रायपुर, 17 मई। Agricultural Research Projects : इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल आज कृषि महाविद्यालय, रायपुर के सभाकक्ष में विभिन्न कृषि अनुसंधान परियोजनाओं से जुड़े हुए वैज्ञानिकों को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से बदलते वैश्विक परिवेश के अनुसार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार की जरूरतों और मांगों को ध्यान में रखते हुए शोध करने का आह्वान किया है।
उन्होंने कहा कि विभिन्न फसलों की ऐसी किस्में विकसित की जानी चाहिए जिनकी किसानों के बीच ज्यादा मांग है। इसके साथ ही खेती की लागत कम करने तथा किसान की आय बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिए। डॉ. चंदेल ने कृषि अनुसंधान कार्याें में (Agricultural Research Projects) केन्द्र एवं राज्य प्रवर्तित योजनाओं का लाभ प्राप्त करने पर बल दिया। कुलपति डॉ. चंदेल ने इस अवसर पर कृषि महाविद्यालय, रायपुर के नवीनीकृत सभाकक्ष का लोकार्पण भी किया।
कृषि के क्षेत्र में अनेक चुनौतियां
कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित करते हुए कुलपति ने कहा कि आज देश में कृषि के क्षेत्र में कई चुनौतियां हैं, जिनमें बदलते मौसम का मिजाज, खेती की बढ़ती लागत, कम उत्पादकता और उच्च जोखिम शामिल हैं। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को इन चुनौतियों से निबटते हुए कृषि उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने तथा किसानों की आय में वृद्धि करने के लिए अनुसंधान कार्य करना चाहिए।
उन्नत फसल उत्पादन पर दिया जोर
डॉ. चंदेल ने कहा कि फसलों की ऐसी किस्में विकसित की जानी चाहिए जो मौसम की विषमताओं को सहने और अधिक उत्पादन देने में सक्षम हों। उन्होंने कहा कि युवा वैज्ञानिकों को अपने अनुसंधान एवं उत्पाद को पेटेन्ट करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। डॉ. चंदेल ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा उत्पादित बीजों को किसानों एवं खुले बाजार में ‘‘इंदिरा बीज’’ के नाम से विक्रय किया जाएगा।
अनुसंधान कार्यों की दी जानकारी
बैठक की शुरूआत में संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक त्रिपाठी ने कृषि विश्वविद्यालय में संचालित अनुसंधान कार्याें की जानकारी देते हुए बताया कि विश्वविद्यालय में स्थित 18 अनुसंधान केन्द्रों के माध्यम से 5 अन्तर्राष्ट्रीय अनुसंधान परियोजनाएं तथा 42 अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजनाएं संचालित की जा रही है।
इसके साथ ही विश्वविद्यालय स्तर पर 176 परियोजनाएं संचालित की जा रही है। विश्वविद्यालय द्वारा अब तक 36 विभिन्न फसलों की लगभग 150 प्रजातियां विकसित की गई हैं।
विश्वविद्यालय द्वारा किसानों के लिए 100 से अधिक नवीन कृषि तकनीकें विकसित की गई हैं। निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. पी.के. चन्द्राकर ने विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विस्तार गतिविधियों के बारे में जानकारी दी।
कृषि महाविद्यालय रायपुर (Agricultural Research Projects) के अधिष्ठाता डॉ. एम.पी. ठाकुर ने स्वागत उदबोधन एवं आभार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. विनय पाण्डेय, खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. एम.पी. त्रिपाठी, विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक एवं वैज्ञानिकगण उपस्थित थे।