Black Marketing : खाद की कालाबाजारी करने वाले 4 व्यापारियों को नोटिस

रायपुर, 10 फरवरी। Black Marketing : छत्तीसगढ़ में रबी फसल के लिए रासायनिक खादों की किल्लत हो गई है। दूसरी ओर सहकारी सोसायटियों में पर्याप्त मात्रा में खाद नहीं होने के कारण किसान दर-दर भटकाने को मजबूर है। गांवों से लेकर शहरों तक में खाद की जबरदस्त कालीबाजारी की जा रही है। किसान, मजबूरी में महंगे दाम में निजी दुकानों से खाद खरीद रहे हैं। इधर, खाद की कालाबाजारी को देखते हुए कृषि विभाग ने निरीक्षण करके रायपुर जिले के चार दुकानदारों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
अधिकारियों का कहना है कि इस साल रबी फसल के लिए केंद्र सरकार से 7.50 लाख मीट्रिक टन यूरिया, पोटाश, डीएपी, सुपर फास्फेट, एनपीके जैसे खाद की मांग की गई थी, लेकिन प्रदेश को 3.20 लाख मीट्रिक टन खाद ही मिला है। बता दें कि प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी सात फरवरी को बंद हुई है। इस कारण कई सोसायटियों में खाद नहीं बांट रहे थे।
14 दुकानों का निरीक्षण
इधर, अधिकारियों का कहना है कि सोसायटियों में खाद है, लेकिन जब बांटने की बारी आई तो खाद की कमी बताने लगे। कृषि विभाग रायपुर ने विकासखंड स्तर पर उर्वरक की कालाबाजारी (Black Marketing) को रोकने के लिए गठित निरीक्षण जांच दल ने चारों विकासखंडों में एक साथ उर्वरक और कीटनाशक विक्रय केंद्र का निरीक्षण किया।
बुधवार को जिले के 14 विक्रय परिसरों में दबिश दी। उप संचालक कृषि आरके कश्यप ने बताया कि अनियमितता पाए जाने पर चार विक्रय परिसर जिसमें विकासखंड अभनपुर के अभनपुर कृषि केंद्र और संजीव कृषि केंद्र ग्राम-खोरपा और विकासखंड आरंग के सांई ट्रेडर्स और कृषि सेवा केंद्र ग्राम-गुल्लू को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
उपलब्धता के अनुसार होगी खाद का वितरण
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार के रासायनिक उर्वरकों के डिमांड कोटे में 45 फीसद की कटौती भी केन्द्र सरकार ने कर दी है। 7 लाख 50 हजार मेट्रिक टन के विरूद्ध केन्द्र ने मात्र 4 लाख 11 हजार मेट्रिक टन उर्वरक प्रदाय किए जाने की स्वीकृति दी है। जिसके चलते राज्य में रासायनिक उर्वरकों की कमी की स्थिति निर्मित हो गई है। इसके बावजूद भी राज्य के किसानों को रासायनिक उर्वरकों की उपलब्धता के आधार पर सोसायटियों से खाद उपलब्ध कराई जा रही है।
छत्तीसगढ़ राज्य विपणन संघ से प्राप्त जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ राज्य को अब तक यूरिया 1,17,522 मेट्रिक टन प्राप्त हुआ है, जो राज्य की मांग का मात्र 34 प्रतिशत है। इसी तरह छत्तीसगढ़ राज्य को मांग का डीएपी मात्र 28 प्रतिशत, पोटाश 53 प्रतिशत, एनपीके काम्प्लेक्स 43 प्रतिशत प्राप्त हुआ है।
कम आवंटन से प्रदेश में उर्वरकों की कमी
यहां यह उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में इस साल रबी सीजन में 18 लाख 50 हजार हेक्टेयर में विभिन्न फसलों की बुआई का लक्ष्य निर्धारित है। अब तक 15 लाख 76 हजार हेक्टेयर में बोनी हो चुकी है। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा भारत सरकार को 7.50 लाख मेट्रिक टन रासायनिक उर्वरक (Black Marketing) की मांग भेजी गई थी, जिसमें यूरिया 3.50 लाख मेट्रिक टन, डीएपी 2 लाख मेट्रिक टन, पोटाश 50 हजार मेट्रिक टन, एनपीके काम्प्लेक्स 75 हजार मेट्रिक टन एवं सुपर फास्फेट (राखड़) 75 हजार मेट्रिक टन है। जिसके विरूद्ध भारत सरकार द्वारा 4,11,000 मेट्रिक टन स्वीकृति दी गई, जो छत्तीसगढ़ राज्य की मांग का 55 प्रतिशत है। यह राज्य की मांग के अपेक्षा काफी कम है।