छत्तीसगढ

CA Ravi Gwalani की कलम से✒ कोरोना वायरस एक भयानक बीमारी या उत्सव

सुकून तलाशने निकला था मैं, अपनो को पीछे छोड़ कर,
आज उनकी ही याद आ रही है, मौत को सामने खड़ा हुआ देख कर

सुनने में शायद अटपटा लगे लेकिन आपने बिल्कुल ठीक ही पढ़ा। कोरोना वायरस- एक भयानक बीमारी या उत्सव। भारत देश में जहाँ जनसंख्या 130 करोड़ से ज़्यादा है वहां अभी तक लगभग 110 लोगों को यह बीमारी संक्रमित पाई गई है और देश की सरकार के साथ साथ लगभग प्रदेश की हर सरकार ने स्कूल, कॉलेज, यूनिवर्सिटी, सिनेमा हॉल, मॉल और बहुत सारी सार्वजनिक जगाहों पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार का मानना है कि आने वाले 15 दिन आपको जितना हो सके अपने घर पर रहना चाहिए ताकि आप सुरक्षित रह सकें।
आज के इस भागते हुए दौर में जहां एक तरफ हमको खाना खाने की भी फुरसत नही मिलती है, वहां सीधे तौर पर वर्क फ्रॉम होम का आदेश सा आ गया है। हाल ही में एक खबर में यह पढ़ने को मिला कि चीन में लगभग 300 शादी शुदा दंपत्तियों ने तलाक की अर्जी दाखिल की है, तर्क यह दिया गया है कि पति ज़रूरत सर ज़्यादा समय पत्नी के साथ बिता रहे हैं तो उनके बीच में झगड़े शुरू हो गए हैं जिससे बहुत सारे जोड़ों ने तलाक की अर्जी दाखिल की है कोर्ट में।

ऐसा अमूमन सिर्फ रविवार को ही देखने को मिलता था जब पति- पत्नी, मां- बाप और बच्चे सब घर पर रहते थे और उसमें भी आधा समय आज के आधुनिक बाजार जिसे मॉल कहते हैं उसमें गुज़र जाता था। छोटे बच्चों को आकर्षित करने के लिए मॉल में विभिन्न प्रकार के गेम्स, एक्टिविटीज, आदि रखी जाती हैं, जिससे मनोरंजन के साथ इकॉनमी में वृद्धि भी होती रही है। उसके साथ साथ पूरे परिवार को एक सूत्र में बांधने का काम भी किया है।
घर की गृहणियां शायद आने वाले दिनों में ज़्यादा परेशान हों क्योंकि सुबह उठने के बाद से बच्चे कहीं जा नही सकते स्कूल, टयूशन, मॉल, लाइब्ररी, स्विमिंग पूल, समर क्लासेस, आदि सब पर रोक या तो सरकार ने लगा दी है और कुछ ने ऐतिहातन खुद ही लगा दी है। नौकरी कर रहे लोगों को वर्क फ्रॉम होम की सलाह दी गयी है मतलब यह कि अगर कोई व्यक्ति कार्यस्थल पर अगर 5 बार चाय पिता था तो अब उसे यह सोचना पड़ेगा कि यह चाय वो पत्नी से बनवाए या खुद बनाए, क्योंकि अगर माँ से बनवाएगा तो पत्नी बुरा मान सकती है।
हाल ही में होली का त्योहार गया है तो घर पर कामवाली बाई का आना भी आज कल नासारा सा ही है। वैसे गृहणियों के गुस्से को रोज़ झेलने की ताकत सिर्फ रिटायर्ड लोगों को ही ज़्यादा रहती है।
हम सब इतनी तेज गति से अपनी ज़िंदगी में भाग रहे हैं कि हमने अपने बच्चे से बैठ कर कब बातें की थी शायद हमें याद भी नहीं, सुबह से रात तक सिर्फ भविष्य की चिंता करते करते हम आज को तो भूल ही गए हैं। कंपनी के टारगेट को पूरा करने में हम इतने ज़्यादा फसे हुए हैं कि कब जुलाई के महीना आ जाता है कब स्कूल शुरू हो जाते हैं पता ही नही चलता, टारगेट पूरा करते करते बच्चा एक साल बड़ा हो जाता है और हम एक नए टारगेट में उलझ जाते हैं।
बूढ़े मां-बाप जिनके पास अपनी ज़िंदगी का बहुत सारा खट्टा मीठा अनुभव होता है उसे सुनने के लिए कभी हम सोच ही नही पाते। बाप अपने बेटे को सिर्फ या तो सुबह नाश्ते पर मिलता है या रविवार को।
इंसान इतना भाग रहा है कि उसके भागने का असली लक्ष्य तो वो भूल ही चुका है, उसे यह समझ नही आ रहा है कि जिंदगी का मूल उद्देश्य कंपनी के टारगेट पूरा करना है या एक अच्छी ज़िन्दगी जीना जिसका हिस्सा उसके बीवी और बच्चे भी हैं। हर व्यक्ति की एक उम्मीद रहती है कि एक दिन में ऐसा करूँगा और वैसा करूँगा, पर वो एक दिन कभी आ ही नही पाता।
आज वायरस के प्रकोप से ही हर इंसान अपने परिवार के साथ समय बिताने में आ गया है, उसे अपनो को समझने एवं उनके साथ बातें करने का समय मिलेगा, वो अपने बच्चों के मन को समझ पाएगा और जनरेशन गैप को दूर करने की कोशिश भी कर सकता है।
एक समय होता था जब त्योहार मनाए जाते थे, उन्हें पूरे हर्ष ओ उल्लास के साथ जिया जाता था और उनका महत्व भी समझा जाता था।परंतु आज त्योहार महज़ एक छूट्टी महज़ हो गए है, न तो लोग होली खेलना पसंद करते हैं न दीवाली में किसी से मिलना, बस टिकट बुक कर के बाहर किसी जगह में रिसोर्ट में जाकर आराम करना पसंद करते हैं।

चीन के राष्ट्रपति ने कहा था कि हम दैत्य से लड़ाई लड़ रहे हैं, उन्हीने कोरोना को दैत्य के रूप में देखा था, दुनिया की 5 बड़ी अंतरराष्ट्रीय शक्ति में एक चीन एवं उसके राष्ट्रपति का ऐसा व्याख्यान शायद किसी ने ठीक से समझा ही नही था। दैत्य के पास बहुत सारी शक्तियां होती है वो कभी भी एक अस्त्र पर निर्भर नही होता ऐसा हमारे शास्त्रों में भी हमने पढ़ा है, अगर एक अस्त्र फीका पड़ जाता है तो दूसरे और ज़्यादा ताकतवर अस्त्र का प्रयोग वो करता है,पूरी दुनिया का ध्यान जब सिर्फ चीन के वुहान पर था तब सबकी आंखों को धोखा देते हुए वायरस यूरोप में और एशिया के मिडिल ईस्ट में निकल गया और आज जिसका असर लगभग 137 देशों में देखा जा सकता है।
आज पूरी दुनिया सोचने पर विवश हो गयी है कि इसका सामना कैसे किया जाए, जैसा कि हम मैनेजमेंट के सिद्धांत में पढ़ते हैं कि अगर आप अपने प्रतिद्वंदी को हराना चाहते हैं तो अपनी ताकत बढ़ाने के लिए आपको दूसरों की मदद भी लेनी पड़ती है इसी तरह आज पूरी दुनिया इस दैत्य रूपी कोरोना से लड़ने के लिए एक सी हो गयी है।
वायरस ने किसी को भी नही बक्शा है बड़े बड़े देशों के मंत्रियों से लेकर छोटे काम कर रहे व्यक्तियों तक सभी को इसने अपने गिरफ्त में ले लिए है,आज हमें सोचना पड़ेगा कि प्रकृति के ऊपर कुछ भी नही है, क्या राजा क्या फ़क़ीर।

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