रायपुर, 13 नवम्बर। Big Action by ED : प्रवर्तन निदेशालय के रायपुर जोनल कार्यालय ने छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाले की जांच के तहत पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल की कुल ₹61.20 करोड़ की चल-अचल संपत्तियों को अस्थायी रूप से कुर्क किया है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई है।
ईडी के अनुसार, कुर्क की गई संपत्तियों में, ₹59.96 करोड़ मूल्य की 364 आवासीय प्लॉट्स और कृषि भूमि और ₹1.24 करोड़ की फिक्स डिपॉजिट और बैंक बैलेंस शामिल हैं।
ईडी ने यह जांच एसीबी/ईओडब्ल्यू रायपुर द्वारा दर्ज प्राथमिकी के आधार पर शुरू की थी, जिसमें भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं के तहत कार्रवाई की गई थी।
जांच में सामने आया है कि इस शराब घोटाले से राज्य को भारी वित्तीय नुकसान हुआ और ₹2500 करोड़ से अधिक की अवैध कमाई (Proceeds of Crime) विभिन्न माध्यमों से की गई।
ईडी की जांच में यह भी उजागर हुआ है कि चैतन्य बघेल शराब सिंडिकेट के शीर्ष स्तर पर सक्रिय थे। उनकी पहचान मुख्यमंत्री के पुत्र होने के कारण सिंडिकेट के नियंत्रक और निर्णयकर्ता के रूप में हुई। उनकी भूमिका अवैध धन के संग्रह, प्रबंधन, चैनलाइजेशन और वितरण में रही, और उन्होंने इन अवैध धनराशियों को अपने रियल एस्टेट व्यवसाय ‘विट्ठल ग्रीन’ (मालिक बघेल डेवलपर्स) के माध्यम से वैध दर्शाने की कोशिश की।
₹2500 करोड़ के शराब घोटाले में ₹61.20 करोड़ की संपत्ति कुर्क
ईडी ने बताया कि चैतन्य बघेल को 18 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया गया था, और वे वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं। इस मामले में इससे पहले भी कई बड़े नामों की गिरफ्तारी हो चुकी है, अनिल टुटेजा (पूर्व आईएएस), अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनवर ढेबर, अरुण पाट त्रिपाठी (आईटीएस), और कवासी लखमा (विधायक एवं तत्कालीन आबकारी मंत्री) को ईडी पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है।
ईडी ने कहा कि यह ₹61.20 करोड़ की कुर्की पहले की गई लगभग ₹215 करोड़ की संपत्ति कुर्की का विस्तार है। एजेंसी ने यह भी बताया कि आगे की जांच जारी है।
बहरहाल, इस कार्रवाई से राजनीतिक हलचल भी तेज हो गई है, क्योंकि मामला सीधे राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़ा है। छत्तीसगढ़ में यह शराब घोटाले-कर्ज़की रकम की जांच अब मुख्य केंद्र में आ गई है।


