Jansunvai : दूसरी शादी करने वाली महिलाओं को महिला आयोग की चेतावनी…
सरकारी कर्मचारी से शादी करने वाली महिलाओं को सर्विस बुक में अपना नाम दर्ज कराना होगा
रायपुर, 22 सितंबर। पहली पत्नी केवल 7 साल अपने पति के साथ रही और फिर चली गई। उसके बाद पति ने दूसरी पत्नी बना ली और 27 साल तक साथ रहे। इस दौरान उसके पति की तबीयत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई। इस दौरान अस्पताल में इलाज का सारा खर्च दूसरी पत्नी ने वहन किया था।
अब मुसीबत यहीं से शुरू हुई, जिसमें सरकारी सेवा में कार्यरत मृतक पति ने अपनी सरकारी सेवा पुस्तिका में पहली पत्नी का नाम नहीं हटाया था, लिहाजा पहली पत्नी जो 7 साल तक साथ रही, उसे पूरी रकम मिल गई। अब दूसरी पत्नी मध्यस्थता के लिए महिला आयोग के पास गईं।
यह मामला बुधवार को राज्य महिला आयोग की जनसुनवाई के दौरान उठा। आयोग के पास ये मामला पहुंचा तो, अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक ने अपील की कि किसी सरकारी कर्मचारी से इस तरह शादी करने के बाद महिलाएं अपना नाम सरकारी सेवा पुस्तिका में अतिशीघ्र दर्ज कराएं, नहीं तो सरकारी कर्मचारी की मृत्यु के बाद ऐसी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
आवेदिक ने बताया कि मृतक सरकारी नौकरी में था और पहली पत्नी को तलाक दिये बिना दूसरी शादी कर रखा था। शासकीय अभिलेख में पहली पत्नी का नाम दर्ज था जो महज 7 साल तक पति के साथ थी और दूसरी पत्नी 27 साल तक साथ भी रही और मृत्यु के पहले तक उनका ईलाज के खर्चें भी वहन किये थे, लेकिन समस्त शासकीय जमा राशि सहित पेंशन प्रथम पत्नी को मिल गया। अब आवेदिका न्याय मांगने आयोग में आवेदन प्रस्तुत किया था। डॉ. नायक ने कहा कि, क्योंकि मृतक ने शासकीय अभिलेख में दूसरी पत्नी का नाम जोडऩे बाबत् आवेदन दिया था, इसलिए इस मामले में उभय पक्षों ने सहमति का कार्य निकालने के लिये समय की मांग किया।
संपत्ति विवाद और महिला उत्पीड़न का मामला
आज सुनवाई के दौरान एक सम्पत्ति विवाद के प्रकरण में आवेदिका ने स्वयं से स्वीकार किया कि सरकारी जमीन पर उसने कब्जा कर रखा है। अनावेदक के पास जमीन के बैनामा कागजात है। सीमांकन प्रक्रिया तथा अवैध रूप से कब्जा हटाने की प्रक्रिया तहसील कार्यालय और निगम कार्यालय में चल रही हैं। सुनवाई के पश्चात यह प्रकरण आयोग के अधिकार क्षेत्र से बाहर हो जाने के कारण अध्यक्ष डॉ नायक ने नस्तीबद्ध करने के निर्देश दिए। इसी तरह एक अन्य प्रकरण में अनावेदक के विरुद्ध पुलिस थाने में एफआईआर दर्ज हो जाने से प्रकरण को नस्तीबद्ध करने कहा।
एक अन्य प्रकरण में पत्नी ने पति के खिलाफ स्वयं तथा अपने तीनो बच्चे के साथ मारपीट करने की शिकायत आयोग में की थी। बच्चों की भविष्य को देखते हुए आयोग द्वारा पति-पत्नी को समझाइश दिया गया। पत्नी और बच्चों को पति के नए मकान में रखने पति को निर्देशित किया गया। बच्चों की पढ़ाई लिखाई का खर्च का पति वहन करेगा। इसके साथ ही पत्नी को 2 हज़ार रुपये प्रतिमाह पति द्वारा देने पर सहमति ब्यक्त किया। अध्यक्ष डॉ नायक ने प्रकरण को 6 माह की निगरानी आयोग द्वारा किये जाने की बात कही। इसके पश्चात ही प्रकरण को निराकृत किया जाएगा।
एक अन्य प्रकरण में पत्नी, पति से अलग अपने मायके में रह रही है। विवाह को अभी 9 माह हुये है और पति-पत्नी 9 महीने से अलग रह रहे हैं और आपसी सहमति से पति-पत्नी तलाक लेने के लिए तैयार है। इस प्रकरण में आयोग की ओर से आगामी सुनवाई में निराकरण करने के निर्देश दिए गए। इस दौरान आयोग के सामने महिला उत्पीडऩ से संबंधित 20 प्रकरण सुनवाई के लिए रखे गए। जिनमे 5 प्रकरणों को नस्तीबद्ध किया गया है।