार ने 6 राज्यों में 19 दवा निर्माण इकाइयों का जोखिम-आधारित निरीक्षण शुरू किया है।

विशेषज्ञों की चेतावनी

विशेषज्ञों ने चेताया है कि यदि बुनियादी दवा निर्माण नियमों का पालन नहीं किया गया, तो ऐसी त्रासदियां फिर से हो सकती हैं। यह घटना दवा विनियमन प्रणाली की कमजोरियों को उजागर करती है और सख्त निगरानी की मांग करती है।

बिलकुल, तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्युटिकल्स (Shriisan Pharmaceuticals) फैक्ट्री में हुए 350 नियमों के उल्लंघन को लेकर जो प्रमुख और गंभीर बिंदु रिपोर्ट में सामने आए हैं, उन्हें नीचे बिंदुवार (पॉइंट्स में) रूप से पेश किया गया है।

तमिलनाडु की फार्मा फैक्ट्री में नियमों के उल्लंघन के प्रमुख बिंदु

1. स्वच्छता और हाइजीन का अभाव

  • सिरप का निर्माण गंदगी और अस्वच्छ माहौल में किया जा रहा था
  • साफ पानी के टैंक गंदे और अस्वच्छ हालत में पाए गए
  • उत्पादन क्षेत्रों में एयर फिल्ट्रेशन सिस्टम नहीं था
  • मक्खी पकड़ने वाले उपकरण (फ्लाई कैचर्स) और एयर कर्टेन्स गायब थे
  • चूहों और कीटों को रोकने का कोई प्रबंध नहीं था

2. उपकरण और मशीनरी में खामियां

  • फैक्ट्री में जंग लगे और क्षतिग्रस्त उपकरण उपयोग में थे
  • एयर हैंडलिंग यूनिट (AHU) जैसी बुनियादी व्यवस्था मौजूद नहीं थी
  • लिक्विड फार्मूलेशन ट्रांसफर के लिए प्लास्टिक पाइप का अवैज्ञानिक उपयोग
  • कोई फिल्ट्रेशन सिस्टम नहीं लगाया गया

3. स्टाफ और विशेषज्ञता की कमी

  • कुशल मैनपावर (Skilled Manpower) की भारी कमी
  • क्वालिटी एश्योरेंस (QA) और क्वालिटी कंट्रोल (QC) विभाग नहीं थे
  • कर्मचारियों को उचित ट्रेनिंग या SOP (Standard Operating Procedures) की जानकारी नहीं थी

4. टेस्टिंग और सेफ्टी में लापरवाही

  • कच्चे माल को बिना परीक्षण या अनुमोदन के उत्पादन में इस्तेमाल किया गया
  • बैच रिलीज से पहले कोई जांच या एनालिसिस नहीं किया गया
  • एनालिटिकल टेस्ट मेथड्स का कोई वैलिडेशन नहीं हुआ
  • फार्माकोविजिलेंस सिस्टम (दुष्प्रभावों की निगरानी) पूरी तरह नदारद

5. खतरनाक रसायनों का गलत इस्तेमाल

  • सिरप में 48.6% डायएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) पाया गया, एक घातक विषैला रसायन
  • DEG का उपयोग ब्रेक फ्लूइड, पेंट और प्लास्टिक जैसे औद्योगिक उत्पादों में होता है, दवा में नहीं
  • 50 किलो प्रोपलीन ग्लाइकॉल बिना किसी चालान या रिकॉर्ड के खरीदा गया
  • DEG के कारण किडनी फेलियर और बच्चों की मौत की पुष्टि

6. सैंपलिंग और उत्पादन प्रक्रिया में लापरवाही

  • सैंपलिंग खुले वातावरण में की गई, जिससे उत्पाद का दूषित होना निश्चित था
  • उत्पादन क्षेत्र का डिज़ाइन और लेआउट ही दूषित होने के जोखिम को बढ़ाता था
  • केमिकल इफ्लुएंट्स (रसायनिक अपशिष्ट) सीधे सामान्य नालियों में छोड़े जा रहे थे

7. नियामकीय प्रक्रियाओं का उल्लंघन

  • बिना रजिस्ट्रेशन या अप्रूवल के केमिकल की खरीद
  • प्रोडक्शन और टेस्टिंग से संबंधित कोई डॉक्यूमेंटेशन/रिकॉर्ड मेंटेनेंस नहीं
  • दवाओं के बाजार में आने से पहले कोई ट्रेसबिलिटी या बैच ट्रैकिंग नहीं थी

कुल मिलाकर निष्कर्ष

  • रिपोर्ट में कुल 350 नियमों का उल्लंघन पाया गया
    • 39 क्रिटिकल (गंभीर) खामियां
    • 325 मेजर (महत्वपूर्ण) खामियां
  • ये सभी उल्लंघन मूलभूत दवा निर्माण मानकों के खिलाफ थे
  • अगर यह फैक्ट्री बुनियादी गुणवत्ता मानकों का पालन करती, तो 14 से अधिक मासूम बच्चों की जान बचाई जा सकती थी

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