रायपुर, 28 नवंबर। Land Prices Across the State : मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने पूरे राज्य के लिए गाइडलाइन दरों का व्यापक, वैज्ञानिक और तर्कसंगत पुनरीक्षण करते हुए ऐतिहासिक कदम उठाया है। यह निर्णय जनहित, पारदर्शिता और वास्तविक बाजार मूल्यांकन को ध्यान में रखते हुए लिया गया।
गौरतलब है कि गाइडलाइन नियम 2000 के अनुसार दरों का हर वर्ष पुनरीक्षण आवश्यक है, लेकिन वर्ष 2017-18 के बाद से कोई संशोधन नहीं हुआ था। इस कारण वास्तविक बाजार मूल्य और पंजीयन दरों में भारी असमानता पैदा हो गई थी, जिसका सीधा नुकसान किसानों, भूमिस्वामियों, संपत्ति धारकों और आम नागरिकों को हो रहा था।
पुरानी गाइडलाइन में भारी विसंगतियां
पिछले सिस्टम में शहरी और ग्रामीण दोनों इलाकों में कई बड़ी गड़बड़ियां और कमियां थीं। इनमें एक ही गली, वार्ड या आस-पास के इलाकों के शहरी इलाकों में अलग-अलग रेट शामिल थे। एक ही गली में दो प्रॉपर्टी के लिए अलग-अलग गाइडलाइन रेट भी पाए गए। लोगों को ज़मीन/प्रॉपर्टी की असली कीमत पता लगाने में मुश्किल होती थी।
जबकि ग्रामीण इलाकों में, एक ही रास्ते के गांवों के बीच रेट बहुत ज़्यादा अलग-अलग थे। किसानों को ज़मीन के मुआवज़े और बैंक लोन पर नुकसान हुआ। पिछले सात सालों में बने नए हाईवे, कॉलोनियों और इंडस्ट्रियल एरिया को रेट लिस्ट में शामिल नहीं किया गया।
पारदर्शी तरीके से गाइडलाइन दरों का पुनरीक्षण
वाणिज्यिक कर (पंजीयन) मंत्री ओ.पी. चौधरी के दिशानिर्देश पर गाइडलाइन दरों को पुनर्निर्धारित करते हुए पूरी प्रक्रिया को वैज्ञानिक, पारदर्शी और जनसुलभ बनाया गया।
नगरीय क्षेत्रों में नए सुधार
- दरों को रोड-वाइज तैयार किया गया।
- समान सड़क और समान परिस्थितियों वाले क्षेत्रों में एक जैसी दरें।
- अत्यधिक कंडिकाओं को समायोजित कर उनकी संख्या कम की गई, ताकि मूल्यांकन आसान और स्पष्ट हो।
ग्रामीण क्षेत्रों में बदलाव
- सभी गांवों की दरें नक्शे में प्रविष्ट की गईं।
- समान मार्ग और समान परिस्थितियों वाले गाँवों की दरें यथासंभव समान एवं तर्कसंगत।
- वर्तमान दरों की वैज्ञानिक मैपिंग कर रैशनलाइज़्ड बेस रेट तैयार किए गए।
- इन्हीं आधारों पर नई दरें प्रस्तावित की गईं।
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