हरियाणा, 26 नवंबर। Death of Basketball Players : रोहतक और बहादुरगढ़ में मात्र 48 घंटे के भीतर दो युवा बास्केटबॉल खिलाड़ियों की मौत ने पूरे राज्य को झकझोर दिया है। खराब खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर और लापरवाही का ऐसा उदाहरण शायद ही कभी देखने को मिला हो। रोहतक के लाखन माजरा गांव में मंगलवार सुबह हुआ हादसा CCTV में कैद हो गया और इसे देखकर हर कोई स्तब्ध है।
लटकते ही गिर पड़ा लोहे का पोल
लाखन माजरा गांव के खेल ग्राउंड में बने बास्केटबॉल कोर्ट पर 16 वर्षीय नेशनल खिलाड़ी हार्दिक अकेले प्रैक्टिस कर रहा था। करीब 10 बजे वह बास्केटबॉल पोल से लटककर स्ट्रेंथ प्रैक्टिस कर रहा था। पहली बार लटका तो सब ठीक रहा, लेकिन दूसरी बार जैसे ही उसने पोल पकड़ा, लोहे का पूरा पोल उसकी तरफ गिर पड़ा। हार्दिक जमीन पर दब गया। पास में मौजूद खिलाड़ियों ने तुरंत उसे निकाला और PGI रोहतक पहुंचाया, लेकिन इलाज के दौरान उसने दम तोड़ दिया।
नेशनल लेवल का खिलाड़ी कई मेडल जीते थे
बता दें कि, हार्दिक ने कई बड़े टूर्नामेंटों में अपना प्रदर्शन दिखाया था। उन्होंने कांगड़ा में सिल्वर मेडल, हैदराबाद में ब्रॉन्ज, पुडुचेरी में एक और ब्रॉन्ज जीता था। इतने होनहार खिलाड़ी की असमय मौत ने सभी को चौंका दिया। परिवार और गांव के लोगों को उम्मीद थी कि हार्दिक भविष्य में देश का नाम रोशन करेगा, लेकिन इस खराब सिस्टम ने उसकी प्रतिभा और जिंदगी दोनों छीन लीं।
दो दिन पहले सेम हादसे में एक और खिलाड़ी की मौत
यह रोहतक का पहला मामला नहीं है। दो दिन पहले, बहादुरगढ़ के होशियार सिंह स्टेडियम में भी बास्केटबॉल का पोल गिरने से 15 वर्षीय अमन की मौत हो गई थी। अमन शाम करीब 3:30 बजे अभ्यास कर रहा था कि अचानक पोल टूटकर उसके ऊपर गिर गया। उसे भी PGI रोहतक ले जाया गया, पर बचाया नहीं जा सका।
दो मौतें की एक ही वजह
दोनों हादसों में कारण एक ही सामने आया है, कमजोर, पुराने या गलत तरीके से लगाए गए बास्केटबॉल पोल। समय-समय पर की जाने वाली सुरक्षा जांच का अभाव। खेल मैदानों में पूरी लापरवाही। खिलाड़ियों के परिजनों और स्थानीय लोगों में गुस्सा है।
सबका एक ही सवाल, अगर पोल मजबूत होते, अगर इनकी जांच हुई होती, तो क्या आज दोनों बच्चे ज़िंदा होते?
राज्यभर में तत्काल जांच की मांग
लगातार दो हादसों के बाद मांग तेज हो गई है कि, सभी स्टेडियमों की तुरंत तकनीकी जांच हो। बास्केटबॉल पोल, फुटबॉल गोलपोस्ट, जिम संरचनाएं, सभी की सेफ्टी ऑडिट हो। दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाए। नए सुरक्षा मानक लागू किए जाएं।कई खिलाड़ी और कोच खुलकर कह रहे हैं, मैदान में खेलने आए बच्चे मरने नहीं, सीखने आते हैं…जिम्मेदारी तय करनी होगी।

