Disabled Employees: Chhattisgarh government issues major decision...! Instructions to ensure 3% reservation in promotions for disabled employees...see order hereDisabled Employees

रायपुर, 31 अक्टूबर Disabled Employees : छत्तीसगढ़ सरकार ने एक बार फिर दिव्यांगजनों के अधिकारों को सशक्त बनाने की दिशा में अहम कदम उठाया है। सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) ने राज्य के सभी विभागों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं कि दिव्यांग कर्मचारियों को पदोन्नति में 3 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का लाभ अनिवार्य रूप से दिया जाए।

यह निर्देश वर्ष 2014 में जारी शासन आदेश (परिपत्र क्रमांक एफ 4-1/2013/1-3 दिनांक 26 फरवरी 2014) की पुनः याद दिलाने के उद्देश्य से जारी किया गया है।

1995 के अधिनियम पर आधारित अधिकार

यह पहल ‘निःशक्त व्यक्ति (समान अवसर, अधिकार, संरक्षण और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम, 1995’ की धारा 33 के प्रावधानों पर आधारित है। इस अधिनियम के तहत केंद्र और राज्य सरकारों को दिव्यांगजनों को न केवल नियुक्ति बल्कि पदोन्नति में भी आरक्षण देने का अधिकार है।

छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2014 में जारी परिपत्र के माध्यम से सभी विभागों में 3 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण लागू करने का निर्णय लिया था।

विभागीय लापरवाही पर सख्त नाराज़गी

राज्य शासन के संज्ञान में यह बात आई कि कई विभागों ने इस आदेश का पालन नहीं किया, जिससे दिव्यांग कर्मचारियों को पदोन्नति का वैधानिक लाभ नहीं मिल पाया। इस पर नाराज़गी जताते हुए सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागाध्यक्षों, संभागीय आयुक्तों, कलेक्टरों और जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को पत्र जारी किया है।

पत्र में कहा गया है, दिव्यांग शासकीय सेवकों को पूरे सेवाकाल में केवल एक बार पदोन्नति में क्षैतिज आरक्षण का लाभ दिया जाना है। परिपत्र दिनांक 26.02.2014 के निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।

समान अवसर और सहभागिता

राज्य सरकार का उद्देश्य है कि दिव्यांग कर्मचारियों को समान अवसर, गरिमा और सेवा में पूर्ण भागीदारी मिले। शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि यह नीति केवल नियुक्तियों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि पदोन्नति प्रक्रिया में भी लागू की जाएगी।

इस निर्णय से राज्य के हज़ारों दिव्यांग शासकीय कर्मचारियों को करियर ग्रोथ और न्यायसंगत अवसर मिलने की उम्मीद है।
सरकार का यह कदम न केवल संविधान के समान अवसर के सिद्धांत को मज़बूत करता है, बल्कि समावेशी प्रशासन की दिशा में एक बड़ा संदेश भी देता है।

About The Author