स्वास्थ्य

Malaria Campaign : मलेरिया मुक्त जांच में सामने आए कई मरीज, विभाग हुआ अलर्ट

बस्तर, 19 जून। Malaria Campaign : बस्तर में मलेरिया का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। प्रशासन द्वारा चलाए जा रहे मलेरिया मुक्त अभियान में जांच के दौरान कई लोग पॉजिटिव पाए जा रहे हैं। हालांकि, स्वास्थ्य विभाग पॉजिटिव आने वाले मरीजों का तत्काल ही इलाज शुरू कर रहा है लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में मानसून के पहले ही भारी संख्या में मलेरिया के मरीजों के मिलने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गयी है। मरीजों में सबसे ज्यादा बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग शामिल हैं।

ग्रामीणों का कहना है कि गांवों में दवा का छिड़काव (Malaria Campaign) नहीं होने और कई लोगों को मच्छरदानी नहीं मिलने की वजह से उन्हें पनपते मच्छरों के बीच रहना पड़ रहा है, इससे छोटे बच्चे भी मलेरिया से ग्रसित हो रहे हैं। स्वास्थ विभाग के मुताबिक, मलेरिया मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान के छठवें चरण में बस्तर में टीबी, मोतियाबिंद और स्केबीज की भी जांच की जा रही है।

40% मरीजों में मलेरिया के लक्षण

महामारी नियंत्रक डॉक्टर सुभाष मिश्रा ने बताया कि बस्तर में अब तक लगभग 24 लाख 70 हजार 600 लोगों की मलेरिया जांच की गई है और इस दौरान बस्तर संभाग में 6 हजार से ज्यादा लोग मलेरिया से ग्रसित पाए गए हैं। सबसे ज्यादा 2,182 मरीज नारायणपुर में मिले हैं। इसके बाद दंतेवाड़ा में 1,089, बीजापुर में 1,005 और बस्तर जिले में 930 मरीजों के मिलने की पुष्टि हुई है। सबसे कम कांकेर में 150, कोंडागांव में 270 और सुकमा में 456 मरीज मिले हैं।  

डॉक्टर सुभाष मिश्रा ने बताया कि इन मलेरिया संक्रमित मरीजों में बच्चों और महिलाओं की संख्या ज्यादा है। ओवरऑल बस्तर संभाग में छठवें चरण की जांच के दौरान अब तक 40 प्रतिशत मरीजों में मलेरिया के लक्षण दिखाई दिए हैं। पॉजिटिव पाए गए मरीजों का इलाज भी शुरू कर दिया गया है।

जागरूकता के अभाव

महामारी नियंत्रक डॉ. सुभाष मिश्रा का कहना (Malaria Campaign) है कि छत्तीसगढ़ में दवा की कोई कमी नहीं है, स्वास्थ्य विभाग के पास मलेरिया से निपटने के लिए पर्याप्त दवा है लेकिन बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में जागरूकता के अभाव की वजह से मलेरिया का प्रकोप बढ़ा है। फिलहाल विभाग के लोगों द्वारा जागरूकता अभियान समय-समय पर चलाया जा रहा है। बस्तर संभाग के नक्सल प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें विभाग की ओर से मच्छरदानी नहीं मिली है और न ही मलेरिया से बचने के लिए गांवो में दवा का छिड़काव किया जा रहा है। शहरी क्षेत्र का भी यही हाल बताया जा रहा है।

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