Air Strike by Force: Innocent people sleeping in their homes were bombed in Pakistan at midnight! Ten members of the same family died tragically... nine innocent children included... ten small graves dug in a row... see here.Air Strike by Force

नई दिल्ली, 26 नवंबर। Air Strike by Force : अफगानिस्तान के खोस्त प्रांत का गुरबुज जिला मंगलवार की रात दर्दनाक त्रासदी का गवाह बना। आधी रात को पाकिस्तान वायुसेना द्वारा किए गए एयर स्ट्राइक में एक ही परिवार के 10 लोग मारे गए, जिनमें 9 मासूम बच्चे थे। छोटी-छोटी 10 कब्रें कतार से खोदी गईं और कुछ ही देर में गमजदा लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। लोगों का ग़ुस्सा पाकिस्तान सेना के खिलाफ साफ झलक रहा था, किसी का एक महीने का बच्चा छिना, तो किसी का 3, 7 या 11 साल का।

एक महीने की बच्ची भी नहीं बची

इस हमले में नूर असलम नाम के अफगानी नागरिक के 7 बच्चे मारे गए, जिसमें 16 महीने का मोहिबुल्लाह, 3 साल का होजबुल्लाह, 5 साल का शम्सुल्लाह, 7 साल का असदुल्लाह, 13 साल का दादुल्लाह, 11 साल की पलवासा और 7 साल की आइसा।

इसी परिवार के समीउल्लाह की 3 साल की आसिया और 1 महीने की आलिया भी इस हमले की शिकार बनीं। इसके अलावा 35 वर्षीय जनत खेल की बेटी रजिया की भी मौत हो गई। चश्मदीदों और रिश्तेदारों के अनुसार इनमें से कोई भी दहशतगर्द नहीं था, ये सभी अपने घरों में सो रहे निर्दोष लोग थे।

मलबे में दबे मिले शव

आधी रात को हुए धमाके के बाद जब लोग मौके पर पहुंचे तो घर मलबे में बदल चुका था। गवाह वलीउर रहमान ने बताया, जब हम पहुंचे तो शहीदों और घायलों की लाशें मलबे में दबी हुई थीं। दस लोग मारे गए और तीन घायल हुए।

गुरबुज जिला पाक सीमा से लगा संवेदनशील इलाका

गुरबुज जिला खोस्त प्रांत के दक्षिण-पूर्वी भाग में स्थित है और दक्षिण व पूर्व में इसकी सीमा पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से लगती है। यह पहाड़ी व जंगलों वाला क्षेत्र है, जहां 99% आबादी पश्तून समुदाय की है, जो सुन्नी इस्लाम का पालन करती है।
सीमा के पास होने के कारण यह इलाका हमेशा से तनाव और हमलों का गवाह रहा है।

इंसानियत का कत्ल बताया

शोकाकुल रिश्तेदारों ने पाकिस्तान की इस कार्रवाई को इंसानियत के खिलाफ जुर्म और अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन बताते हुए दुनिया भर की संस्थाओं से दख़ल की अपील की। पीड़ित के रिश्तेदार शरियत खान ने कहा, बमबारी में सिर्फ़ एक बच्चा और एक बच्ची ही जिंदा बचे हैं, बाकी 10 शहीद हो गए।

अब्दुल अलीम बोले, हर बार पाकिस्तान आम लोगों को निशाना बनाता है। इंटरनेशनल कम्युनिटी इसे रोकने के लिए कदम उठाए। अकबर जान ने चेतावनी दी, अगर ऐसी हरकतें जारी रहीं, तो हम कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं।

पाकिस्तान सरकार की ‘बेशर्मी’

दूसरी ओर, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने दावा किया कि उनकी सेना अनुशासित है, आम लोगों को निशाना नहीं बनाती और तालिबान से किसी अच्छे काम की उम्मीद नहीं है।

जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान इस हमले की ज़िम्मेदारी से बच रहा है, तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान केवल ‘रिएक्ट’ करता है और उसकी कार्रवाई में आम लोग निशाना नहीं बनते, लेकिन जमीनी हक़ीक़त इससे बिल्कुल उलटी दिखाई देती है।

तीन बार शांति की कोशिशें नाकाम

बता दें कि, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच शांति बहाल करने की अब तक की तीन कोशिशें नाकाम हो चुकी हैं।
हर बार सीमापार तनाव और बढ़ जाता है, और उसकी कीमत निर्दोष लोग अपनी जान देकर चुकाते हैं।

खोस्त की इस त्रासदी ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है, सीमा पर राजनीति की कीमत बच्चों की लाशें क्यों बनती हैं? जब तक दोनों देशों के बीच भरोसा और जवाबदेही नहीं बनेगी, ऐसी घटनाएं इंसानियत को शर्मसार करती रहेंगी।

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