नई दिल्ली, 22 नवंबर। New Labour Codes Implemented : भारत के श्रम परिदृश्य में आज एक ऐतिहासिक अध्याय जुड़ गया है। 21 नवंबर 2025 से लागू हुई नई श्रम संहिताएं देश के 29 बिखरे और जटिल कानूनों को हटाकर एक सरल, पारदर्शी और आधुनिक ढांचा पेश करती हैं।
ये बदलाव न सिर्फ करोड़ों श्रमिकों को व्यापक सामाजिक सुरक्षा और नए अधिकार देते हैं, बल्कि उद्योगों को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार करते हुए भारत की अर्थव्यवस्था को एक नए युग में प्रवेश कराते हैं। गिग वर्कर्स से लेकर संविदा कर्मचारियों तक, हर श्रमिक के कार्य जीवन में सुधार लाने वाली यह ऐतिहासिक पहल, कामकाजी भारत के भविष्य को नई परिभाषा दे रही है। आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
सबसे बड़ा बदलाव ग्रेच्युटी का नियम बदला
सरकार द्वारा लागू किए गए श्रम सुधारों में सबसे अहम बदलाव ग्रेच्युटी (Gratuity) से जुड़ा है। अब तक किसी भी संस्थान में लगातार 5 वर्ष की सेवा के बाद ही ग्रेच्युटी का लाभ मिलता था, लेकिन नए नियमों के तहत अब महज 1 साल की सर्विस पर ग्रेच्युटी मिलेगी।
फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉई (FTE) को अब 5 साल का इंतजार नहीं करना होगा। सिर्फ एक वर्ष काम करने के बाद ही वे ग्रेच्युटी पाने के पात्र होंगे। यह बदलाव कर्मचारियों के लिए आर्थिक सुरक्षा को मजबूत करने वाला सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है।
FTE को स्थायी कर्मचारियों जैसी सुविधाएं
नए नियमों के अनुसार, फिक्स्ड टर्म कर्मचारियों को स्थायी कर्मचारियों के बराबर वेतन मिलेगा। मेडिकल सुविधाएं, छुट्टियां और सामाजिक सुरक्षा सहित सभी कानूनी लाभ दिए जाएंगे। सरकार का उद्देश्य कॉन्ट्रैक्ट बेस्ड वर्किंग को कम करना और डायरेक्ट हायरिंग को बढ़ावा देना है।
क्या होती है ग्रेच्युटी?
ग्रेच्युटी किसी कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को उनकी सेवाओं के प्रति आभारस्वरूप दिया जाने वाला एक आर्थिक लाभ है।
पहले यह लाभ 5 साल की नौकरी के बाद मिलता था, पर नए नियमों के तहत अब 1 वर्ष की सर्विस पर ही उपलब्ध होगा।
कर्मचारी रिटायरमेंट या नौकरी छोड़ते समय ग्रेच्युटी की पूरी रकम एकमुश्त प्राप्त करते हैं।
ग्रेच्युटी ऐसे होती है कैलकुलेट
फॉर्मूला:
Gratuity = (अंतिम वेतन) × (15/26) × (कुल वर्ष)
उदाहरण:
यदि कर्मचारी ने 5 वर्ष नौकरी की है और अंतिम वेतन (Basic + DA) ₹50,000 है, तो:
50,000 × 15/26 × 5 = ₹1,44,230
कर्मचारियों को सरकार का बड़ा तोहफा
अब तक उम्मीद थी कि सरकार ग्रेच्युटी की पात्रता 5 से घटाकर 3 साल कर सकती है, लेकिन यह अनुमान पीछे छूट गया, सरकार ने कर्मचारियों के हित में इसे सीधे 1 वर्ष कर दिया। यह फैसला देश भर के करोड़ों कर्मचारियों के लिए एक बड़ी राहत और आर्थिक सुरक्षा का मजबूत आधार साबित होगा।
इस बदलाव होगा असर
1. गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को पहली बार कानूनी पहचान
- ‘गिग वर्क’, ‘प्लेटफॉर्म वर्क’ और ‘एग्रीगेटर’ की आधिकारिक परिभाषा तय।
- एग्रीगेटर कंपनियों को अपने कारोबार का 1–2% सामाजिक सुरक्षा कोष में देना होगा।
- आधार-लिंक्ड UAN से लाभ पूरी तरह पोर्टेबल।
2. संविदा कर्मचारियों को स्थायी जैसी सुरक्षा
- फिक्स्ड टर्म एम्प्लॉईमेंट (FTE) को वैधानिक मान्यता।
- अब केवल 1 वर्ष की निरंतर सेवा के बाद ग्रेच्युटी का अधिकार।
- मुख्य नियोक्ता को स्वास्थ्य लाभ व सामाजिक सुरक्षा देना होगा।
- सभी कर्मचारियों के लिए वार्षिक स्वास्थ्य जांच अनिवार्य।
3. कामकाजी माहौल में बड़े सुधार
- 8 घंटे कार्य-सीमा तय।
- नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य।
- महिलाएं किसी भी शिफ्ट, यहां तक कि रात में भी काम कर सकती हैं (सुरक्षा प्रावधानों के साथ)।
- 500+ कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों में सुरक्षा समिति अनिवार्य।
- इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और ऑडियो-वीडियो कर्मियों को वर्किंग जर्नलिस्ट की श्रेणी में शामिल।
4. औद्योगिक संबंधों में सुधार
- ‘श्रमिक’ की परिभाषा अब और व्यापक सेल्स प्रमोशन कर्मी, जर्नलिस्ट, सुपरवाइजरी कर्मचारी भी शामिल।
- वर्क फ्रॉम होम को आधिकारिक मान्यता।
- शिकायत निवारण समितियों में महिलाओं का प्रतिनिधित्व अनिवार्य।
- कई अपराधों का डिक्रिमिनलाइजेशन, ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और डिजिटल रिकॉर्ड की सुविधा।
यह सुधार क्यों ऐतिहासिक माना जा रहा है?
- भारत के कई पुराने श्रम कानून 1930–1950 के दौर के थे; आज की अर्थव्यवस्था से मेल नहीं खाते थे।
- जटिलता और अनुपालन भार कम होगा।
- गिग इकॉनमी, प्रवासी श्रमिक, महिलाएं, और संविदा कर्मचारी, सभी को मजबूत सुरक्षा मिलेगी।
- डिजिटलाइजेशन के साथ ‘वन लाइसेंस, वन रजिस्ट्रेशन, वन रिटर्न’ से प्रक्रियाएं आसान होंगी।

