Millet Mission : राज्य में उत्पादन बढ़ाने 14 जिलों के साथ हुआ एमओयू साइन
मिलेट्स के प्रसंस्करण और वेल्यूएडिशन से किसानों, महिला समूहों और युवाओं को मिलेगा रोजगार
रायपुर, 10 सितंबर। छत्तीसगढ़ में शुक्रवार से मिलेट मिशन शुरू हो गया है। दोपहर 12 बजे CM भूपेश बघेल की मौजूदगी में उनके आवास कार्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस दौरान मुख्यमंत्री की उपस्थिति में कोदो, कुटकी और रागी की उत्पादकता बढ़ाने के लिए भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान हैदराबाद और 14 जिलों के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की विशेष पहल से छत्तीसगढ़ में राज्य सरकार द्वारा कोदो, कुटकी की समर्थन मूल्य पर खरीदी के निर्णय और इन फसलों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना में शामिल करने के बाद अब छत्तीसगढ़ में कोदो, कुटकी और रागी का वैज्ञानिक तरीके से उत्पादन बढ़ाने के लिए ‘छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन’ की शुरूआत हो चुकी है।
इस एमओयू के मार्फत आई.आई.एम.आर. मिलेट उत्पादन बढ़ाने छत्तीसगढ़ के किसानों को तकनीकी जानकारी देगा। साथ ही साथ उच्च क्वालिटी के बीज, सीड बैंक की स्थापना में भी मदद और प्रशिक्षण देने का काम आई.आई.एम.आर द्वारा किया जाएगा।
महिला समूहों और युवाओं को मिलेगा रोजगार
मिलेट उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने की उपज की सही कीमत और आदान सहायता देने के साथ समर्थन मूल्य पर खरीदी करेगी। इसके साथ ही इसके प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की भी पहल सरकार की तरफ से की जा रही है। मिलेट के प्रसंस्करण और वेल्यूएडिशन से किसानों, महिला समूहों और युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।
20 जिलों में होता मिलेट्स का उत्पादन
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के 20 जिलों के 85 विकासखण्डों में मिलेट्स का उत्पादन होता है। जिसके तहत अब प्रथम चरण में 14 जिलों कांकेर, कोण्डागांव, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, बलरामपुर, कोरिया, जशपुर और सूरजपुर जिलों के साथ एम.ओ.यू. किया गया है।
अगले पांच साल में होगा इतना खर्च
मिलेट मिशन में आगामी पांच वर्षों में 170 करोड़ 30 लाख रूपए खर्च किए जाएंगे। आई.आई.एम.आर. मिलेट उत्पादन बढ़ाने छत्तीसगढ़ के किसानों को देगा तकनीकी जानकारी, उच्च क्वालिटी के बीज, सीड बैंक की स्थापना में मदद और प्रशिक्षण मिलेट उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य सरकार ने उपज की सही कीमत और आदान सहायता देने के साथ समर्थन मूल्य पर खरीदी की, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग की भी पहल हो रही है।
गौरतलब है कि प्रदेश में कांकेर, कोण्डागांव, नारायणपुर, जगदलपुर, दंतेवाड़ा और सुकमा सहित राजनांदगांव, कवर्धा और बेमेतरा तथा सरगुजा के कुछ क्षेत्रों में इन मिलेट्स का उत्पादन होता है। मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रदेश के ऐसे क्षेत्रों में जहां मिलेट के उत्पादन की अच्छी संभावना है, वहां मिलेट क्लस्टर चिन्हांकित कर उन्नत खेती को बढ़ावा दिया जाएगा।
पोषण से भरपूर मिलेट्स की मांग अब देश-विदेश में काफी बढ़ रही है, ऐसे में मिलेट्स की खेती बस्तर अंचल के किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित होगी। इस मिशन में मिलेट्स की खेती से महिला स्व सहायता समूहों को जोड़ा जाएगा। मिलेट्स का उत्पादन बढ़ाने के साथ इनकी मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
उत्पादन वाले गांवों में छोटी-छोटी प्रसंस्करण इकाईयां लगाई जाएंगी और पैकेजिंग की इकाईयां स्थापित की जाएंगी। मिलेट्स की खपत और बढ़ाने के लिए गढ़कलेवा के व्यंजनों की सूची में कोदो, कुटकी और रागी से तैयार व्यंजनों को भी शामिल किया जाएगा।
ये होगा फायदा
- मिलेट के प्रसंस्करण और वेल्यूएडिशन से किसानों, महिला समूहों और युवाओं को रोजगार मिलेगा।
- छत्तीसगढ़ के 20 जिलों के 85 कासखण्डों में होता है मिलेट्स का उत्पादन।
- प्रथम चरण में 14 जिलों कांकेर, कोण्डागांव, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, राजनांदगांव, कवर्धा, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, बलरामपुर, कोरिया, जशपुर और सूरजपुर जिलों के साथ किया गया एम.ओ.यू.।
- मिलेट मिशन में आगामी पांच वर्षों में खर्च किए जाएंगे 170 करोड़ 30 लाख रूपए।