छत्तीसगढ

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस विशेष पर मितानिन आरती सोनी की जुबानी

महासमुंद। मितानिन के रूप में कार्य करते हुए बसना, महासमुंद की आरती सोनी ने समुदाय में बहुत से बदलाव देखे हैं। वर्ष 2013 से अब तक मितानिन आरती के अथक प्रयास और सराहनीय कार्य की वजह से गांव में जहां संस्थागत प्रसव, किशोरी स्वास्थ्य एवं माहवारी स्वच्छता के प्रति लोगों की मानसिकता बदली है परंतु जो नहीं बदला वह है मानसिक रोगियों के प्रति धारणाएँ और उपेक्षा।
आरती कहती हैं “जिला प्रशासन की पहल पर मानसिक स्वास्थ्य को लेकर शुरू हुए नवजीवन कार्यक्रम से जुड़ने के बाद मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करने के साथ-साथ मानसिक रोगियों को अस्पताल या स्पर्श क्लिनिक पहुंचाने का कार्य कर रही हूं परंतु मानसिक रोगियों की पहचान, देखभाल और ऐसे लोगों के प्रति सामाजिक चेतना जगाने की और जरूरत हैI“
आरती का कहना है मानसिक रोगियों की पहचान करना, उन्हें इलाज के लिए प्रेरित करना और उनकी काउंसिलिंग कर उनके मन में आने वाले विचारों को लोगों के समक्ष खुलकर रखने के लिए प्रेरित करना सबसे मुश्किल कार्य है। अपने कार्यकाल में सबसे कठिन उसे यही कार्य लगा । इसके अलावा पुरूष नसबंदी के लिए प्रेरित करना भी कठिन लगा। बावजूद इसके आरती ने समाज में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति लोगों को जागरूक करना, मानसिक अस्वस्थ्य व्यक्ति की पहचान कर उसे उचित स्वास्थ्य परामर्श दिलाने के लिए अस्पताल पहुंचाने का कार्य बखूबी किया है। जिले में नवजीवन प्रशिक्षित सखी का प्रशिक्षण पाकर उत्कृष्ट कार्य करने पर उन्हें अंतर्राष्ट्रीय दिवस 8 मार्च के उपलक्ष्य में पुरस्कृत किया जाएगा। जिला प्रशासन से मिले प्रशिक्षण के बाद मानसिक स्वास्थ्य के प्रति समाज को जागरूक करने में उन्हें सफलता भी मिल रही है।
समाज के हर व्यक्ति की भलाई और तरक्की की चाहत रखते हुए 2013 से आरती मितानिन के रूप में कार्य कर रही हैं। इन्होंने मितानिन कार्यक्रम के माध्यम से समुदाय में कई बदलाव करने की कोशिश की है। सबसे बड़ा बदलाव तो उन्होंने लोगों में आत्मविश्वास जगाकर जीवन जीने के प्रति ललक जगाकर किया है।
आरती कहती हैं आत्महत्या विरोधी अभियान के तहत गांव के लोगों में मानसिक अस्वस्थता के लक्षण को बताकर ऐसे व्यक्तियों की पहचान कर उनसे सकारात्मक व्यवहार करने को बताती हूं। उन्होंने बताया समुदाय में नशा करने वालों की संख्या ज्यादा है इससे कई बार व्यक्ति तनावग्रस्त या फिर मानसिक रूप से अस्वस्थ्य हो जाता है। इन वजहों से घरेलू हिंसा, मारपीट और परिवार विखंडन जैसे मामले भी देखने को मिलते हैं। “ऐसे स्थिति में घर-घर जाकर महिला -पुरूषों की मनोरोग विशेषज्ञ के साथ काउंसिलिंग कर उनकी मानसिक स्थिति को जानने का कार्य करती हूं। जरूरत होने पर उन्हें जिला अस्पताल या फिर स्वास्थ्य केन्द्रों में इलाज करवाती हूं।“
समुदाय में सब स्वास्थ्य के प्रति हैं जागरूक – आरती सोनी की मेहनत का नतीजा ही है आज समुदाय में सब स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हैंI सभी उसकी सलाह भी मानते हैं। लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था। कम शिक्षत होने की वजह से कई बार उन्हें रजिस्टर भरने और नवीन कामकाज और जिम्मेदारियों को वहन करने में थोड़ी परेशानी होती है। परंतु उनकी मदद उनके बच्चे और पति करते हैं। यहां तक की उनका बेटा ज़रूरत पढ़ने पर गर्भवती महिलाओं और बीमार बच्चों के साथ स्वास्थ केंद्र भी चला जाता है। गांव की पंचायत से मदद लेकर आरती सबको स्वास्थ सेवाएँ उपलब्ध करा रही हैं ताकि सभी स्वस्थ्य हों और तनाव से दूर रहें।
समुदाय में पहले और अब में आया काफी फर्क – आरती कहती हैं समुदाय में पहले और आज में काफी फर्क आया है। अथक प्रयास से ही हमारे क्षेत्र में शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव हो रहे हैं। इतना ही नहीं महिला हिंसा निदान, मदिरा निषेध, बालिका शिक्षा, बालिका स्वास्थ्य एवं मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता आई है। मुझे याद है जब एक महिला ने हमारी सलाह मानकर अपने पति (नशे की लत से बीमार और मानसिक रोगी ) को स्थानीय स्वास्थ्य केन्द्र लाकर इलाज कराया था। उसी महिला ने एक दिन रात में अपने संबंधी महिला को संस्थागत प्रसव कराने के लिए रात में मुझे बुलाकर अस्पताल चलने को कहा था। इस घटना को मैं ताउम्र नहीं भूल सकती।

इन उत्कृष्ट कार्य के लिए मिलेगा पुरस्कार

1. इनकी की काउंसिलिंग और बचाई गृहस्थी – सरला (परिवर्तित नाम) ग्राम केरा, महासमुंद पति की प्रताड़ना से तंग होकर अपने पिता के घर चली गई थी। उसका पति राकेश ( परिवर्तित नाम) उसके साथ रोजाना शराब पीकर गाली-गलौच करता था और उसे मारता-पीटता था। आरती सोनी को जब इसकी जानकारी मिली तो महिला हिंसा के विरूद्ध उन्होंने आवाज उठाया और ग्राम स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति की बैठक कर सरला के पति राकेश को समझाया। काफी प्रयत्न के बाद आखिरकार राकेश मान गया और अपनी पत्नी सरला को तीन माह बाद अपने घर ले आया। आज उनकी गृहस्थी अच्छे से चल रही है और राकेश शराब भी पीना छोड़ दिया है।

2. मानसिक रोगी को पहुंचाया अस्पताल जगाई जीवन की आस- महासमुंद निवासी क्षेत्रपाल ( परिवर्तित नाम) जीवन से काफी हताश हो चुके थे। मानसिक तनाव, अवसाद की वजह से कई बार वे आत्महत्या करने की कोशिश भी कर बैठे थे। आरती सोनी मितानिन दीदी ने उनके मानसिक अस्वस्थता के बारे जाना और उनसे बात कर हताशा का कारण जाना । इसके उपरांत नवजीवन कार्यक्रम के तहत क्षेत्रपाल मनोरोग विशेषज्ञ से मिलवाया और घरवालों को समझाकर उन्हें जिला अस्पताल के स्पर्श क्लीनिक तक पहुंचाया। अभी क्षेत्रपाल पहले से काफी ठीक हैं और उनका इलाज चल रहा है और उनके घर वालों के सहयोग से वह नियमित दवाएं भी ले रहे हैं।

3. मासिक धर्म स्वच्छता की दी सीख- ग्राम गनेकेरा सखी बैठक के दौरान आरती सोनी मितानिन किशोरी बालिकाओं को स्वच्छता के बारे में बताती हैं। इतना ही नहीं माहवारी स्वच्छता के तहत माहवारी होने पर संक्रमण ना फैले इसलिए कपड़े की बजाए सेनेटरी पैड्स का उपयोग करने की सलाह देती हैं। आरती बताती हैं पहले इस विषय की चर्चा करने पर सभी महिलाएं एवं किशोरियां झिझकती थीं। परंतु लगातार स्वच्छता के बारे में जागरूक किए जाने के बाद अब किशोरियां अपने मासिक धर्म से जुड़ी समस्याएं भी उनको बताते हुए झिझकती नहीं हैं। स्वच्छता के साथ-साथ आरती किशोरी बालिकाओं को महिला स्वास्थ्य से जुड़ी कई जानकारियां भी देती हैं। उन्हें मानसिक स्वास्थ्य, नशा नहीं करने और ना ही करने देने की सीख भी देती हैं।

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