Freedom Fighter's tragic death...! Video of death shackled to a hospital bed goes viral... serious allegations against the governmentDeath Freedom Fighter

ढाका, 02 अक्टूबर। Death Freedom Fighter : बांग्लादेश के 1971 के मुक्ति संग्राम के नायक, पूर्व उद्योग मंत्री और अवामी लीग के वरिष्ठ नेता नूरुल मजीद महमूद हुमायूँ का ढाका मेडिकल कॉलेज अस्पताल (DMCH) में जेल हिरासत में इलाज के दौरान निधन हो गया। वे 75 वर्ष के थे और 25 सितंबर 2024 से हिरासत में थे। उनकी मौत के बाद बांग्लादेश की राजनीति में मानवाधिकार उल्लंघन और राजनीतिक प्रतिशोध के मुद्दे पर एक बार फिर बहस छिड़ गई है।

डेंगू के लक्षण दिखने पर लाया गया अस्पताल

परिजनों और प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, उन्हें डेंगू संक्रमण के लक्षणों के बाद अस्पताल लाया गया था। पहले उन्हें फर्श पर लिटाया गया, फिर बिस्तर मिला। मृत्यु के समय तक उनके हाथों में बेड़ियाँ बंधी थीं। इलाज के दौरान जेल अधिकारियों ने समय पर चिकित्सकीय मदद नहीं दी। पहला अस्पताल डेंगू इलाज के लिए भर्ती करने को तैयार नहीं था।

राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप

हुमायूँ को जुलाई-अगस्त 2024 में हुई राजनीतिक अशांति के सिलसिले में दर्ज किए गए 1,500 से अधिक मामलों में से एक में गिरफ्तार किया गया था। इन मामलों को राजनीतिक रूप से प्रेरित माना गया है। उनकी उम्र, स्वास्थ्य और केस में कोई ठोस प्रगति न होने के बावजूद ज़मानत अर्जी बार-बार खारिज की जाती रही। विपक्षी दलों और उनके परिजनों का आरोप है कि यह सब यूनुस सरकार के दबाव में हुआ।

परिवार और मानवाधिकार संगठनों का आक्रोश

परिवार ने कहा, यह मौत नहीं, संस्थागत हत्या है। हमारी न्याय व्यवस्था और जेल प्रशासन पूरी तरह फेल हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल और ह्यूमन राइट्स वॉच ने भी हाल के महीनों में बांग्लादेश में राजनीतिक बंदियों की बढ़ती संख्या, लंबी हिरासत और चिकित्सा उपेक्षा को लेकर चिंता जताई थी।

यूनुस शासन और जवाबदेही का सवाल

प्रधानमंत्री मोहम्मद यूनुस की सरकार पर आरोप है कि उन्होंने, विपक्ष को दमन करने के लिए न्यायिक व्यवस्था का दुरुपयोग किया। राजनीतिक विरोधियों को बिना ठोस आरोपों के लंबे समय तक जेल में रखा। जेल में स्वास्थ्य सेवाओं को राजनीति से जोड़कर बदले की भावना से इस्तेमाल किया।

अब सवाल उठ रहा है कि, क्या यूनुस प्रशासन इस मौत की न्यायिक जांच कराएगा? क्या अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस पर कार्रवाई की मांग करेगा? बांग्लादेश की लोकतांत्रिक संस्थाएं इस घटना पर क्या रुख अपनाएँगी?

बहरहाल, नूरुल मजीद महमूद हुमायूँ का जीवन बांग्लादेश (Death Freedom Fighter) की राजनीतिक स्वतंत्रता, सेवा और संघर्ष का प्रतीक रहा। उनकी जेल में उपेक्षा से हुई मौत न सिर्फ मानवता, बल्कि राष्ट्र की आत्मा पर भी एक गहरा प्रश्नचिन्ह है।

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